नई दिल्ली। कहने को लोग चाहे जो कहें, लेकिन एक बड़ा सच यह है कि निश्चित रूप से सोशल मीडिया (Social Media) के आने से समाज में एक जागृति सी आई है। लेकिन, सिक्के का दूसरा पहलू यह है कि इसके जरिये गंध भी इस कदर फैलाई जाती है जो समाज में आपसी विग्रह को पैदा करता है। अभी हाल ही में एक तथाकथित बड़े पत्रकार को सोशल मीडिया पर देखा, तो उन्हें सुनने का मन हुआ। वह हिन्दू-मुस्लिम की बात कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जो मैं बताने जा रहा हूं, उसे आप किसी अखबारकृटेलीविजन पर न पढ़ेंगे और न ही देखेंगे। हिंदू-मुस्लिम झगड़े के तीन उदाहरण उन्होंने दिए, जिनमें एक में हिन्दू सदाशयता की बात थी, जबकि दो घटनाएं मुस्लिम विरोधी थीं।
वरिष्ठ पत्रकार निशिकांत ठाकुर बताते हैं कि सर चार्ल्स लॉर्ड मेटकैफ और लॉर्ड मैकाले के बीच बातचीत हो रही थी। लॉर्ड मैकाले ने कहा— ‘इन काले, घिनौने और अंधविश्वासी भारतीयों के बीच रहना तो अत्यंत मुश्किल है। बेशक, खासकर तब जबकि आप न तो उनके देश की भाषा जानते हैं, न उनसे कोई सहानुभूति रखते हैं। सच तो यही है, लेकिन मुझे दो काम करने हैं -पहला यह कि मैं उनके लिए जो कानून बनाऊं, उसमें मुझे एक ही बात नजर में रखना पड़ेगा कि उनके द्वारा अंग्रेजी सरकार के हाथ मजबूत हों और सर्वसाधारण असहाय रह जाए। मेरा दूसरा काम यह होगा कि मैं कंपनी की सरकार को यह सलाह दूं और उसके सामने शिक्षा की ऐसी योजना पेश करूं जिससे भारतीयों को अंग्रेजी सिखाकर उनकी सहायता से अंग्रेज हिंदुस्तान पर हुकूमत करें। वह इसलिए, क्योंकि हिन्दुस्तानियों में राष्ट्रीय भावना पैदा ही न होने पाए।
निस्संदेह यह एक बड़ा खतरा है, लेकिन मेरा दृष्टिकोण यह है कि अंग्रेज आसानी से भारत में चिरस्थायी रहे।’ इस कार्य को अंजाम देने के लिए मैकाले ने तीस वर्ष का समय मांगा और उसने कहा कि तीस वर्ष के अंदर भारत में कोई मूर्ति पूजक नहीं बचेगा, सारे—के—सारे स्वयं ईसाई बन जाएंगे और भारत चिरकाल तक अंग्रजों का गुलाम बना रहेगा। भारत के लिए कितने दुर्भाग्यपूर्ण दिन थे जब ईस्ट इंडिया कंपनी के नाम पर अंग्रेजों ने हमारे मुल्क को लूट लिया, लेकिन किसी ने उन्हें चोर नहीं कहा। अमेरिका वाले जानलेवा दवाएं और लड़ाकू जहाज बेचकर सारी दुनिया का पैसा खींच रहा है, उसे कोई चोर नहीं कहता। बाजार में इलेक्ट्रानिक सामग्री और कार लाकर जापान पूरी दुनिया का पैसा अंदर—ही—अंदर चूस रहा है, पर उसे कोई…..।
दरअसल, बता दें कि इस साल 25 फरवरी को सूचना प्रौद्योगिकी और सूचना और प्रसारण मंत्रालयों ने सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 की घोषणा की थी। घोषणा हो गई, साथ ही उन्हें तीन महीने का समय दिया गया। जिसमें उनका पालन करने को कहा गया था। भारत में सक्रिय सोशल मीडिया कंपनियां ने नए नियमों को सुना और उनके कानों में जूं तक नहीं रेंगी। सब कुछ ज्यों का त्यों ही रहा। दिन बीतते रहे और तीन महीनों की समय सीमा समाप्त हो रही है। इसका बेचैन करने वाला असर पड़ा है उन भारतीयों को जो धड़ल्ले से सोशल मीडिया का प्रयोग चैबीस घंटे करते हैं। उन्हें डर है कि कहीं ये सेवाएं भारत में बंद ना हो जाएं। वैसे उनका डर लाजमी है। आखिर आदतन शुमार हो चुका है सोशल मीडिया उनकी जिंदगी में।