Bihar Politics : क्या किसी नई राजनीतिक बिसात की तैयारी कर रहे हैं नीतीश कुमार

राजनीति को कई अर्थ देने वाली बिहार में आजकल कुछ घटनाएं एक के बाद एक हो रही है। नीतीश कुमार दूसरे दलों के नेताओं से मिल रहे हैं और उनके जदयू के नेता इसकी मार्केटिंग कर रहे हैं, कहीं यह नई राजनीतिक चाल तो नहीं ...

नई दिल्ली/पटना। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राजनीति के पुराने और मंझे हुए खिलाड़ी हुए हैं। बिहार की सत्ता गलियारे में बीते दो दशक से इनकी धमक है। इनके सियासी चालों ने भाजपा सहित कई दूसरे दलों को सकते में डाला है। हाल के दिनों में बिहार की राजनीतिक बयार में कई संभावनाएं बनती-बिगड़ती दिख रही है।

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओेमप्रकाश चौटाला से नीतीश कुमार का मिलना। जदयू नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा का नीतीश कुमार को एक बार फिर से पीएम मैटेरियल कहना और जदयू के नए अध्यक्ष के रूप में ललन सिंह की ताजपोशी का समय, राजनीतिक पंडितों के लिए कई सवाल छोड़ गया है। राजनीति संभावनाओं का खेल है और यहां कोई स्थायी दोस्त अथवा दुश्मन नहीं होता है।

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला से नीतीश कुमार की मुलाकात को कई अर्थ दिए जा रहे हैं। इसे तीसरा मोर्चा की अंदरूनी लहर भी कहने से कई लोग परहेज नहीं कर रहे हैं। हालांकि रविवार को स्वयं नीतीश कुमार ने कहा कि इनके प्रति हम लोगों का बहुत सम्मान है। बहुत पुराना संबंध है। इस मुलाकात का कोई राजनीतिक मतलब नहीं है। कोई राजनीतिक चर्चा नहीं हुई।

दूसरी ओर पूर्व केंद्रीय मंत्री व जदयू नेता उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि आज की तारीख में नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री हैं और वे अच्छा काम कर रहे हैं लेकिन उनके अलावा और भी लोग प्रधानमंत्री बनने की सलाहियत रखते हैं, उनमें नीतीश कुमार का नाम भी है तो स्वाभाविक रूप से नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री मैटेरियल कहा ही जाना चाहिए।