खरीफ फसल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि को सराहा : बिनोद आनंद

खरीदी व्यवस्था में सुधार के लिए पीएसीएस को साथ लेने की वकालत की

नई दिल्ली। एनजीओ के सबसे बड़े परिसंघ और ग्रामीण भारत में काम करने वाले एनजीओ की शीर्ष संस्था ‘ग्रामीण स्वयंसेवी संस्था परिसंघ’ (सीएनआरआई) के महासचिव और एमएसपी एवं कृषि सुधार समिति के सदस्य श्री बिनोद आनंद ने आज खरीफ की फसल के लिए सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य का समर्थन करते हुए उसकी प्रशंसा की।

सहकारी क्षेत्र से संबंध रखने वाले श्री आनंद ने किसानों से सीधे खरीदी में संरचनात्मक सुधार और मूल्य श्रृंखला के लोकतंत्रीकरण के लिए प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों (पीएसीएस) को साथ लेने की जोरदार वकालत की।

आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीईए) ने विपणन सीजन 2023-24 के लिए सभी अधिनिष्ट खरीफ फसलों के लिए 7 जून, 2023 को एमएसपी में वृद्धि स्वीकृत की थी। पीआईबी द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार, सरकार ने धान (सामान्य), धान (ग्रेड ए)^, ज्वार हाईब्रिड, ज्वार मालदांडी^, बाजरा, रागी, मक्का, तुअर/अरहर, मूंग, उड़द, मूंगफली, सूरजमुखी के बीज, सोयाबीन (पीला), तिल, काला तिल, कपास (मध्यम रेशा) और कपास (लम्बा रेशा) की फसलों के लिए सरकार ने एमएसपी की दरों में वृद्धि की घोषणा की थी। उत्पादन लागत पर किसानों को सबसे अधिक लाभ बाजरा (82%), उसके बाद तूर (58%), सोयाबीन (52%) और उड़द (51%) पर होगा। शेष सभी फसलों पर लाभ कम से कम 50% रहेगा।

घोषणा का स्वागत करते हुए श्री बिनोद आनंद ने कहा, “प्रधानमंत्री आदरणीय श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने ज्वार, बाजरा, रागी और तिल जैसी फसलों की एमएसपी 2014-15 की तुलना में दो गुनी कर दी है, जबकि अन्य फसलों की दरों में 70 से 90 प्रतिशत बढ़ोतरी हो चुकी है। वैश्विक परिदृश्य को देखते हुए यह काफी उल्लेखनीय है। ”
श्री आनंद ने कृषि निर्यात में हुए प्रगति को रेखांकित करते हुए कहा कि वर्ष 2019-20 के 2.6 लाख करोड़ रुपये की तुलना में निर्यात 22.7 प्रतिशत बढ़कर 3.2 लाख करोड़ रुपये रहा, जोकि 2021-22 में 21.6 प्रतिशत बढ़कर 3.9 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है।
उन्होंने कहा कि कृषि निर्यात को और भी बढ़ावा देने के लिए भारत को एक क्रियाशील व्यापार नीति की आवश्यकता है। कृषि-निर्यात ढांचा, कृषि-मूल्य श्रृंखला, सैनिटरी और फाइटोसैनिटरी उपाय, व्यापार पर तकनीकी अवरोध (टीबीटी) और ट्रैक करने की क्षमता, निर्यात तौर-तरीके और प्रलेखन (डॉक्यूमेंटेशन) जैसे मुद्दों के समाधान के साथ-साथ वैल्यू-एडेड प्रसंस्करित और आर्गेनिक उत्पादों के निर्यात पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।
कृषि क्षेत्र में अनुसंधान और नवाचार पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि भारत में कृषि अनुसंधान में कृषि जीडीपी का कम से कम 1 प्रतिशत सार्वजनिक निवेश करने की आवश्यकता है, जिससे निजी निवेश आकर्षित करने और सार्वजनिक-निजी क्षेत्र की भागीदारी के लिए सक्षम नीति वातावरण बनेगा।
खासकर आदिवासी और हाशिये पर रहने वाले दूसरे लोगों सहित छोटे किसानों के लिए धारणीय आजीविका उपाय विकसित करने के शौक़ीन और राष्ट्रीय किसान महासंघ के संस्थापक सदस्य श्री बिनोद ने एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) निर्धारित करने से पहल सरकार उत्पादन लागत, वैश्विक और घरेलू बाजार में मांग-आपूर्ति और कीमत का परिदृश्य, अंतर-फसल मूल्य समानता, कृषि और गैर-कृषि क्षेत्र के बीच व्यापार की शर्तें, भूमि, जल और उत्पादन के अन्य संसाधनों का उपयोग, मूल्य नीति का शेष अर्थव्यवस्था पर संभावित प्रभाव और उत्पादन लागत पर कम से कम 50 प्रतिशत लाभ आदि सभी पहलुओं पर विचार करती है।