ब्लैक फंगस के महामारी बनने के बाद हो रही है खूब राजनीति

ब्लैक फंगस का नाम सुनते ही लोगों के होश पाख्ता हो रहे हैं। यह बीमारी से महामारी हो चुकी है। डाॅक्टर इसके इलाज को लेकर पूरी मेहनत कर रहे हैं, तो दूसरी और कांग्रेस-भाजपा अपनी राजनीति करने में मस्त है।

नई दिल्ली। बीमारी जब महामारी बनती है, तो इस पर राजनीति भी होती है। इस बात को देखना है, तो आपको देश में हाल के दिनों में नेताओं के बयानों को देख लीजिए। कोरोना (COVID19) के साइड इफैक्ट्स के रूप में पहचान बनाने वाली ब्लैक फंगस (Black Fungus) अब महामारी हो चुकी है। स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से इसे महामारी घोषित कर दिया दिया गया। उसके बाद से कांग्रेस (Congress) की ओर से केंद्र सरकार की नीतियों की बखिया उधेडी जा रही है।

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी (Rahul Gandhi) लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) सहित केंद्र सरकार की नीतियों और कार्यशैली की आलोचना कर रहे हैं। राहुल गांधी ने महामारी का प्रसार रोकने के लिए पिछले साल लॉकडाउन शुरू करने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के थाली और ताली बजाने के आह्रान पर चुटकी लेते हुए कहा कि पीएम मोदी कभी भी इस बार ब्लैक फंगस महामारी से जूझने के लिए फिर ताली-थाली बजाने की घोषणा कर सकते हैं। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ब्लैक फंगस महामारी को लेकर सरकार पर हमला करते हुए कहा है कि मोदी सरकार के कुशासन के कारण सिर्फ भारत में कोरोना के साथ यह नयी महामारी फैल रही है।

कोरोना (COVID19) की दूसरी लहर के असर से अभी भारत मुक्त हुआ नहीं है और इस बीच तीसरी लहर का अंदेशा जतलाया जाने लगा है। तीसरी लहर न जाने किस रूप में, किस तरह से सामने आएगी और सरकार उससे निपटने की क्या तैयारी कर रही है, ऐसे सवालों के जवाब अभी मिलना बाकी है। मगर इससे पहले ब्लैक फंगस नाम की नई बीमारी का खौफ भारत पर छा रहा है। गुरुवार को ही केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को अहम निर्देश देते हुए कहा है कि ब्लैक फंगस को महामारी कानून के तहत अधिसूचित करें और सभी केस रिपोर्ट किए जाएं। इसके मायने यह हैं कि ब्लैक फंगस के सभी पुष्ट और संदिग्ध केस, स्वास्थ्य मंत्रालय को रिपोर्ट किए जाएंगे। अब सभी सरकारी और निजी अस्पतालों को इस रोग की जांच और इलाज के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के निर्देशों का पालन करना होगा।

गौरतलब है कि ब्लैक फंगस (Black Fungus) या म्यूकरमायकोसिस एक तरह का फंगल इंफेक्शन है। कोविड-19 के मरीजों में खासकर जो लोग स्टेरॉयड थेरेपी पर हैं और जिनका शुगर अनियंत्रित है, उन पर इसका असर देखा जा रहा है। देश में ब्लैक फंगस के मामले बढ़ते जा रहे हैं। महाराष्ट्र में ही अब तक ब्लैक फंगस के 1500 केस रिपोर्ट हो चुके हैं और 90 लोगों को जान गंवानी पड़ी है, वहीं राजस्थान और तेलंगाना पहले ही ब्लैक फंगस को महामारी घोषित कर चुके हैं। तमिलनाडु में भी इस बीमारी के 9 केस रिपोर्ट हुए हैं।

ब्लैक फंगस (Black Fungus) के इलाज और दवा के लिए अभी से मारामारी देखी जा रही है। इसके इलाज में एंटी फंगल मेडिसिन एम्फोटेरेसिन-बी इंजेक्शन की जरूरत पड़ती है। जिसकी उपलब्धता अभी सब को नहीं है और कालाबाजारी की तैयारी हो चुकी होगी। ब्लैक फंगस के इलाज में आंख के सर्जन, न्यूरोसर्जन, जनरल सर्जन, डेंटल सर्जन और ईएनटी स्पेशलिस्ट की जरूरत होगी। इसलिए सरकार को देशव्यापी स्तर पर यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि इस नई बीमारी की दवाओं और संबंधित डाक्टरों तक जनता की पहुंच आसान हो।

कोरोना (COVID19) की दूसरी लहर ने देश में स्वास्थ्य सुविधाओं का सच खोलकर रख दिया है। देश के कई सरकारी अस्पताल कोरोना के इलाज में संसाधनों से जूझते नजर आए। लेकिन इसी दौरान निजी अस्पतालों की मनमानी भी भरपूर देखी गई। न जाने कितने वीडियो और खबरें सोशल मीडिया पर प्रसारित हुई हैं, जिनमें आयुष्मान योजना के तहत मरीजों को इलाज न मिल पाने की घटनाएं दिखाई गई हैं, या दवाओं की कालाबाजारी पकड़ाई है या डाक्टरों का मरीजों के साथ असंवेदनशील व्यवहार सामने आया है।