इलाहाबाद हाईकोर्ट की अहम टिप्पणी, गाय को करें राष्ट्रीय पशु घोषित

एक केस की सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाइकोर्ट ने गोवध पर पूरी तरह से रोक लगाने और इसे राष्ट्रीय पशु घोषित करने की बात कही है। इसके प्रसंग में कई मुस्लिम और पुराने शासकों का जिक्र किया है। अब राजनीतिक बयान आने शुरू हो गए हैं।

इलाहाबाद। इलाहाबाद हाइकोर्ट ने बुधवार को एक अहम बात कही है। हाइकोर्ट ने कहा है कि राष्ट्रीय पशु घोषित करें। यह आदेश न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने दिया है। कोर्ट ने कहा पूरे विश्व में भारत ही एक मात्र देश है जहां सभी संप्रदायों के लोग रहते हैं। पूजा पद्धति भले ही अलग हो, सोच सभी की एक है। एक दूसरे के धर्म का आदर करते हैं। कोर्ट ने कहा गाय को मारने वाले को छोड़ा तो फिर अपराध करेगा।

असल में, कोर्ट ने कहा गो मांस खाना किसी का मौलिक अधिकार नहीं है। जीभ के स्वाद के लिए जीवन का अधिकार नहीं छीना जा सकता। बूढ़ी बीमार गाय भी कृषि के लिए उपयोगी है। इसकी हत्या की इजाजत देना ठीक नहीं। यह भारतीय कृषि की रीढ़ है। हाइकोर्ट ने अपने निर्णय में यह भी कहा कि ऐसा नहीं है कि केवल हिंदू ही गायों के महत्व को समझ चुके हैं, मुसलमानों ने भी अपने शासनकाल में गाय को भारत की संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना है, गायों के वध पर पांच मुस्लिम शासकों ने प्रतिबंध लगा दिया था। बाबर, हुमायूं और अकबर ने भी अपने धार्मिक उत्सव में गायों की बलि पर रोक लगा दी थी। मैसूर के नवाब हैदर अली ने गोहत्या को दंडनीय अपराध बना दिया।

इसके बाद उत्तर प्रदेश गौ सेवा आयोग चेयरमैन श्याम नंदन सिंह ने कहा कि आज इलाहाबाद हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को सुझाव दिया है कि केंद्र सरकार संसद में बिल लाकर गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करें, इसका हम स्वागत करते हैं और हाई कोर्ट की प्रशंसा करते हैं।

उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री मोहसिन रजा ने भी कहा कि हाई कोर्ट का गऊ माता को लेकर जो सुझाव आया है हम उसका स्वागत करते हैं। गऊ माता के संरक्षण और रखरखाव को लेकर माननीय मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री हम सभी संकल्पित हैं क्योंकि ये हमारी सांस्कृतिक धरोहर और धार्मिक आस्था भी है।