जामनगर। भारत सरकार के आयुष मंत्रालय और विश्व स्वास्थ्य संगठन के संयुक्त प्रयास से मंगलवार को विश्व के पहले वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा केंद्र ( ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन ) का शिलान्यास किया गया। इसका शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मॉरिशस के प्रधानमंत्री श्री प्रविन्द जगन्नाथ और डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस घेब्रेयसस की गरिमामय उपस्थिति में किया गया। खास बात यह भी रही कि बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना, भूटान के प्रधानमंत्री श्री लोतेय त्शेरिंग और नेपाल के प्रधानमंत्री श्री शेर बहादुर देउवा ने भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हिस्सा लिया।
शिलान्यास समारोह की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुई। अपने संबोधन में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस घेब्रेयसस और मॉरिशस के प्रधानमंत्री श्री प्रविन्द कुमार जगन्नाथ की उपस्थिति में केवल एक भवन या केंद्र का शिलान्यास नहीं हुआ, बल्कि यह शिल्यान्यास आने वाले 25 साल के लिए विश्वभर में पारंपरिक दवाओं के युग का आरंभ कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि मैं विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डॉ टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयसस का विशेष रूप से आभारी हूं। उन्होंने भारत की प्रशंसा में जो शब्द बोले हैं, मैं हर भारतीय की तरफ़ से उनका धन्यवाद करता हूं।
हॉलिस्टिक हेल्थकेयर के बढ़ते चलन से आने वाले 25 साल में यह केंद्र दुनिया के लिए बेहद जरूरी होगा। स्वास्थ्य कितना बेहद महत्वपूर्ण है, कोविड काल में पूरी दुनिया इसे समझ चुकी है। अपने संबोधन में, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने जामगर से अपने जुड़ाव और आयुर्वेद के क्षेत्र में किए जामनगर के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भारत में जो नेशनल न्यूट्ीशन योजना की शुरुआत की गई है, उसमें भी भारतीय प्राचीन आहार प्रणाली का ध्यान रखा गया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि निरोगी रहना, जीवन के सफर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हो सकता है। लेकिन, वेलनेस ही अंतिम लक्ष्य होना चाहिए। वेलनेस का हमारा जीवन में क्या महत्व है, इसका अनुभव हमने कोविड महामारी के दौरान महसूस किया है। कोविड काल में भी आयुष काढ़ा ने लोगों के जीवन की रक्षा की। आयुर्वेद के क्षेत्र में जो देश का अनुभव है, उसे पूरी दुनिया के साथ साझा करना भारत अपना दायित्व समझता है। भारतीय योग पंरपरा कई रोगों से छुटकारा दिला रही है। विश्व योग दिवस पूरी दुनिया के लिए भारत का उपहार है।
The @WHO Global Centre for Traditional Medicine in Jamnagar aims to bring ancient wisdom and modern science together. https://t.co/nbi6TLs9aU
— Narendra Modi (@narendramodi) April 19, 2022
प्रधानमंत्री ने ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन को लेकर पांच लक्ष्य तय किए। उन्होंने डब्लूएचओ से आग्रह किया कि इस पर ध्यान दिया जाना चाहिए। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि मैं इस ग्लोबल सेंटर के लिए पांच लक्ष्य भी रखना चाहता हूं। पहला लक्ष्य- टेक्नोलॉली का उपयोग करते हुए, ट्रेडिशनल विद्याओं के संकलन का है, उनका डेटाबेस बनाने का है। दूसरा लक्ष्य- GCTM को पारंपरिक औषधियों की टेस्टिंग और सर्टिफिकेशन के लिए इंटरनेशनल स्टैंडर्ड भी बनाने चाहिए। तीसरा लक्ष्य- GCTM एक ऐसा प्लेटफॉर्म बनना चाहिए जहां विश्व की पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के एक्सपर्ट्स एक साथ आएं, एक साथ जुटें, अपने अनुभव साझा करें। चौथा- फार्मासियुटिकल के क्षेत्र में कंपनियां बहुत अधिक निवेश करती हैं। आयुष के क्षेत्र में शोध के लिए कंपनियों को बढ़चढ़ कर आगे आना चाहिए। पांचवा- बीमारियों के लिए इलाज के लिए एक साझा प्रोटाकॉल तैयार किया जाना चाहिए जिससे होलेस्टिक मेडिसिन और मॉडर्न मेडिसिन का एक साथ इलाज किया जा सके।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डॉ टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयसस ने संबोधन की शुरुआत गुजराती और हिंदी में की। उसके बाद उन्होंने कहा कि डब्ल्यूएचओ-ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन’ कोई संयोग नहीं है। मेरे भारतीय शिक्षकों ने मुझे पारंपरिक दवाओं के बारे में अच्छी तरह से सिखाया और मैं उनका बहुत आभारी हूं। जामनगर स्थित केन्द्र सस्ती सुलभ और निवारक स्वास्थ्य देखभाल के उपायों की सेवा देने के रूप में काम करेगा जो दुनिया के सभी देशों के लिए उपलब्ध हो सकेगी। इस संदर्भ में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोविड के समय में पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों के प्रयोगों को बारीकी से देखा और विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रतिनिधि डॉ. घेब्रयसस ने भारत की इसके लिए प्रशंसा की, जिसके बाद भारत और डब्लूएचओ की इस साझेदारी पर काम करने की सहमति बनी।