रामेश्वरम। भारत की सभ्यतागत एकता और सांस्कृतिक विरासत को सशक्त करने वाली पहल काशी तमिल संगमम् 4.0 का मंगलवार को रामेश्वरम में भव्य समापन हुआ। इस अवसर पर उपराष्ट्रपति श्री सी. पी. राधाकृष्णन, केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान, केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण तथा संसदीय कार्य राज्यमंत्री डॉ. एल. मुरुगन, तमिलनाडु के राज्यपाल श्री आर. एन. रवि, पुडुचेरी के उपराज्यपाल के. कैलाशनाथन सहित कई गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे।
भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा आयोजित काशी तमिल संगमम् 4.0 का शुभारंभ 2 दिसंबर 2025 को काशी में हुआ था। समापन समारोह को संबोधित करते हुए केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि तमिल सीखना केवल एक भाषा सीखना नहीं है, बल्कि यह भारत के प्राचीन ज्ञान, दर्शन और सभ्यतागत परंपराओं का द्वार खोलता है।
उन्होंने कहा कि काशी तमिल संगमम् की परिकल्पना प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में की गई थी। प्रधानमंत्री का दृष्टिकोण इसे केवल एक सांस्कृतिक कार्यक्रम तक सीमित नहीं रखता, बल्कि यह एक सभ्यतागत पहल है, जिसका उद्देश्य देशवासियों को भारत की जीवंत परंपराओं से जोड़कर भावनात्मक और सांस्कृतिक एकता को मजबूत करना है।
तमिल ज्ञान, दर्शन और विज्ञान की भाषा
श्री प्रधान ने बताया कि काशी तमिल संगमम् 4.0 का विषय ‘तमिल सीखें, तमिल करकलाम’ रखा गया, जो एक गहरे सभ्यतागत उद्देश्य को दर्शाता है। तमिल भाषा ज्ञान, विद्वत्ता और व्यावहारिक दर्शन का समृद्ध स्रोत है। इसके माध्यम से व्यक्ति नैतिकता, शासन व्यवस्था, गणित, खगोल विज्ञान, चिकित्सा, पारिस्थितिकी, वास्तुकला, साहित्य और सामाजिक संरचनाओं की गहन समझ प्राप्त करता है। तमिल साहित्य सदियों के बौद्धिक चिंतन और श्रम का सार है।
उन्होंने कहा कि यह संगमम् ज्ञान को संरक्षित करने के साथ-साथ उसे जीवन के अनुभवों से जोड़ता है। जीवित ज्ञान परंपराएं केवल ग्रंथों तक सीमित नहीं रहतीं, बल्कि समाज और जीवन पद्धति का हिस्सा बन जाती हैं। भाषा इस ज्ञान की सबसे सशक्त वाहक होती है।
विकसित भारत 2047 और सांस्कृतिक एकता
केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि विकसित भारत 2047 की ओर बढ़ते हुए विकास को केवल आर्थिक मानकों से नहीं मापा जा सकता। नवाचार, नेतृत्व और राष्ट्रीय दृष्टि को स्पष्टता मिलती है जब ज्ञान, संस्कृति और विविधता का सम्मान किया जाता है। भारत की एकता तभी मजबूत होती है जब विविधता को अपनाया जाए और सभ्यता को विनम्रता के साथ आगे बढ़ाया जाए।
उन्होंने कहा कि काशी तमिल संगमम् 4.0 ने काशी और तमिलनाडु के बीच प्राचीन और बहुआयामी संबंधों को और मजबूत किया है तथा ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना को सशक्त किया है। रामेश्वरम में हुआ समापन समारोह सभ्यतागत विरासत, संस्कृति, इतिहास और प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत संगम बना।
पहली बार यूपी के छात्रों ने सीखी तमिल
गौरतलब है कि काशी तमिल संगमम् का यह चौथा संस्करण था। इससे पहले इसके तीन संस्करण सफलतापूर्वक आयोजित हो चुके हैं। इस बार का संगमम् विशेष रूप से इसलिए भी ऐतिहासिक रहा क्योंकि पहली बार उत्तर प्रदेश के छात्रों को तमिल भाषा सिखाने पर विशेष जोर दिया गया।
इसके तहत तमिलनाडु से आए करीब 50 शिक्षकों ने काशी के विभिन्न स्कूलों में तमिल पढ़ाई, वहीं काशी क्षेत्र के लगभग 300 छात्रों ने तमिलनाडु जाकर तमिल भाषा सीखी।
काशी तमिल संगमम् 4.0 ने एक बार फिर यह संदेश दिया कि भाषा, संस्कृति और ज्ञान के माध्यम से भारत की आत्मा को जोड़ा जा सकता है।





















