Madhya Pradesh : कमलनाथ के गढ़ को तोड़ पाएंगे कैलाश विजयवर्गीय !

 

भोपाल। छिंदवाड़ा में प्रचार के निर्णायक दौर में मैनेजमेंट किसका भारी यह वह सवाल है ..जिसने पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और मोहन सरकार के मंत्री कैलाश विजयवर्गीय को आमने-सामने लाकर खड़ा कर दियाहै.. कमलनाथ और कैलाश दोनों चुनाव नहीं लड़ रहे.. लेकिन नाथ को चिंता अपने सांसद पुत्र नकुलनाथ को एक बार फिर लोकसभा में पहुंचने की.. तो कैलाश को चिंता अपने नेता अमित शाह के भरोसे पर खड़ा उतर कर दिखाने की.. अमित शाह और समूची भाजपा को मोदी की गारंटी पर भरोसा तो कमलनाथ अंतिम समय में इमोशनल कार्ड के जरिए यह चुनाव जीतना चाहते हैं..

विकास पर छिंदवाड़ा मॉडल हो या मोदी का मॉडल इस बहस के बीच कई मुद्दे पीछे छूट गए तो उम्मीदवार के चेहरे की चमक भी फीकी पड़ती नजर आ रही है। मैनेजमेंट एक साथ कई मोर्चों पर छिंदवाड़ा की जीत और हार में बड़ी भूमिका निभाने जा रहा है.. कैलाश विजयवर्गीय करेंगे ‘कमलनाथ’ के गढ़ में करिश्मा..!

कमलनाथ का गढ़ यानी छिंदवाड़ा.. और कैलाश का मतलब एक अनुभवी भाजपा के नीति निर्धारक और चुनावी चाणक्य कहे जाने वाले प्रमुख रणनीतिकार केंद्रीय मंत्री अमित शाह के भरोसेमंद.. कमलनाथ कांग्रेस के सबसे वरिष्टतम नेताओं में से एक जो फिलहाल मध्य प्रदेश की दूसरी 28 सीटों से दूरी बनाते हुए परंपरागत अपनी छिंदवाड़ा सीट से पुत्र नकुलनाथ को एक बार फिर लोकसभा में भेजने के लिए उसे 29वीं सीट तक खुद को सीमित किए हुए, जहां फिलहाल कांग्रेस का कब्जा..

इसी पर कांग्रेस से ज्यादा कमलनाथ की प्रतिष्ठा व्यक्तिगत तौर पर दांव पर लगी हुई है..तो हर चुनौती को स्वीकार करने वाले हाईकमान की लाइन पर खरा उतर परिणाम मूलक साबित करने में यकीन रखने वाले भाजपा के आक्रामक रणनीतिकार कैलाश विजयवर्गीय का करिश्मा भी भाजपा की उम्मीद बनकर सामने है.. मध्य प्रदेश की वह 29वीं लोकसभा सीट जिस पर मोदी शाह की नजर तो जिस पर मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा का नेतृत्व उनकी दूरदर्शिता कसौटी पर लग चुकी है..

चुनाव का चेहरा भाजपा की ओर से मोदी तो कांग्रेस की ओर से कमलनाथ..मैदान में भले ही नकुलनाथ के सामने भाजपा जिला अध्यक्ष विवेक साहू बंटी लेकिन कहीं ना कहीं केंद्रीय गृहमंत्री और राज्यों की राजनीति को मोदी के मुताबिक जमीन पर उतारने वाले अमित शाह की बिसात यहां गौर करने लायक है…

विवेक साहू यदि विरोधियों के निशाने पर तो अपनों के बीच उनकी अनबन पार्टी की कमजोर कड़ी बन चुकी थी.. प्रदेश नेतृत्व को बंटी की स्वीकार्यता बनाने के लिए कड़ी मेहनत करना पड़ी.. भाजपा में टिकट के दूसरे दावेदार उनके समर्थक और कांग्रेस से आए आयातित नेताओं के मुद्दे ने भी पार्टी की परेशानी बढ़ाई है..

यूं तो भाजपा संगठन की कई स्तर की जिम्मेदारी महत्वपूर्ण नेताओं को सौंप दी गई है लेकिन बड़ी जिम्मेदारी मोहन सरकार की वरिष्ठ नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय को जबलपुर संभाग के तहत खासतौर से छिंदवाड़ा की सौंपी गई है..कमलनाथ के इस गढ़ में बीजेपी कमल खिलाने के लिए इस बार न सिर्फ कुछ ज्यादा ही आतुर है.. मोदी सरकार के लिए जरूरी जीत की हैट्रिक के लिए यहां केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के रोड शो से माहौल बदल उसे परिणाम मूलक साबित करने के लिए जरूरी सफल और उसे प्रचार की निर्णायक कड़ी बनाने के लिए कैलाश जुटे हुए है..

