गुवाहाटी। नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक एलायंस (एनईडीए) के संयोजक हिमंत बिस्व सरमा (Himanta Biswa Sharma) रविवार को सर्वसम्मति से भाजपा (BJP) विधायक दल के नेता निर्वाचित हुए और उन्हें राज्य के मुख्यमंत्री के तौर पर सरकार बनाने के लिए जल्द ही आमंत्रित किया जाएगा। केंद्रीय पर्यवेक्षक और केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने रविवार को यह जानकारी दी। मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल (Sarvanand Sonewal) ने सरमा के नाम का प्रस्ताव रखा और भाजपा के प्रदेश पार्टी अध्यक्ष रंजीत कुमार दास और हाफलांग से नव निर्वाचित विधायक नंदिता गार्लोसा ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया।
असल में, पूर्वोत्तर में भारतीय जनता पार्टी (BJP) का राज हो, इसके लिए कई दशकों से पार्टी के नेता लगातार काम करते रहे। संघ के प्रचारकों का तप भुलाया नहीं जा सकता है। बीते कुछ वर्षों से पूर्वोत्तर में कमल खिला। पूर्वोत्तर का द्वार कहे जाने वाले असम में जब लगातार दूसरी बार भाजपा की सरकार बनना तय हुआ, तो पार्टी को अपना मुख्यमंत्री बदलना पडा। सर्वानंद सोनेवाल की जगह हिमंत बिस्वा सरमा। अब, असम (Assam) के नए मुख्यमंत्री केे रूप में हिमंत बिस्वा सरमा का नाम चलेगा।
अब सवाल है कि भाजपा जब असम विधानसभा चुनाव में अपने पोस्टर पर मुख्यमंत्री सर्वांनद सोनेवाल की तस्वीर प्रमुखता से छाप चुकी, तो अचानक ये निर्णय क्यों ? पहले दिल्ली में सर्वांनद सोनेवाल के साथ हिमंत बिस्वा सरमा आते हैं। पार्टी अध्यक्ष जेपी नडडा और दूसरे वरिष्ठ नेताओं से विमर्श हुआ। अगले दिन भाजपा ने केंद्रीय पर्यवेक्षक के रूप में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और पार्टी महासचिव व केंद्रीय कार्यालय प्रभारी अरूण सिंह को गुवाहाटी भेजा। विधायक दल की बैठक हुई और हिमंत बिस्वा सरमा के नाम की घोषणा हुई।
इससे पहले निवर्तमान मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने रविवार को ही राज्यपाल जगदीश मुखी को अपना इस्तीफा सौंपा था। बता दें कि दिल्ली में हुई बैठक के बाद से ही यह कयास लगाए जा रहे थे कि असम की कमान हिमंत बिस्वा सरमा को सौंपी जा सकती है तो वहीं सोनोवाल को वापस दिल्ली बुलाया जा सकता है। पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने अपने आवास पर गृह मंत्री अमित शाह और संगठन महासचिव बीएल संतोष की मौजूदगी में दोनों नेताओं से मुलाकात की। पहले राज्य के मौजूदा स्वास्थ्य व वित्त मंत्री हिमंत पहुंचे। उनसे बातचीत के बाद पहुंचे सोनोवाल के साथ भी केंद्रीय नेताओं ने अकेले में बात की। इसके बाद तीसरे दौर की बातचीत में दोनों को एकसाथ बैठाकर बीच का रास्ता निकालने का प्रयास किया गया। सूत्रों का कहना है कि केंद्रीय नेतृत्व ने दोनों को अलग-अलग केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने का प्रस्ताव दिया। लेकिन दोनों नेताओं ने इस प्रस्ताव पर अपनी असहमति जाहिर की।