पश्चिम एशिया में युद्ध विराम हो गया । गाजा पट्टी से इस्राइल पर हुये हमलों का जबाब देना इस्राइल ने बंद कर दिया है । इसकी पहल अमेरिका ने की थी और मिस्र ने मध्यस्थता । पर प्रश्न उठता है कि वहाँ यह शाँति कब तक रहेगी और कब तक युद्ध विराम टिकेगा ? चूंकि युद्ध विराम के कुछ घंटो बाद ही फिलीस्तीनियों ने अल अक्शा मस्जिद में उत्पात मचाना शुरू कर दिया । यह वही अल अक्शा मस्जिद का परिक्षेत्र है जहाँ से इस ताजा संदर्भ की शुरुआत हुई थी ।
यह विवाद लगभग बाईस दिन चला।
कमोबेश बाईस दिन चले इस विवाद या युद्ध में जानी नुकसान तो कम हुआ पर गाजा पट्टी में संपत्ति का नुकसान अधिक हुआ। और इसमें मिसाइलों और राकेट का जमकर इस्तेमाल हुआ । यदि दोनों पक्षों के राकेट और मिसाइलों की गणना करें तो इन दोनों की संख्या आठ हजार के आसपास पहुँचती है । इससे अंदाज लगाया जा सकता है दोनों अपने संघर्ष में कितने दृढ़ थे । बेशक यह संघर्ष केवल गाजा पट्टी तक सिमटा हुआ था पर इसमें कुछ बाहरी शक्तियाँ अधिक दिलचस्पी ले रहीं थीं । इनमें चीन जैसा कुटिल और अफगानिस्तान, पाकिस्तान और तुर्की जैसे कट्टरपंथी देश सक्रिय हो गये थे । चीन की सक्रियता देख अमेरिका ने भी दिलचस्पी दिखाई । इसलिए इसकी आँच आधी से ज्यादा दुनियाँ पर आ रही थी । विवाद के पहले दिन से पाकिस्तान, ईरान अफगानिस्तान और तुर्की ने इसे मुद्दा बना लिया है । और दुनियाँ के सभी इस्लामिक देशों को संगठित करने का अभियान चलाया । उनके अभियान में यह विन्दु नहीं था कि विवाद की वजह क्या है और इसका समाधान क्या है । वे इसे इस्लाम के समर्थन का मुद्दा बना रहें हैं तो चीन इस्लामिक दुनियाँ में अमेरिका के खिलाफ हवा बनाने में जुट गया है ।
इस विवाद की शुरुआत एक मई से हुई । तब रमजान का महीना था । हजारों की भीड़ अल-अक्शा मस्जिद क्षेत्र में एकत्र हो गयी थी । यह भीड़ फिलीस्तीनियों की थी । यह माना जा रहा है कि इसके पीछे हमास की योजना थी । पश्चिम एशिया में अल-अक्शा मस्जिद ठीक उसी प्रकार विवाद और संघर्ष के केन्द्र रही है जैसी भारत में अयोध्या राम जन्मभूमि स्थल । पश्चिम एशिया में अल-अक्शा परिसर यहूदी, ईसाई और इस्लाम तीनों धर्म के अनुयायियों के लिये मान और आदर का केन्द्र है । यहूदियों का दावा है कि वह उनके धर्म का पवित्र स्थल है जिसका निर्माण ईसा से सातवीं शताब्दी पूर्व हुआ था जबकि इस्लाम के अनुयायियों के लिये यह दुनियाँ का वह तीसरा पवित्र स्थल है जिसकी बुनियाद स्वयं पैगम्बर मोहम्मद साहब ने रखी थी । तब से इस पर अनेक संघर्ष हुये, रक्तपात हुये । इन सब घटनाओं के कारण उस परिक्षेत्र में अनेक बंदिश लागू हैं जिसमें एक यह भी है कि अकारण और बिना अनुमति इतना समूह एकत्र नहीं हो सकता । पर उस दिन हजारों की भीड़ जमा हुई । उन्होंने उत्तेजक नारे लगाये ।
सुरक्षा बलों ने रोका जब बात नहीं बनीं तो बल प्रयोग हुआ । भीड़ तो तितर वितर हो गयी पर यह एक तनाव छोड़ गयी थी । इसके अगले दिन इस्राइल कोर्ट वह फैसला आया जिसमें गाजा पट्टी क्षेत्र में सात यहूदी परिवारों को पुनः बसाने का आदेश था । वस्तुतः ये सात वे मकान थे जहाँ कभी यहूदी रहते थे किन्तु छोड़ कर चले गये थे और अब इन मकानों फिलस्तीनी रह रहे हैं । इस फैसले के विरुद्ध पुनः प्रदर्शन हुआ और जुम्मे के दिन पुनः हजारों की भीड़ अल अक्शा परिक्षेत्र में जमा हो गयी । वह फैसला बदलने पर अड़ी रही । जब किसी भी प्रकार वह भीड़ न हटी तो बल प्रयोग हुआ गोलियाँ चलीं । सुरक्षा बलों ने बल पूर्वक इलाका खाली करा लिया । इसके तुरन्त बाद गाजा पट्टी से इस्राइल पर हमले शुरु हो गये । यह हमास ने शुरू किये थे ।
पश्चिम एशिया में हमास वह संगठन है जिसे अमेरिका यूरोप सहित दुनियाँ के अनेक देश आतंकवादी संगठन मानते हैं उनके देशों वह प्रतिबंधित भी है लेकिन चीन के विरोध के चलते अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद में इस संगठन पर प्रतिबंध न लग पाया । इस्राइल की सीमा ऐसे इस्लामिक देशों से घिरी है जो अक्सर तंग करते हैं । इसलिये इस्राइल ने सीमा पर सुरक्षा के तगड़े प्रबंध कर रखे हैं । उसने राकेट रोधी मिसाइलें भी तैनात रख रखीं है इसीलिए हमास के हमलों का उसे कोई विशेष नुकसान नहीं हुआ । ताजा युद्ध की शुरुआत हमास ने ही की थी उसने इस्राइल पर 3516 राकेट दागे ।
यह बात अलग है कि इसमें इस्राइल को अधिक नुकसान नहीं हुआ । हमास द्वारा दागे गये 90% राकेटों को इस्राइल के आटोमेटिक सुरक्षा सिस्टम ने बेकार कर दिये । फिर इस्राइल ने जबाबी कार्रवाई शुरू की । उसने हमास के अड्डों पर राकेट ही नहीं मिसाइल भी दागीं । लेकिन इस्राइल ने सीधा हमला न बोला, पहले चेतावनी देकर हमला किया । इस्राइल हमास के अड्डों को तो नष्ट करना चाहता था पर आबादी को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहता था । इस्राइल की चेतवनी के बाद गाजा पट्टी की आबादी यहाँ वहां से खाली हो गयी थी । इस लिये जन हानि के आकड़े नहीं बढ़े ।
पश्चिम एशिया में युद्ध विराम, लेकिन कब तक?
हमास ने एक विशेष रणनीति से काम किया, हमला किया लेकिन जब जबाबी कार्रवाई शुरू हुई तो महिलाओं और बच्चों को आगे कर दिया । जिस तरह भीड़ जुटाकर तनाव पैदा करना फिर तुरन्त बाद इस्राइल पर राकेट से हमला हमास की एक रणनीति थी।