नई दिल्ली। गीता प्रेस (Geeta Press) के अध्यक्ष और धार्मिक पत्रिका कल्याण के संपादक राधेश्याम खेमका (Radheshyam Khemka) का शनिवार दोपहर को निधन हो गया। वह पिछले कुछ दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) सहित कई लोगों ने अपनी शोक संवेदना प्रकट की है।
उनके पारिवारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी। उनका हरिश्चंद्र घाट पर अंतिम संस्कार किया गया और उनके पुत्र राजा राम खेमका ने उन्हें मुखाग्नि दी। राधेश्याम खेमका (Radeshyam Khemka) पिछले कुछ दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे और रविन्द्रपुरी स्थित एक निजी अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। उनके परिवार में पुत्र राजा राम खेमका और पुत्री राज राजेश्वरी चोखानी हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) कहा कि गीता प्रेस के अध्यक्ष और सनातन साहित्य को जन-जन तक पहुंचाने वाले राधेश्याम खेमका जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। खेमका जी जीवनपर्यंत विभिन्न सामाजिक कार्यों में सक्रिय रहे। शोक की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिजनों और प्रशंसकों के साथ हैं।
गीता प्रेस के अध्यक्ष और सनातन साहित्य को जन-जन तक पहुंचाने वाले राधेश्याम खेमका जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। खेमका जी जीवनपर्यंत विभिन्न सामाजिक कार्यों में सक्रिय रहे। शोक की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिजनों और प्रशंसकों के साथ हैं। ओम शांति!
— Narendra Modi (@narendramodi) April 4, 2021
इनके निधन पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Amit shah) ने अपने शोक संदेश में कहा कि गीता प्रेस (Geeta Press) के अध्यक्ष श्री राधेश्याम खेमका (Radheshyam Khemka) जी के निधन से अत्यंत दुःखी हूँ। खेमका जी ने जीवनभर सनातन संस्कृति के संवाहक बनकर भारत की प्राचीन परम्परा को दुनियाभर में पहुँचाने का काम किया। मैं उनके परिजनों व शुभचिंतकों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करता हूँ।
गीता प्रेस के अध्यक्ष श्री राधेश्याम खेमका जी के निधन से अत्यंत दुःखी हूँ। खेमका जी ने जीवनभर सनातन संस्कृति के संवाहक बनकर भारत की प्राचीन परम्परा को दुनियाभर में पहुँचाने का काम किया। मैं उनके परिजनों व शुभचिंतकों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करता हूँ। ॐ शांति शांति शांति
— Amit Shah (@AmitShah) April 4, 2021
बता दें कि राधेश्याम खेमका ने 40 वर्षों से गीता प्रेस में अपनी भूमिका का निर्वाहन करते हुए अनेक धार्मिक पत्रिकाओं का संपादन करने का काम किया। मृदुल वाणी के लिए प्रसिद्ध राधेश्याम खेमका के पिता सीताराम खेमका मूलतः बिहार के मुंगेर जिले के रहने वाले थे तो बाद में वाराणसी आ गये। दो पीढ़ियों से खेमका काशी निवासी रहे।