Madhya Pradesh News : समझना है मध्य प्रदेश के कला-संस्कृति और समाज को, मांडू महोत्सव है आपके लिए

हरियाली की चादर ओढ़े मांडू की शोभायमान पहाड़ियों में शाम का लुत्फ उठाने के लिए “मांडू महोत्सव“ में सम्मिलित होने का यह सही समय है। नए साल के स्वागत को धूम-धाम से मनाने के लिए हम सब लोग कई सारी तैयारियां करते हैं। ज्यादातर लोग अपने शहर से बाहर कहीं पर्यटन स्थल में जाना पसंद करते हैं। इस बार नए साल केस्वागत में परिवार एवं दोस्तों के साथ ऐतिहासिक धरोहरों और ऊँची पहाड़ियों के बीच प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेने के लिए मांडू से अच्छी जगह क्या ही हो सकती है।

भोपाल। प्राकृतिक एवं नैसर्गिक सौंदर्य को संजोए मांडू में, नए साल के स्वागत में “मांडू महोत्सव 21-22“ का आयोजन मध्यप्रदेश सरकार द्वारा किया जा रहा है। यह महोत्सव 30 दिसंबर 2021 से 3 जनवरी 2022 तक चल रहा है। इस महोत्सव में लाइव संगीत कार्यक्रम, साहसिक खेल, साइकिलिंग अभियान और बहुत कुछ प्रदर्शित किया जा रहा है। साथ ही स्थानीय कला, शिल्प और व्यंजन का भी प्रदर्शन किया जा रहा है।

मांडू में आगमन करते हुए ही वहां की हरियाली व घुमावदार घाटियों की सैर के साथ ही इमारतों की ख़ूबसूरती देखने का उत्साह और बढ़ जाता है। यह विध्यांचल की पहाड़ियों पर लगभग 2,000 फिट की ऊंचाई पर स्थित है। 45 किलोमीटर के दायरे में बसे हुए मांडू में 12 प्रवेश द्वार हैं, जिनमें से “दिल्ली दरवाज़ा“ प्रमुख है और बाकी दरवाजे भी कई ऐतिहासिक कहानियों से जुड़े हुए हैं। “काकरा खो“, मांडू से लगभग चार किलोमीटर उत्तर में एक गहरी खाई है, जो मांडू को मालवा के मुख्य पठार से अलग करती है और यहाँ का परिदृश्य पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। यहां की “लोहानी गुफाएं“ सूर्यास्त का शानदार नजारा पेश करती हैं।

पहाड़ों और चट्टानों से घिरा हुआ मांडू, इतिहास की लगभग 3,000 पुरानी इमारतों की खूबसूरती को दर्शाता है। 16वीं सदी के समय के बाज़ बहादुर और रानी रूपमती की प्रेम कहानी को आज भी मांडू संजोए हुए है। बाज बहादुर के महल के सामने ही रानी रूपमती का महल स्थित है जिसमें उनकी अनंत प्रेम कहानी के किस्से आज भी पर्यटकों को रोमांचित कर देती है। बाज़ बहादुर व रूपमती का यह महल 365 मीटर ऊँची खड़ी चट्टान पर स्थित है, इस महल से मांडू शहर की चौतरफा खूबसूरती देखने को मिलती है और साथ ही यहाँ से संध्या की लालिमा का आभास किया जा सकता है। मांडू में रोजाना शाम को “हिंडोला महल“ में लाइट शो का आयोजन किया जाता है जिसमें मालवा के इतिहास की कहानियों की गूंज महसूस होती है। इन कहानियों में से मशहूर सुल्तान बाज़ बहादुर और रूपमती की प्रेम कहानी की भी दास्तान सुनाई जाती है। मालवा के पांचवें सुल्तान गियास-उद-दीन ने मांडू में “जहाज महल“ बनवाया था जिसकी खूबसूरती आज भी पर्यटकों के दिल को छू जाती है। 15वीं सदी के इस महल में सुल्तान की 15,000 महिला रक्षक रहती थीं। यह महल दो कृतिम तालाबों के बीच में स्थित है, मानो ऐसा लगता है कि महल पानी में तैर रहा हो। शाहजहां द्वारा मुमताज़ के लिए बनवाये गए ताज महल से प्रभावित हो कर मालवा के सबसे अधिक शक्तिशाली सुल्तान, होशंग शाह ने इस आलिशान “होशंग महल” को बनवाया था। मांडू में सिर्फ यही एक ऐसी जगह है जहाँ संगमरमर के पत्थरों से महल बना हुआ है।

यहाँ पर आयोजित होने वाला ’मांडू महोत्सव’ मध्यप्रदेश पर्यटन बोर्ड का एक वार्षिक आयोजन है, जिसमें सम्मिलित होकर यहाँ की वादियों का आनंद उठाने देश-विदेश से पर्यटक आते हैं। मांडू पहुंचने के लिए कई विकल्प हैं। मांडू इंदौर हवाई अड्डे से 2.5 घंटे/ 86 किलोमीटर दूरी पर है। यहां इंदौर और महू के रेलवे स्टेशनों से भी पहुँचा जा सकता है। मध्यप्रदेश पर्यटन द्वारा संचालित मालवा रिज़ॉर्ट उपलब्ध सीमित आवासों में से सबसे अच्छा है।