डिजिटल पहुंच अभी भी बड़ी समस्या …

स्कूली-बस्ते की तरह मोबाइल भी अनिवार्य बन गया है!पचहत्तर फीसद ईसाक्षरता अब हमारी उपलब्धियों में जुड़ गई है

आज गैजेट हमारे जीवन का अपरिहार्य हिस्सा बन गए हैं लेन-देन हो ऑनलाइन पढ़ाई हो या कोई भी काम बिना स्मार्टफोन या लैपटॉप के कुछ भी संभव नहीं है! यहां तक कि मनुष्य की अपनी पहचान के लिए भी ये अनिवार्य हो गए हैं हर व्यक्ति मोबाइल से जुड़ गया है तकनीक के बदलते दौर और वर्तमान महामारी जनित कारणों को देखते हुए स्कूली शिक्षा के संदर्भ में एक डिजिटल शिक्षा नीति जैसे मसले भी सामने आए जब यह लगा कि ऐसा लंबे समय तक चलने वाला है तो ऑनलाइन कक्षाओं के विकल्प ने मूर्त रूप लिया। स्कूली-बस्ते की तरह मोबाइल भी अनिवार्य बन गया है!

पचहत्तर फीसद ईसाक्षरता अब हमारी उपलब्धियों में जुड़ गई है राजनीति से लेकर तमाम वैश्विक सम्मेलन भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से हो रहे हैं जाहिर है हमारे जीवन अब तेजी से डिजिटल दुनिया का हिस्सा बनता जा रहा है! लेकिन सबके लिए डिजिटल पहुंच अभी भी बड़ी समस्या है? शहरी और ग्रामीण मिला कर आज भी करीब तीस से चालीस फीसदी बच्चों के पास मोबाइल फोन नहीं है फिर जिस सामाजिक कौशल को विद्यार्थी कक्षाओं में बैठ कर आपसी मेलजोल और सामंजस्य से सीखता है जिससे उसकी संवेदनाओं का जन्म होता है क्या वह गैजेटों की दुनिया से संभव है!!