कैलाश यहां माइक्रो मैनेजमेंट के साथ प्रेशर पॉलिटिक्स की लाइन पर प्रभावी बढ़त बनाते हुए कमलनाथ के कई समर्थकों को भाजपा में लाने में काफी हद तक सफल रहे..चुनाव जीतने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चेहरा तो अमित शाह की रणनीति के साथ कैलाश विजयवर्गीय ने सिर्फ कांग्रेस और विरोधियों के लिए बड़ा दिल दिखा कर दरवाजे ही नहीं खोले बल्कि टिकट के दावेदार और भाजपा के रूठे नाराज नेता कार्यकर्ताओं को भरोसे में लेकर डैमेज कंट्रोल की चुनौती पर भी लगभग पार पा लिया है..कमलनाथ के बूथ मैनेजमेंट से निपटने के लिए कैलाश ने भाजपा के बूथ कार्यकर्ताओं पर फोकस बनाया हुआ है..

किस विधानसभा और विशेष क्षेत्र में कांग्रेस की बढ़त को रोककर भाजपा का गड्ढा भरा जा सकता है यह काम कैलाश सहयोगियों को भरोसे में लेकर कर रहे हैं..भाजपा संगठन और कैडर से जुड़े नेता कार्यकर्ताओं के अलावा आयातित नेता और उनके समर्थकों की पूछ परख कर उन्हे काम पर लगाते हुए टारगेट देने में टीम कैलाश जुटी हुई है..नकुलनाथ को चुनाव जिताने के लिए कमलनाथ अपने लंबे सियासी जीवन की सारी पुण्याई के भरोसे मोर्चा खुद संभाले हुए हैं..कमलनाथ ने निर्णायक दौर में इमोशनल कार्ड खेल कर भाजपा को सोचने को मजबूर किया..

चाहे फिर वह कांग्रेस और नाथ परिवार से समर्थकों का मोह भंग होना और उस पर कमलनाथ का व्यथित होकर उन्हें कोसने की बजाय हमदर्दी जाताना..कमलनाथ को अपने समर्थक कार्यकर्ताओं के साथ जनता पर पूरा भरोसा है कि इस संघर्ष के चुनाव में वह उनका साथ जरूर देगी..अमित शाह के रोड शो से पहले राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री और मध्य प्रदेश की बड़ी जिम्मेदारी निभा रहे शिव प्रकाश का छिंदवाड़ा पहुंचने का मतलब साफ है कि पार्टी नेतृत्व और परदे के पीछे संघ भी आखिर इस चुनाव को लेकर कितना गंभीर है..

पार्टी का संकल्प पत्र जारी होने के बाद छिंदवाड़ा में कैलाश विजयवर्गीय ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मोदी के विजन,भाजपा की सोच को भारत के नवनिर्माण से जोड़कर अपनी बात भी जनता तक पहुंचाई..मोदी है तो मुमकिन है,हर गारंटी पर मोदी की गारंटी भारी जैसे सूत्र वाक्य के जरिए इस चुनाव को मोदी वर्सेस कमलनाथ से आगे ले जाते हुए नकुलनाथ और नरेंद्र मोदी के बीच मुकाबला समेटने की रणनीति पर भाजपा कम कर रही है..

भाजपा उम्मीदवार विवेक साहू को कुछ व्यक्तिगत विवादों का सामना करना पड़ रहा तो पार्टी से जुड़े एक खेमे में इंटरनल तौर पर चुनौती न सही लेकिन समन्वय की कमी यहां देखी जा सकती है..कैलाश विजयवर्गीय ने काफी हद तक इस गुथ्थी को सुलझा लिया है..चाहे फिर वह अमरवाड़ा विधायक कमलेश शाह हो या फिर पूर्व मंत्री दीपक सक्सेना हो या फिर चौधरी चंद्रभान के अलावा कार्यवाहक जिला अध्यक्ष शेष राय यादव,कन्हैया राम रघुवंशी,उत्तम ठाकुर और उनके समर्थक,जो पार्टी कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं..लेकिन चुनाव थमने के अंतिम दौर में इन नेताओं का जो सियासी संदेश मतदाता तक पहुंचना चाहिए उसमें हीला हवाली देखी जा सकती है..

