सऊदी अरब में फांसी का बढ़ता चलन: 2024 में 345 लोगों को दी गई मौत की सजा, 2025 में भी नया रिकॉर्ड संभावित

 

रियाद/नई दिल्ली। मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने खुलासा किया है कि सऊदी अरब में 2024 में कुल 345 लोगों को फांसी दी गई, जो पिछले तीन दशकों में सबसे अधिक है। वहीं, 2025 के पहले छह महीनों में ही 180 लोगों को मौत की सजा दी जा चुकी है, जिससे आशंका है कि इस वर्ष फिर एक नया रिकॉर्ड बन सकता है।

एमनेस्टी और रिप्रीव जैसे मानवाधिकार संगठनों ने इस रुझान पर गंभीर चिंता जताई है, विशेषकर इस तथ्य पर कि इस साल फांसी पाए दो-तिहाई से अधिक लोग गैर-हिंसात्मक ड्रग मामलों से जुड़े थे। यानी ऐसे मामले जिनमें किसी की जान नहीं गई, फिर भी सजा मौत की दी गई।

विदेशी नागरिक भी निशाने पर

एमनेस्टी के अनुसार, 25 विदेशी नागरिकों को ड्रग तस्करी के आरोप में मौत की सजा सुनाई गई है। इनमें मिस्र के नागरिक इस्साम अहमद भी शामिल हैं, जिन्हें कथित तौर पर बंदूक की नोक पर जबरन एक पैकेट ले जाने को कहा गया था। उनका परिवार कहता है कि उन्हें न तो कानूनी प्रक्रिया की सही जानकारी थी, न ही उन्हें कोई उचित कानूनी सहायता मिल सकी। एक परिजन ने कहा, “हर सुबह हमें डर सताता है कि कहीं चुपचाप फांसी न दे दी जाए। अब हम जीते हुए भी मरे हुए हैं।”

वादों के बावजूद कार्रवाई जारी

सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने 2022 में घोषणा की थी कि मौत की सजा केवल हत्या जैसे जघन्य अपराधों के लिए सीमित की जाएगी। इससे पहले 2021 में देश के मानवाधिकार आयोग ने भी कहा था कि ड्रग मामलों में फांसी पर रोक लगाई जाएगी। लेकिन बिना कोई स्पष्ट सफाई दिए यह रोक तीन वर्षों के भीतर समाप्त कर दी गई और अब मौत की सजा फिर से ड्रग मामलों में धड़ल्ले से दी जा रही है।

अंतरराष्ट्रीय चिंता और अपील

मानवाधिकार संगठनों ने सऊदी अरब से फांसी की सजा पर तत्काल रोक लगाने, विशेषकर गैर-हिंसात्मक मामलों में, तथा विदेशी नागरिकों को कानूनी सहायता प्रदान करने की मांग की है। एमनेस्टी ने इसे “न्याय प्रक्रिया का गंभीर उल्लंघन” करार दिया है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इस मुद्दे पर सऊदी सरकार से जवाब मांगने की अपील की है।

सऊदी अरब की इस नीति से न केवल देश की अंतरराष्ट्रीय छवि प्रभावित हो रही है, बल्कि यह मानवाधिकारों के सार्वभौमिक सिद्धांतों का भी उल्लंघन है। अब देखना यह है कि क्या सऊदी शासन इस दिशा में कोई ठोस और मानवीय कदम उठाता है या यह फांसी देने की तेज़ रफ्तार यूं ही जारी रहती है।