भारत प्रौद्योगिकी प्रेरित मधुमेह देखभाल का नेतृत्व करने के लिए तैयार

डीटेककॉन 2023 (वर्ल्ड कॉग्रेस ऑफ डायबिटिज टेक्नोलॉजी एण्ड थेराप्यूटिक्स) एक वैश्विक सम्मेलन है जो प्रौद्योगिकी और थेराप्यूटिक्स के क्षेत्र में नवीनतम विकास के लिए समर्पित है। इसके अतिरिक्त, इंसुलिन पंप, निरंतर ग्लूकोज निगरानी, पॉइंट ऑफ केयर और फ्यूचरिस्टिक थेरेपी की गहरी समझ के लिए कार्यशालाओं और हैंड्स-ऑन प्रशिक्षण की योजना बनाई गई है।

नई दिल्ली। केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ जितेन्द्र सिंह ने कहा है कि भारत प्रौद्योगिकी आधारित मधुमेह देखभाल का नेतृत्व करने के लिए तैयार है।

यहां ‘डायबिटीज टेक्नोलॉजी एंड थेरेप्यूटिक्स 2023’ (डीटेककॉन 2023) की तीन दिवसीय विश्व कांग्रेस को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए डॉ जितेंद्र सिंह, जो स्वयं एक प्रसिद्ध डायबेटोलॉजिस्ट और प्रोफेसर भी हैं, ने कहा कि महामारी से सफलतापूर्वक निपटने के बाद स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में शेष विश्व भारत की ओर देख रहा है। उन्होंने कहा कि तकनीकी और मानव संसाधन की दृष्टि से हम अन्य देशों से बहुत आगे हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत तेजी से अधिक से अधिक तकनीक जानकार बन रहा है, विशेषकर नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री के रूप में पदभार संभालने के बाद क्योंकि वह व्यक्तिगत रूप से विज्ञान और प्रौद्योगिकी नवाचारों को बढ़ावा दे रहे हैं। मंत्री महोदय ने कहा कि विज्ञान के प्रति प्रधानमंत्री की सोच स्वाभाविक है और पिछले नौ वर्षों से उनके साथ काम करने के कारण वह अच्छी तरह कह सकते हैं कि मोदी अपनी टीम को विचारों को विकसित करने और उन्हें लागू करने की स्वतंत्रता देते हैं।

उन्होंने कहा कि यह इस तथ्य से स्पष्ट है कि 2014 से पहले लगभग 350 स्टार्ट अप थे, लेकिन प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा अपने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में लाल किले के प्राचीर से स्पष्ट आह्वान करने और 2016 में विशेष स्टार्ट-अप योजना शुरू करने के बाद, स्टार्टअप में 100 से अधिक यूनिकॉर्न के साथ 90,000 से अधिक की उछाल आई है। मंत्री महोदय ने कहा कि भारत को विश्व के स्टार्ट अप इको-सिस्टम में तीसरा स्थान दिया गया है।

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि इसी तरह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अंतरिक्ष क्षेत्र को निजी भागीदारी के लिए खोल दिया है, जिससे अंतरिक्ष क्षेत्र में लगभग तीन वर्षों के भीतर 100 से अधिक स्टार्ट-अप प्रारम्भ हुए हैं। उन्होंने कहा कि इसी तरह बायोटेक स्टार्ट-अप्स 2014 में लगभग 50 से बढ़कर आज लगभग 6,000 हो गए हैं।

हाल में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय क्वांटम मिशन के शुभारंभ को मंजूरी दी जो, देश में चिकित्सा निदान और उपचार को भी बढ़ावा देगा। मंत्री महोदय ने कहा कि भारत विश्व के उन गिने-चुने देशों में से एक है जिसने राष्ट्रीय क्वांटम मिशन शुरू किया है।

मंत्री महोदय ने कहा कि टेलीमेडिसिन के क्षेत्र में हमारे पास विश्व के कुछ सर्वश्रेष्ठ स्टार्ट-अप हैं। इन स्टार्ट-अप समूहों ने आर्टिफिशियल इंटलीजेंस (एआई) डॉक्टरों को विकसित किया है। इसके एप्पलीकेशन का उदाहरण देते हुए मंत्री महोदय ने कहा कि उनकी टीम ने उनके निर्वाचन क्षेत्र में लगभग 60 दूरवर्ती गांवों को चुना और ‘डॉक्टर ऑन व्हील्स’ नामक एक टेलीमेडिसिन वैन को काम में लगाया। उन्होंने कहा कि टीम ने सभी 60 गांवों में इसे 3 महीने तक चलाया और बहुत कम समय में सर्वोत्तम परामर्श प्रदान किया गया।

मंत्री ने कहा कि भारत न केवल प्रौद्योगिकी अग्रणी बन रहा है, बल्कि एक विशाल चिकित्सा पर्यटन केन्द्र भी बन रहा है। डॉ. जितेन्द्र सिंह ने स्वास्थ्य सेवा को दी गई उच्च प्राथमिकता के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सराहना करते हुए कहा कि यह प्रधानमंत्री मोदी के व्यक्तिगत हित और हस्तक्षेप के कारण था कि दो वर्षों के भीतर भारत ने न केवल बहुत छोटे देशों की तुलना में कोविड महामारी का सफलतापूर्वक प्रबंधन किया, बल्कि डीएनए वैक्सीन ला दिया और इसे अन्य देशों को भी प्रदान करने में सफल रहा।

मंत्री महोदय ने कहा कि भारत के विश्व में मधुमेह अनुसंधान के अग्रिम मोर्चे पर होने के कारण मधुमेह की रोकथाम न केवल स्वास्थ्य सेवा के प्रति हमारा कर्तव्य है, बल्कि राष्ट्र निर्माण के प्रति भी हमारा कर्तव्य है क्योंकि यह 40 वर्ष से कम आयु की 70 प्रतिशत आबादी वाला देश है और आज के युवा India@2047 के प्रमुख नागरिक बनने जा रहे हैं। उन्होंने आगाह किया कि हम डाइबिटिज मेलेटस और अन्य संबंधित विकारों या इसकी जटिलताओं के फलस्वरूप होने वाली जटिलताओं में उनकी ऊर्जा को बर्बाद नहीं होने दे सकते।