Health Tips : मानसून में कान का भी रखें ध्यान

 

– डॉ नईम अहमद सिद्दीकी

मौसम में गर्मी के साथ नमी व आद्रता भी बढ़ गई है। जिससे फंगल या फिर संक्रमण का खतरा बढ़ रहा हे। साधारण इंफ्लूएंजा के साथ ही इस मौसम में कान के संक्रमण के मामले भी अधिक देखे जा रहे हैं, कान शरीर का ऐसा अंग है, जिसकी साफ सफाई को सबसे अधिक नजरअंदाज किया जाता है। विशेषज्ञों की मानें तो आद्रता के मौसम में भी खास रूप से कान की साफ सफाई पर ध्यान दिया जाना चाहिए। कान के मुख्यत दो काम होते हैं, पहला सुनना और दूसरा शरीर का संतुलन बनाए रखना। इसलिए कान की देखभाल बहुत जरूरी है। कान के मुख्य रूप से तीन भाग होते हैं, पहला बाहरी भाग, दूसरा मध्यवर्ती भाग और तीसरा अंदरूनी भाग, कान की समस्याएं भी बीमारियों भी अलग अलग होती है, जिसका इलाज बेहद सावधानी से किया जाना चाहिए।
कान का बहना- यह समस्या आमतौर लोगों को होती है, जोकि बाहरी या मध्यभाग पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है। काना बहने की समस्या दो तरह से होती है, पहला बाहरी कान से बहाव, दूसरा मध्य भाग से बहाव,
बाहरी भाग से बहाव, बाहरी कान का बहाव मुख्य रूप से फंगल इंफेक्शन, फफूंद या ऐसे ही अन्य तरह के संक्रमण की वजह से होता है। आमतौर यह संक्रमण बरसात के समय पर होता है, जबकि वातावरण में काफी नमी होती है, कान में पानी चले जाने या गीला रह जाने पर मौजूद मैल के साथ मिलकर यह संक्रमण का रूप ले लेता है। ऐसे में कान में तेज दर्द होता है, साथ ही कान के बहने व सुनने की क्षमता कम होने का भी खतरा रहता है। इलाज- कान की किसी भी समस्या का इलाज संभव है, इसका सबसे बेहतर इलाज है कि कान की समुचित तरीके से साफ सफाई की जाए, तथा बाहरी संक्रमण से बचने के लिए ड्राप का प्रयोग किया जाए।
मध्यभाग में बहाव- ऐसा कान के पर्दे में छेद की वजह से होता है, पर्दे के पीछ स्थित हडि्यों मे संक्रमण की वजह से यह संक्रमण होता है। यह संक्रमण की गंभीर स्थिति होती है, जिसमें कान में से दुर्गंध आने लगती है। इस स्थिति में किसी बेहतर ईएनटी विशेषज्ञ से मिलकर ही इलाज कराना चाहिए, अकसर कान के संक्रमण के लिए लोग देशी नीम हकीमों के पास जाते हैं, इसका इलाज सर्जरी द्वारा संक्रमित हड्डी को निकालकर और ग्राफिटंग द्वारा छेद को बंद करके किया जाता है। इसके चिकित्सीय भाषा में मास्टोआईडेक्टमी (कान की हड्डी को ऑपरेशन कर निकालना) और टायम्पोप्लास्टी (कान का ऑपरेशन कर नया पर्दा बनना) कहा जाता है। इन दो मामूली प्रोसिजर से कान की तकलीफ का इलाज संभव है। इसके साथ ही कान की देखभाल भी जरूरी है, इसके लिए कान की नियमित सफाई करें, कान में किसी भी तरह का तेल न डालें, कान साफ करने के लिए ईयरबड का प्रयोग करें, एक दूसरी के हेडफोन या लीड का प्रयोग न करें, तेज आवाज की ध्वनि से दूर रहें साथ ही दर्द होने की स्थिति में चिकित्सक से मिलें। कान की अधिकांश समस्याओं का इलाज संभव है, इसलिए देर होने से पहले चिकित्सक से मिलें।

(- डॉ नईम अहमद सिद्दीकी, ईएनटी विशेषज्ञ)