दिल्ली,एनसीआर के सीजीएचएस लाभार्थी घर बैठे ई-संजीवनी के माध्यम से ले सकते हैं परामर्श

केन्द्रीय सरकार स्वाशस्य्ूक योजना-सीजीएचएस ने अपने लाभार्थियों के लिए विशेषज्ञों के साथ परामर्श के लिए वर्चुअल मोड के माध्यम से 25 अगस्ति 2020 से टेली-परामर्श सेवाओं की शुरुआत की है। प्रारंभ में, ये सेवाएँ दिल्ली,राष्ट्री य राजधानी क्षेत्र में सीजीएचएस के लाभार्थियों को उपलब्ध होंगी। ई-सेवाएं सभी कार्य दिवसों में सुबह 9 बजे से दोपहर 12 बजे के बीच उपलब्ध हैं

सीजीएचएस की इन परामर्श सेवाओं के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय के मौजूदा ई-संजीवनी प्लेटफॉर्म का उपयोग किया जा रहा है। उपयोग में आसानी के लिए, इसे लाभार्थियों की आईडी के साथ जोड़ा गया है। विशेषज्ञ ओपीडी सेवाओं का लाभ लेने के लिए, लाभार्थी अपने मोबाइल नंबर का उपयोग करके इसपर अपना पंजीकरण करा सकते हैं जिसके बाद सत्यापन के लिए एक ओटीपी लाभार्थी के मोबाइल नंबर पर आएगा जिससे सत्यायपन होने के बाद लाभार्थी सिस्टम पर लॉग इन कर पंजीकरण फॉर्म भर सकते हैं और टोकन के लिए अनुरोध कर सकते हैं तथा यदि आवश्यक हो तो अपना स्वास्थ्य रिकॉर्ड अपलोड कर सकते हैं

पंजीकरण कराने वाले रोगियों को एसएमएस के माध्यम से आईडी और टोकन प्राप्त होगा और उन्हें ऑनलाइन कतार में उनकी संख्या के बारे में भी सूचित किया जाएगा। बारी आने पर एक कॉल नाउ बटन सक्रिय हो जाएगा और उसी का उपयोग करके संबंधित लाभार्थी परामर्श के लिए विशेषज्ञ डाक्टीर के साथ वीडियो कॉल शुरू कर सकता है। टेली-परामर्श के बाद, एक ई-पर्चा बन जाएगा जिसके जरिए मरीज अपने सीजीएचएस वेलनेस सेंटर से दवाइयां प्राप्त कर सकते हैं

सीजीएचएस की नई टेली-परामर्श सेवाएं उन सीजीएचएस लाभार्थियों के लिए वरदान साबित होंगी जिन्हें विशेषज्ञों के परामर्श की आवश्यकता है, लेकिन कोविड के कारण वे बाहर नहीं जा पा रहे हैं

इस व्य वस्थार के तहत निम्नमलिखित विशेषज्ञों की सेवाएं प्राप्तब की जा सकेंगी: मेडिसीन के विशेषज्ञ
हड्डी रोग विशेषज्ञ
नेत्र विशेषज्ञ
कान नाक और गला संबधी विशेषज्ञ

नियमित ओपीडी सेवाओं के लिए प्रत्येक सीजीएचएस लाभार्थी एक विशेष आरोग्यि केन्द्रे से जुड़ा हुआ है, हालांकि वे देश में कहीं भी किसी भी ऐसे सीजीएचस केन्द्रओ पर ओपीडी सेवाओं का लाभ उठा सकते हैं। विशेषज्ञों के साथ परामर्श का लाभ उठाने के लिए, सीजीएचएस लाभार्थियों को उनके केन्द्रम के चिकित्सा अधिकारियों द्वारा संदर्भित किया जाता है (वरिष्ठ नागरिकों के मामले में इसकी आवश्यकता नहीं है)