रांची। मुख्यमंत्री के निर्देश पर पूरे देश से लगातार मानव तस्करी के शिकार लोगों को मुक्त कराने के साथ उनके पुनर्वास का भी काम किया जा रहा है। ताजा घटनाक्रम में झारखंड के चार लोगों को दिल्ली में मुक्त करा कर बेहतर पुनर्वास हेतु रांची भेजा जा रहा है। इनमें दो युवती लातेहार जिला, एक बालिका सरायकेला खरसावां जिला एवं एक बालक धनबाद जिला का रहनेवाला है। बालक भटकर दिल्ली आ गया था, जिसका गृह सत्यापन जिला समाज कल्याण पदाधिकारी, धनबाद के सहयोग से कराया गया है। वहीं एक बालिका पिछले 2 वर्षों से घर का पता नहीं मिलने के कारण बालिका गृह में रहने को मजबूर थी। अब बालिका 2 वर्षों बाद अपने परिजनों से मिलेगी। सभी को गरीब रथ स्पेशल ट्रेन से नई दिल्ली से रांची लाया जा रहा है। इस कार्य में बाल कल्याण संघ रांची का सराहनीय सहयोग रहा है।
स्थानिक आयुक्त मस्तराम मीणा के निर्देशानुसार एकीकृत पुनर्वास-सह-संसाधन केंद्र, नई दिल्ली के द्वारा लगातार दिल्ली के विभिन्न बालगृहों का भ्रमण कर मानव तस्करी के शिकार, भूले-भटके या किसी के बहकावे में फंसकर असुरक्षित पलायन कर चुके बच्चे, युवतियों को मुक्त कराने का काम किया जा रहा है। उसके बाद दिल्ली पुलिस, बाल कल्याण समिति, नई दिल्ली एवं सीमावर्ती राज्यों के बाल कल्याण समिति से समन्वय स्थापित कर मुक्त लोगों को उनके गृह जिला भेजने का कार्य कर रहा है।
मानव तस्करी के शिकार लोगों को मुक्त कराने का अभियान लगातार जारी है। विगत 8 जुलाई को भी एकीकृत पुनर्वास-सह-संसाधन केंद्र, नई दिल्ली द्वारा 26 बच्चों को मुक्त करा कर झारखंड स्थित उनके गृह जिला भेजा गया था। वहीं 2 दिन पूर्व एकीकृत पुनर्वास -सह- संसाधन केंद्र की टीम ने दो युवतियों को मुक्त कराया था। उन्हें झारखंड के किसी स्थानीय दलाल के माध्यम से दिल्ली में लाकर बेच दिया गया था। इन्हें वापस इनके गृह जिला भेजा जा रहा है। मुक्त कराने के बाद युवतियों को 7 महीने का मानदेय भी एकीकृत पुनर्वास-सह-संसाधन केंद्र के द्वारा दिलाया गया है।
दलालों पर होगी कानूनी कार्रवाई
एकीकृत पुनर्वास-सह-संसाधन केंद्र, नई दिल्ली के नोडल पदाधिकारी नचिकेता मिश्र ने बताया कि मुक्त करायी गई युवतियों एवं बच्चों के माध्यम से स्थानीय थाना में दलाल /ट्रैफ़िकर के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया जाएगा। उसके आधार पर दोषियों पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बताया की स्थानिक आयुक्त मस्तराम मीणा के निर्देशानुसार झारखंड भेजे जा रहे बच्चों को जिले में संचालित कल्याणकारी योजनाओं, स्पॉन्सरशिप, फॉस्टरकेयर, कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय से जोड़ते हुए उनकी ग्राम बाल संरक्षण समिति (VLCPC) के माध्यम से सतत निगरानी की जाएगी। रेसक्यू किये गये लोगों की एस्कॉर्ट टीम में एकीकृत पुनर्वास-सह- संसाधन केंद्र के परियोजना समन्वयक सुनील कुमार गुप्ता एवं आशा कुमारी शामिल हैं।