एआईएमआईएम के प्रमुख ओवैसी ने उठाए दिल्ली पुलिस पर सवाल

मुस्लिम विद्यार्थियों, पत्रकारों एवं कार्यकर्ताओं को बस इस्लामिक आस्था से संबंध रखने के गुनाह में जेल में डाल दिया गया । उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का हवाला देते हुए कहा कि हिंदुत्व संगठनों की ऐसी संस्कृति है जहां नफरतभरे भाषण एवं चरमपंथ के बदले प्रोन्नतियां मिलती हैं।

हैदराबाद। सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने दिल्ली पुलिस की नीतियों और कार्यशैली पर सवाल उठाया है। एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने बृहस्पतिवार को कहा कि पुलिस द्वारा उनके विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज किये जाने के बाद वह अब अपने वकीलों से परामर्श करेंगे एवं इस मुद्दे से निपटेंगे लेकिन वह ऐसी हरकतों से ‘झुकेंगे’ नहीं। उन्होंने आरोप लगाया कि ‘‘नफरतभरा भाषण’’ सत्तारूढ़ पार्टी के प्रवक्ताओं तथा भाजपा से निकटता रखने वाले ‘धर्मगुरूओं ’ ने दिया जिसकी तुलना सोशल मीडिया पर अचानक किये गये पोस्ट से की जा रही है और ऐसे पोस्ट के प्रति कोई सामाजिक या राजनीतिक पक्ष भी नहीं है।

हैदराबाद के सांसद ने कहा कि प्राथमिकी के अंश में यह जिक्र नहीं है कि अपराध क्या है और पुलिस ने ‘‘हथियार या पीड़ित के खून बहकर दम तोड़ देने’ का उल्लेख नहीं किया है । उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘ यति, ‘नरसंहार संसद गैंग’, नुपुर , नवीन और अन्य की ऐसा करने (आपत्तिजनक बयान देने) की आदत-सी हो गयी थी क्योंकि ऐसा करने का कोई दुष्परिणाम नहीं था तथा कमजोर कार्रवाई भी तब की गयी जब हफ्तों तक असंतोष बना रहा या अंतरराष्ट्रीय छिछालेदार हुई या अदालत ने पुलिस की खिंचाई की। ’’

ओवैसी ने ट्वीट किया, ‘‘जहां तक मेरे विरूद्ध प्राथमिकी की बात है तो हम, जब भी जरूरत महसूस होगी तो, अपने वकीलों के साथ परामर्श करेंगे और इससे निपटेंगे। नफरत भरे भाषण की आलोचना और नफरतभरा भाषण समान नहीं हो सकते हैं। ’’ उन्होंने ट्विटर पर लिखा, ‘‘ दिल्ली पुलिस ‘‘ द्विपक्षवाद’’ या ‘‘संतुलनवाद’’ से ग्रस्त है। एक पक्ष ने खुलेआम हमारे पैगंबर का अपमान किया है जबकि अन्य पक्ष को भाजपा समर्थकों को तुष्ट करने और यह दिखाने के लिए नामजद किया गया है कि दोनों पक्षों की ओर से नफरतभरा भाषण दिया गया। ’’