नई दिल्ली। आज पूरा देश स्वतंत्रता दिवस की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है। यह आजादी देश के लाखों लोगों की कुर्बानी के बाद मिली है। कई जवान शहीद हुए। स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना सर्वस्व न्योछावर किया है। उसके बाद आज हम खुशी मना रहे हैं।
रविवार की सुबह पूरे देश की ओर से राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रीय समर स्मारक पहुंचकर श्रद्धांजलि अर्पित की। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत, सेना प्रमुख एम.एम.नरवणे और नौसेना प्रमुख करमबीर सिंह भी मौजूद रहे।
इससे पहले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने देश के नाम अपने संबोधन में भी अपनी श्रद्धांजलि दी थी। उन्होंने कहा था कि पचहत्तर साल पहले जब भारत ने आजादी हासिल की थी, तब अनेक लोगों को यह संशय था कि भारत में लोकतंत्र सफल नहीं होगा। ऐसे लोग शायद इस तथ्य से अनभिज्ञ थे कि प्राचीन काल में, लोकतंत्र की जड़ें इसी भारत भूमि में पुष्पित-पल्लवित हुई थीं। आधुनिक युग में भी भारत, बिना किसी भेद-भाव के सभी वयस्कों को मताधिकार देने में अनेक पश्चिमी देशों से आगे रहा। हमारे राष्ट्र-निर्माताओं ने जनता के विवेक में अपनी आस्था व्यक्त की और ‘हम भारत के लोग’ अपने देश को एक शक्तिशाली लोकतंत्र बनाने में सफल रहे हैं।
President Ram Nath Kovind visited the National War Memorial and paid homage to the martyrs who made supreme sacrifice in the line of duty. On the occasion of 75th Independence Day, a grateful nation salutes its brave soldiers. pic.twitter.com/eGqE61QGRi
— President of India (@rashtrapatibhvn) August 15, 2021
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा था कि हमें यह एहसास है कि आज़ादी के लिए मर-मिटने वाले स्वाधीनता सेनानियों के सपनों को साकार करने की दिशा में हमें अभी काफी आगे जाना है। वे सपने, हमारे संविधान में, ‘न्याय’, ‘स्वतन्त्रता’, ‘समता’ और ‘बंधुता’ इन चार सारगर्भित शब्दों द्वारा स्पष्ट रूप से समाहित किए गए हैं। असमानता से भरी विश्व व्यवस्था में और अधिक समानता के लिए तथा अन्यायपूर्ण परिस्थितियों में और अधिक न्याय के लिए, दृढ़तापूर्वक प्रयास करने की आवश्यकता है। न्याय की अवधारणा बहुत व्यापक हो गयी है जिसमें आर्थिक और पर्यावरण से जुड़ा न्याय भी शामिल है। आगे की राह बहुत आसान नहीं है। हमें कई जटिल और कठिन पड़ाव पार करने होंगे, लेकिन हम सबको असाधारण मार्गदर्शन उपलब्ध है। यह मार्गदर्शन विभिन्न स्रोतों से हमें मिलता है। सदियों पहले के ऋषि-मुनियों से लेकर आधुनिक युग के संतों और राष्ट्र-नायकों तक हमारे मार्गदर्शकों की अत्यंत समृद्ध परंपरा की शक्ति हमारे पास है। अनेकता में एकता की भावना के बल पर, हम दृढ़ता से, एक राष्ट्र के रूप में आगे बढ़ रहे हैं।