नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता व टैक्स मामलों की विशेषज्ञ एडवोकेट रीना एन सिंह ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को भेजे गए एक पत्र में मांग की है की शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र में भूमि के अधिग्रहण पर जो मुआवजा सरकार के द्वारा भूमि के मालिक को दिया जाता है, उसके साथ दिए जाने वाले ब्याज पर सरकार के द्वारा जो 50% आयकर इनकम टैक्स की धारा 57(4) के तहत लगाया जाता है। उसमें देश के नागरिकों को राहत दी जाए।
अर्थात उस पर कोई भी टैक्स न लगाया जाए और पूरा का पूरा भूमि मलिक को प्राप्त हो। केंद्रीय वित्त मंत्री को लिखे हुए पत्र में रीना सिंह ने कहा कि यदि किसी व्यक्ति की जमीन का अधिग्रहण सरकार करती है और वह अधिग्रहण किए जाने के बाद सरकार के द्वारा दिए गए मुआवजे से संतुष्ट नहीं होता है तो वह न्यायालय का रुख करता है। न्यायालय का निर्णय आने में समय लग जाता है तब तक जमीन की कीमत बढ़ जाती है लेकिन उसको मुआवजा उस समय का मिलता है जिस समय जमीन का अधिग्रहण किया गया है परंतु जब मुआवजे के आधार पर ब्याज दिया जाता है तो उस ब्याज पर सरकार 50% का टैक्स लगाती है जो पूरी तरह से विधि विरुद्ध है, उन्होंने स्पष्ट करते हुए कहा कि टैक्स केवल और केवल आमदनी पर लगाया जाता है और यदि सरकार किसी के जमीन का अधिग्रहण करती है और उसके बदले वह मुआवजा देती है तो वह मुआवजा आमदनी ना हो करके उसके जमीन की कीमत ही है। इस तरह से उस पर टैक्स लगाने का कोई औचित्य है ही नहीं है।
रीना सिंह ने कहा कि इस तरह के कई मुकदमे विभिन्न अदालतों में लंबित है जिस पर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है। ज्ञात हो कि एडवोकेट रीना सिंह एक सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं उन्होंने उत्तर प्रदेश में गौ संरक्षण पर रीना एक प्रस्ताव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भेजा था जिसको सरकार ने अपनी योजना में शामिल भी किया है।