भोपाल। प्रधानमंत्री आवास योजना सिर्फ अपने लाभार्थियों को पक्का मकान ही नहीं दे रही, बल्कि उनकी जीवनशैली बदलकर उन्हें एक सम्मानजनक जीवन जीने का मौका भी दे रही है। ऐसे ही एक लाभार्थी हैं होकालाल। मध्यप्रदेश के आगर मालवा ज़िले के सुसनेर में होकालाल का परिवार रहता है। मेहनत मजदूरी कर अपने परिवार का पालन-पोषण करने वाले होकालाल की ज़िंदगी एक वक़्त में बहुत ही ज़्यादा दयनीय थी। कच्चे मकान में पूरा परिवार किसी तरह गुज़र-बसर करता था। बारिश के दिनों में पानी ज्यादा आने से सोने बैठने की जगह तक नही रहती थी बिस्तर, खाने-पीने के सामान सभी गीले हो जाते थे। बड़े तो फिर भी किसी तरह ये सब सह लेते थे, लेकिन बच्चों का हाल बहुत बुरा हो जाता था।
होकालाल बताते हैं, “बारिश के दिनों में रहने, खाने-पीने की दिक्कत होना बहुत ही आम था। लेकिन ऐसे कच्चे मकान की वजह से जब रिश्तेदार मुंह मोड़कर चले जाते थे, तो बहुत ही बुरा लगता था। फिर एक दिन मुझे अपने दोस्तों से प्रधानमंत्री आवास योजना के बारे में पता चला। पहले तो यकीन ही नहीं हुआ कि मुझे जैसे मजदूर को भी पक्का घर मिल सकता है, लेकिन जब दोस्तों के कहने पर योजना का लाभ पाने की कोशिश की, तो कुछ ही वक़्त में माताजी पार्वती बाई के नाम मकान मिल गया। हमारे लिए तो जैसे पूरी दुनिया ही बदल गई।”
आज प्रधानमंत्री आवास योजना की वजह से होकालाल का पूरा परिवार पूरा परिवार खुशी-खुशी पक्के मकान में रह रहा है। उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा भी बढ़ी है और इसके लिए वे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी एवं मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान का हृदय से धन्यवाद देते हैं।
“ऊपरवाला कब और कैसे आपकी मदद का इंतज़ाम करता है, ये आप सोच भी नहीं सकते। प्रधानमंत्री आवास योजना से मिले पक्के घर ने मुझे यकीन दिला दिया कि एक न एक दिन आपके सपने पूरे हो सकते हैं।” ये कहना है मनोरमा वर्मा का। नगर निगम मुरैना के वॉर्ड क्रमांक 33 सबिता पुरा निवासी मनोरमा वर्मा ने कभी सोचा भी नहीं था कि एक दिन उनका खुद का पक्का मकान होगा।
वे बताती हैं, “मैं सिलाई का काम करती हूं और इसी से गृहस्थी चलती है। मेरे पति सुनील वर्मा बीमारी की वजह से काम-काज करने में असमर्थ हैं। उनकी दवाइयों का और बच्चों की पढ़ाई-लिखाई का खर्चा मेरी सिलाई से ही चलता था। किसी तरह ज़िंदगी गुज़र रही थी, लेकिन उस वक़्त हमारे ऊपर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा जब साल 2019 में पति का देहांत हो गया। पति का साथ छूट जाने से मेरी चिंताएं दोगुनी हो गईं। पक्के घर की बात तो सपने से भी दूर हो चुकी थी।”
हैरान परेशान मनोरमा को सुखद आश्चर्य तब हुआ जब नगर निगम द्वारा वर्ष 2011 की सर्वे सूची के आधार पर उनका नाम प्रधानमंत्री आवास के लिये चिन्हित हुआ और कुछ समय बाद उनके खाते में प्रथम किस्त के रूप में एक लाख रूपये की राशि प्राप्त हुई। मनोरमा बताती हैं, “धीरे-धीरे मैंने अपने पुरानी झोपड़ी को हटाकर निर्माण कार्य प्रारंभ करवाया और कुछ समय बाद मुझे द्वितीय किस्त के रूप में एक लाख रूपये और मिल गये। मकान की छत निर्माण होने तक तीसरी किस्त के रूप में 50 हजार रूपये और खाते में प्राप्त हुये। आज मुझे सकून महसूस हो रहा है कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी और मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी ने मेरा वो सपना साकार किया है, जिसे देखने में मुझे डर लगने लगा था। आज मैं, मेरा बेटा और मेरी तीन बेटियां ख़ुशी से उस घर में रहते हैं।”