नई दिल्ली। भारत का मित्र देश ईरान है। दोनों देशों के बीच अच्छे व्यापारिक संबंध भी हैं, लेकिन कल सुबह वहां से एक बुरी खबर आई। ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की हेलीकॉप्टर हादसे में मौत हो गई। उनके साथ जा रहे ईरान के विदेश मंत्री सहित कुल नौ लोग हादसे में मारे गए। विमान हादसे के पीछे मौसम और घने कोहरे को जिम्मेदार बताया गया है। विमान के मलबे की खोज तुर्किए के ड्रोन ने की है। विमान का पता चलने के बाद रेस्क्यू टीम वहां पहुंची और फिर शवों को वहां से निकाला गया। ईरानी मीडिया के मुताबिक शव बुरी तरह से झुलस चुके थे और रेस्कयू टीम ताबूत में शवों को ले गई। विमान लापता होने के 12 घंटे बाद आधिकारिक तौर पर रईसी की मौत की आधिकारिक घोषणा की गई। इसके बाद ईरान में शोक ठहर गई। सड़कों पर लोग एकट्ठा हो गए और ईरान में मातम पसर गया। वहां महिलाओं और पुरुषों की आंखों में आंसू थे।
अभी तक तो इब्राहिम रईसी के हेलीकॉप्टर क्रैश के लिए मौसम को जिम्मेदार बताया जा रहा है। लेकिन कई सवाल अभी भी अधूरे हैं। सोशल मीडिया पर पूरे दिन कल इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद ट्रेंड करती रही। इब्राहिम रईसी के हेलीकॉप्टर क्रैश के बाद मोसाद पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं। मोसाद इजरायल की खुफिया एजेंसी है, जिसे दुनिया में सबसे खतरनाक खुफिया एजेंसी में गिना जाता है। मोसाद अपने दुश्मन को ढूंढ़ कर मारने के लिए जानी जाती है। रईसी के हेलीकॉप्टर क्रैश में ईरान ने अभी तक मोसाद का नाम नहीं लिया है। लेकिन मोसाद का कनेक्शन जोड़ा जा रहा है। सोशल मीडिया पर ईरानी राष्ट्रपति की मौत के पीछे मोसाद का हाथ होने का दावा कर रहे हैं।
एक एक्स यूजर ने एक पोस्ट शेयर की है। इस पोस्ट में एक फोटो हैं जिसमें मोसाद का नाम लिखा है और नीचे हेलीकॉप्टर क्रैश की तस्वीर के साथ लिखा है ये कभी दुर्घटना नहीं हो सकती। एक एक्स यूजर ने फोटो शेयर करते हुए लिखा कि इस ऑपरेशन के पीछे नेत्नयाहू हैं। एक एक्स यूजर ने लिखा कि कुछ दिन पहले ईरान ने इजरायल पर सैकड़ों रॉकेट दागे थे। इजरायल अपने दुश्मनों को भूलता नहीं है। लौटते वक्त रईसी का हेलीकाप्टर क्रैश हुआ। वो अजरबैजान ईरान के साथ साथ इजरायल का भी करीबी है। अजरबैजान को इजरायल ने किलर ड्रोन के साथ बड़े पैमाने पर हथियार दिए हैं। उन्हीं हथियारों के बल पर अजरबैजान ने अपने दुश्मन अर्मेनिया को नागोरनोकराबाक में हराया था। अजरबैजान ने भी गाजा युद्ध के वक्त इजरायल की मदद की थी। ऐसे में कहा जा रहा है कि अजरबैजान ने मोसाद को सीक्रेट ऑपरेशन चलाने में मदद तो नहीं की। वहीं इजरायल ने इस खबरों के बाद सामने आकर सफाई दी। उसने कहा कि इस घटना में उसका कोई हाथ नहीं है।