निशा बागरे पूर्व आईएएस अधिकारी का कांग्रेस और कमलनाथ प्रेम दिया पुरानी बात हो गई है..कमलनाथ को अपने मैनेजमेंट पर भरोसा है तो भाजपा प्रबंधन से आगे नेता कार्यकर्ता की जवाबदेही तय कर संगठन को मजबूत साबित करने की रणनीति पर काम कर रही है.. सोशल इंजीनियरिंग खासतौर से आदिवासी मतदाताओं को लेकर गंभीर भाजपा के इस दावे में दम नजर आता है कि पिछले चुनाव का गड्ढा उसने एक साथ कई मोर्चे पर डैमेज कंट्रोल के साथ भर लिया है और जीत का दावा नए आंकड़ों के साथ जरूर सामने आएगा..इसे भाजपा की रणनीति कहें या कैलाश का प्रबंधन जो गोंडवाना पृष्ठभूमि से जुड़े दो छोटे क्षेत्रीय दलों के प्रतिनिधि छिंदवाड़ा लोकसभा चुनाव में कमलनाथ और कांग्रेस उम्मीदवार नकुलनाथ की परेशानी बढ़ा सकते हैं.. प्रदेश की दूसरी लोकसभा सीटों की तुलना में कमलनाथ छिंदवाड़ा में कांग्रेस की सबसे मजबूत कड़ी ही नहीं चुनाव की धुरी बन चुके हैं.. जबकि नकुलनाथ सिर्फ गैरों ही नहीं अपनों के निशाने पर लेकिन चुनाव जीतने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं..

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रहते कमलनाथ जब भाजपा को सत्ता में लौटने से नहीं रोक पाए.. तभी से उनके नेतृत्व पर सवाल खड़े होना शुरू हो गया थे.. दिल्ली से दूरी बनाकर चल रहे नाथ से जब प्रदेश संगठन की कमान लेकर जीतू पटवारी को सौंप गई.. तो फिर पार्टी के अंदर कमलनाथ की नई भूमिका को लेकर चर्चा शुरू हो गई थी.. लोकसभा चुनाव से ठीक पहले प्रचार के शुरुआती दौर में जब भाजपा ने विरोधियों के लिए अपने दरवाजे खोल दिए.. इस बीच नकुलनाथ के चुनाव लड़ने और फिर किस पार्टी से लड़ने की अटकलें शुरू हुई और घटनाक्रम तेजी से बदला भोपाल से लेकर दिल्ली तक पिता पुत्र कमलनाथ और नकुलनाथ के भाजपा में शामिल होने की चर्चाएं जोर पकड़ने लगी.. लेकिन इसे कयासबाजी कहे या फिर बात बनते बनते बिगड़ जाना नकुलनाथ का कांग्रेस से चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया गया.. यह पहला मौका था जब नाथ परिवार का उनके समर्थकों ने साथ छोड़ा और भाजपा ने आक्रामक रुख अख्तियार कर छिंदवाड़ा को रडार पर ले लिया..

अब प्रचार के निर्णायक दौर में कई समर्थकों का नाथ से मोह भंग होने के बाद और दूसरे विवाद खड़े हो गए.. भाजपा उम्मीदवार विवेक साहू बंटी द्वारा पुलिस में अश्लील वीडियो के मुद्दे पर मुकदमा दर्ज कराने से विवाद और बढ़ गया क्योंकि पुलिस की जांच के दायरे में कमलनाथ के भरोसेमंद उनके ओएसडी आ चुके हैं.. कुल मिलाकर चुनाव प्रचार थमने से कुछ घंटे पहले भाजपा हो या कांग्रेस या फिर कमलनाथ हो या उनके सामने कैलाश का प्रबंध, भाजपा का बूथ मैनेजमेंट के साथ और दूसरे मोर्चे पर जमावट ही इस चुनाव के परिणाम को एक नई दिशा देगी.. यहां चुनाव कांग्रेस नहीं पिता पुत्र कमलनाथ और नकुलनाथ लड़ रहे हैं तो उधर भाजपा को मोदी मैजिक मोदी की गारंटी पर जीत का पूरा भरोसा है.. भाजपा कमलनाथ को अभी भी हल्के में नहीं ले रही लेकिन इसलिए उसकी कोशिश सीधे मुकाबले में नकुलनाथ की नेतृत्व क्षमता पर सवाल खड़ा कर तीसरी बार नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए छिंदवाड़ा में कमल खिलाना क्यों जरूरी यह उम्मीदवार विवेक साहू को पीछे रखते हुए मतदाता को हर हाल में समझा देना चाहती है.. भाजपा को भरोसा है अमित शाह के छिंदवाड़ा प्रवास और रोड शो से माहौल एक तरफ हो जाएगा..