Guest Column : तारा गांधी से मुलाकात और मोबाइल रिकार्डिंग का सच

निशि भाट, वरिष्ठ पत्रकार

गांधी जी की पोती श्रीमति तारा गांधी भट्टाचार्या के बारे में यूं तो कुछ भी लिखना अपने आप में सूरज को आइना दिखाने जैसा है, कुछ दिनों पहले ही गुजरात के गांधी आश्रम से गांधी दर्शन के साक्षात्कार करके लौटने के बाद मंगलवार को महात्मा गांधी जी की पौत्री श्रीमति तारा गांधी जी से मेरी अनौपचारिक मुलाकात हुई। जानकी जन्मोत्सव के अवसर पर इन्दिरा गांधी कलाकेन्द्र में आयोजित वैदही कार्यक्रम में श्रीमति तारा गांधी के भी उपस्थित होने की जानकारी मिली। यूं तो मेरा युवा मन भी गांधी से कहीं अधिक वीर सावरकर और भगत सिंह का समर्थक है लेकिन गांधी दर्शन को आप सिरे से नहीं नकार सकते, ऐसे देश के तमाम लोगों की जमात में एक मेरा नाम भी शामिल है।

हुआ यूं कि कार्यक्रम शुरू होने में अभी कुछ देर बाकी थी, लिहाजा श्रीमति तारा गांधी जी ऑडिटोरियम के बाहर खुली जगह में बैठाया गया उनके साथ दो महिला सहायिकाएं भी थीं। मेरे साथ की पत्रकार मित्र बार बार श्रीमति गांधी के साथ फोटो लेने का आग्रह कर रही थीं, लेकिन किसी में साहस नहीं हो रहा था कि केवल एक फोटो के लिए हम श्रीमति तारा गांधी जैसी शख्सियत से बात करें। यह बात करने का बहुत ही बेमाना और हल्का कारण प्रतीत हो रहा था। साक्षात्कार के लिए मेरे पास कॉपी पेन नहीं था, केवल हाथ में मोबाइल और मास्क ही था, बावजूद इसके मैने कुछ चुनिंदा प्रश्न करने का सोचकर श्रीमति गांधी जी को पहले सादर प्रमाण किया और फिर उससे अपने प्रश्न पूछने की इच्छा जाहिर की।

88 साल की उम्र में भी बेहद सहज और सरल स्वभाव की श्रीमति गांधी ने मेरे प्रश्न पूछने से पहले ही कहा “आप किस तरह साक्षात्कार लेंगी कोई कॉपी पेन या रिकार्डर तो है नहीं आपके पास?”, यह मेरे लिए सच में असमंजस की स्थिति थी क्योंकि प्रश्न तो दिमाग में थे लेकिन मेरे मोबाइल में वॉयस रिकार्डर नहीं था, लेकिन उनके कहने पर मैंने मोबाइल में कोई एप खोला और ओके करके यह दिखाने का नाटक किया कि अब आपकी मेरी वार्ता रिकार्ड हो रही हैं। जबकि अंर्तमन इस झूठ से कांप गया कि गांधी जी पोती के सामने में मैं यह कह रही हूं कि रिकार्ड हो रहा है जबकि ऐसा कुछ था नहीं, उन्होंने फिर कहा “आप जो पूछ रही हैं उसे भी रिकार्ड करिए”, आप पत्रकार लोग बाद में प्रश्न बदल भी सकते हैं ठीक है ऐसा कहकर मैंने साक्षात्कार रिकार्ड करने की मुद्रा बनाते हुए मोबाइल के माइक को श्रीमति तारा गांधी तरफ कर दिया। झूठी रिकार्डिंग की बात मुझे बार बार आत्मग्लानि से भर रही थी, युवाओं में गांधी दर्शन, अहिंसा और प्राकृतिक उपचार आदि विषय पर संक्षेप में तीन प्रश्न करने के बाद मैंने श्रीमति तारा जी का धन्यवाद किया और हम सभी ऑडिटोरियम की ओर चल पड़े।

जब तक मैंने इस सत्य को स्वीकार नहीं किया कि साक्षात्कार के लिए रिकार्डिंग करने का झूठ उनसे बोला मुझे चैन नहीं मिला। हालांकि जीवन में मैं झूठ से दूरी ही बना कर रखती हूं लेकिन सत्य के साथ मेरे प्रयोग के महान लेखक और राष्ट्रपति गांधी जी की पोती के इस साक्षात्कार में यदि सत्य का परिचय दिए बिना मैं कुछ लिखती तो शायद उनके विचारों और मेरी पत्रकारिता दोनों के लिए ही यह बेमाना होता।