मेजर जनरल रैंक के अधिकारी करेंगे नागालैंड घटना की जांच

नागालैंड में करीब दर्जन भर लोगों के मारने की बात आई है। आरोप सेना के जवानों पर लगा है। भारतीय सेना की ओर से मेजर जनरल रैंक के अधिकारी को पूरी घटना की जांच करेंगे रिपोर्ट सौंपने को कहा है। वहीं, नागालौंड के मुख्यमंत्री अफस कानून हटाने की मांग कर रहे हैं।

नई दिल्ली। नागालैंड में हुई हिंसा को लेकर सेना की ओर से एक जांच समिति गठित कर दी गई है। इसकी कमान एक मेजर जनरल रैंक के अधिकारी को सौंपी गई है। भारतीय सेना से जुड़े सूत्रों का कहना है कि भारतीय सेना ने एक मेजर जनरल-रैंक के अधिकारी के तहत नागालैंड नागरिक हत्याओं की जांच के लिए कोर्ट ऑफ इंक्वायरी की स्थापना की। अधिकारी पूर्वोत्तर सेक्टर में तैनात है।

वहीं, इस घटना को लेकर नागालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो की ओर से कहा गया है कि गृह मंत्री इस मामले को गंभीरता से ले रहे हैं, हमने घटना में प्रभावित लोगों को सहायता राशि दी है। हम केंद्र सरकार से कह रहे हैं कि नागालैंड से AFSPA को हटाया जाए क्योंकि इस कानून ने हमारे देश की छवि धूमिल कर दी है। नागालैंड सरकार ने मोन जिले में मारे जाने वालों के परिवार को 5-5 लाख रुपये का मुआवजा देने का ऐलान किया है। नगालैंड के परिवहन मंत्री पैवंग कोनयक ने रविवार रात को ग्राम समिति के चेयरमैन को मुआवजे की राशि सौंप दी है।

1958 में संसद ने ‘अफस्पा ‘ यानी आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर ऐक्ट लागू किया था। भारत में संविधान लागू होने के बाद से ही पूर्वोत्तर राज्यों में बढ़ रहे अलगाववाद, हिंसा और विदेशी आक्रमणों से प्रतिरक्षा के लिए मणिपुर और असम में 1958 में AFSPA लागू किया गया था।
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रविवार को सुरक्षाबलों की फायरिंग में 14 नागरिकों की मौत के बाद नगालैंड में एक बार फिर से आफ्स्पा कानून हटाए जाने की मांग तेज हो गई है। यह घटना ऐसे समय हुई है जब केंद्र सरकार लगातार नगा विद्रोही गुटों के साथ शांति वार्ता कर रही है। इस बीच राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने पीएम मोदी से मुलाकात भी की है। नागालैंड फायरिंग घटना पर केंद्रीय गृह मंत्री के बयान की मांग को लेकर विपक्षी सांसदों की नारेबाजी के बीच राज्यसभा दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित हुई।