डॉ. हर्षवर्धन ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ राजस्थान में दो नए मेडिकल कॉलेजों और तीन सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक का उद्घाटन किया। इस अवसर पर स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे भी उपस्थित थे।
राजमाता विजया राजे सिंधिया (आरवीआरएस) मेडिकल कॉलेज, भीलवाड़ा और भरतपुर मेडिकल कॉलेज को जिला अस्पतालों से मेडिकल कॉलेजों में अपग्रेड किया गया है जबकि सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक (एसएसबी) को गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, कोटा; सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज, बीकानेर; और रवींद्र नाथ टैगोर मेडिकल कॉलेज, उदयपुर के साथ जोड़ा गया है।
इन परियोजनाओं में मिला-जुलाकर 828 करोड़ रुपये का संयुक्त निवेश किया जाएगा जिसमें से प्रत्येक मेडिकल कॉलेज पर 150 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है। कॉलेजों में 150 स्नातक छात्रों की क्षमता है। भरतपुर मेडिकल कॉलेज में 34 आईसीयू बिस्तररों सहित 525 बिस्तुर होंगे जबकि आरवीआरएस मेडिकल कॉलेज में 458 बिस्तरर होंगे जिनमें 12 आईसीयू बिस्तरर हैं।
इस अवसर पर उपस्थित सभी लोगों को संबोधित करते हुए, डॉ. हर्षवर्धन ने कहा, “प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में सरकार ने शासन में चिकित्सा शिक्षा में सुधारों को प्राथमिकता दी है। संसद में एक कानून के माध्यम से मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के स्थाकन पर एक नया राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग बनाया जा रहा है जो चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता का निरीक्षण करेगा, इसे अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप लाया जाएगा।
इसके अलावा, सरकार की उपलब्धियों को स्वीकार करते हुए उन्हों ने कहा, “पिछले पांच वर्षों में 158 नए मेडिकल कॉलेज खोले गए हैं। इनमें 42 ऐसे कॉलेज शामिल हैं जिन्हें जिला अस्पतालों से जुड़े मेडिकल कॉलेजों की स्थापना की केन्द्री य योजना के हिस्से के रूप में खोला गया है। इस योजना के अंतर्गत 157 नए कॉलेजों की योजना बनाई गई है, जिनमें से 75 को 2019-20 में मंजूरी मिल गई थी। यह योजना जिला अस्पताल को देश के उन जिलों में जिला अस्पेतालों को अपग्रेड करके नए मेडिकल कॉलेज की स्थापना की व्य वस्थाज करती है जहां पर्याप्त संख्या में अस्पयताल सेवा प्रदान नहीं की गई”।
डॉ. हर्षवर्धन ने यह भी कहा “पिछले पांच वर्षों में, हम एमबीबीएस में लगभग 26,000 सीटें और पोस्ट-ग्रेजुएशन में 30,000 सीटें जोड़ने में सक्षम हुए हैं। इतनी बड़ी संख्या में मेडिकल कॉलेजों की स्थापना और देश में मेडिकल सीटों में वृद्धि सरकार द्वारा की गई कई पहलों और सुधारों का परिणाम है। ये उपाय तृतीयक देखभाल और चिकित्सा शिक्षा के विस्तार के लिए रेखांकित क्षेत्रों में बेहतर पहुंच प्रदान कर रहे हैं”।
केन्द्री य स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि देश में चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के उपाय के रूप में, सभी मेडिकल पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए एक सामान्य प्रवेश परीक्षा, अर्थात्, नीट की शुरुआत की गई है। नियमों में उचित बदलाव के माध्यम से राज्य स्तर पर सामान्य परामर्श भी पेश किया गया है। उन्होंने कहा कि इन उपायों से मेडिकल दाखिलों में पूरी पारदर्शिता आई है, छात्रों की गुणवत्ता में सुधार हुआ है और चिकित्सा शिक्षा के समग्र मानक में सुधार हुआ है।
डॉ. हर्षवर्धन ने कहा, “हम स्वास्थ्य शिक्षा के अन्य क्षेत्रों में भी इसी तरह के सुधारों के लिए प्रतिबद्ध हैं। सरकार ने सभी संबद्ध और स्वा्स्य् अ देखभाल पेशेवरों के लिए एक नियामक निकाय बनाने के लिए हाल ही में एक नया कानून लाने की मंजूरी दी है। ‘द नेशनल कमीशन फॉर एलाइड एंड हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स बिल’ के एक बार कानून बन जाने पर, 50 से अधिक विभिन्न संबद्ध और स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों के नियमनऔर विकास के लिए लंबे समय से महसूस की जा रही रिक्तेता भर जाएगी।
देश भर में 22 और एम्स स्थापित करने की दिशा में तेजी से प्रगति देखी है, जिनमें से छह पूरी तरह से काम कर रहे हैं और चौदह में एमबीबीएस कक्षाएं शुरू हो चुकी हैं।
अश्विनी कुमार चौबे ने प्रसन्नता व्यक्त की कि आज का आयोजन भारत को प्रधानमंत्री के “सर्वे संतू निरामय” के लक्ष्य के करीब ले जाएगा। राजस्थान के सामने आने वाली अनूठी स्वास्थ्य चुनौतियों पर बोलते हुए, उन्होंने याद दिलाया कि कैसे राज्य इस योजना के सबसे बड़े लाभार्थियों में से एक है, “राज्य के लिए कुल 23 मेडिकल कॉलेज मंजूर किए गए हैं। योजना के तीन चरणों–पहले चरण में सात, द्वितीय चरण में एक और तीसरे चरण में 15 मेडिकल कॉलेजों की मंजूरी दी गई है। इनमें से पहलेचरण के छह मेडिकल कॉलेज काम करने लगे हैं”।
अशोक गहलोत ने राजस्थान में स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे को स्थापित करने में उनकी सक्रिय भूमिका के लिए केन्द्रव सरकार को धन्यवाद दिया और उन संभावित तरीकों पर चर्चा की, जहां केन्द्र -राज्य सहयोग को बढ़ाया जा सकता हैताकि कोविड संकट पर राजस्थान के लोगों की मदद की जा सके।
इसी कड़ी में डॉ. हर्षवर्धन ने पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी जी की राष्ट्र के प्रति प्रतिबद्धता को पूरा करने में सहकारी संघवाद की सराहना की। उन्होंने 2003 के स्वतंत्रता दिवस के भाषण में क्षेत्रीय मेडिकल कॉलेजों में एम्स और एसएसबी स्थापित करके स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे में क्षेत्रीय असंतुलन को दूर करने का वादा किया था।