MP : हिंदुत्व के सरोकारों में अहमियत रखती है नरोत्तम मिश्र की राय

देश में हिंदुत्व को लेकर जब भी कोई बात होती है तो मोदी अमित शाह और योगी के बाद कोई नाम सबसे ज्यादा चर्चा में रहता है तो वह है मध्य प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा का नरोत्तम मिश्रा की ख्याति देश के साथी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी होने लगी. अंतरराष्ट्रीय समाचार पत्रों में भी नरोत्तम मिश्रा के बयानों को प्रमुखता से स्थान मिलने लगा है. एक बेबाक हिंदूवादी नेता के रूप में उबरने से एक तरफ जहां देशभर में उनकी लोकप्रियता बड़ी है, वही समय-समय पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बनाए जाने की चर्चाएं भी जोर पकड़ने लगती है.

हाल के वर्षों में हिंदू समाज को लेकर नई सोच के साथ समाज और राजनीति को एक साथ लेकर चलने वाले लोग कम हैं। ऐसे ही विरले लोगों में शुमार हैं डॉ नरोत्तम मिश्रा। वर्तमान में मध्य प्रदेश के गृहमंत्री का दायित्व संभालने के साथ ही वर्तमान राजनीतिक और सामाजिक घटनाओं पर बेबाक राय रखते हैं ये। उन्होंने खुद को कट्टरवादी नेता के तौर पर स्थापित किया। आपको बता दें कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के नेतृत्व में 25 कांग्रेसी बागियों की मदद से करीब डेढ़ साल के वनवास के बाद फिर से शिवराज सरकार का गठन हुआ था और तब से नरोत्तम मिश्रा ने खुद को कट्टरवादी नेता के तौर पर पेश करना शुरू कर दिया था और हिन्दुओं के मुद्दों को प्रबलता से उठाने लगे। शिवराज सरकार की सत्ता में वापसी होने के बाद नरोत्तम मिश्रा ने गृह मंत्री और राज्य प्रवक्ता के रूप में कार्यभार संभाला और फिर रोजाना मीडिया को संबोधित करने लगे।

हाल ही में टिव्टर को लेकर उनके बयानों ने भी पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींचा था। मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने ट्विटर से उसके यूजर्स द्वारा लिखी गई संभावित भड़काऊ और आपत्तिजनक सामग्री की जांच और फ़िल्टर करने के लिए एक सिस्टम तैयार करने का आग्रह किया है। मिश्रा ने इस संबंध में ट्विटर के सीईओ पराग अग्रवाल को चिट्ठी लिखी है। चिट्ठी में नरोत्तम मिश्रा ने लिखा है कि ट्विटर दुनिया भर में समाचार और अन्य सामग्री प्रसारित करने के सबसे महत्वपूर्ण और विश्वसनीय स्रोतों में से एक बन गया है। लेकिन कुछ लोग इसका दुरूपयोग कर सस्ती लोकप्रियता हासिल करने की कोशिश भी कर रहे हैं। इसे ध्यान में रखते हुए ऐसा तंत्र तैयार किया जाना चाहिए जो भड़काऊ कंटेंट को फिल्टर कर उसके प्रसारण को पहले ही रोक दे। उन्होंने कहा कि इस तरह की प्रणाली देश हित में होगी।

ट्विटर ने हाल ही में कनाडाई फिल्मकार लीना मणिमेकलाई के उस विवादित ट्वीट को हटा दिया था जिसमें उन्होंने अपनी डॉक्यूमेंट्री काली का पोस्टर शेयर किया था। कनाडा के टोरंटो में रहने वाली मणिमेकलाई ने दो जुलाई को ट्वीट कर काली का पोस्टर साझा किया था, जिसमें देवी को धूम्रपान करते और एलजीबीटीक्यू समुदाय का झंडा पकड़े दर्शाया गया था।
‘टाइम्स नाउ नवभारत’ चैनल के एंकर सुशांत सिन्हा ने नरोत्तम मिश्रा से सवाल किया, ‘ नूपुर शर्मा के बयान पर तन से जुदा की बात की जा रही है और वहीं महुआ मोइत्रा के बयान पर कुछ लोगों का कहना है कि बीजेपी देश को हेट मशीन बना रही है। क्या इन दोनों बातों को एक तरह से देखा जा सकता है?’ नरोत्तम मिश्रा ने इसके जवाब में कहा कि यह लोग कश्मीर में पत्थर फेंकने वालों को भी ‘भटके हुए युवा’ बताते हैं, ये स्लीपर सेल की टुकड़े – टुकड़े गैंग है।
अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि ऐसे लोग केवल हिंदू धर्म पर ही कटाक्ष करते हैं, कभी दूसरे धर्म पर प्रहार करते हुए इन लोगों को नहीं देखा गया होगा। उन्होंने आरोप लगाया कि यह लोग हिंदुओं को भाषा, धर्म और जाति के आधार पर बांटना चाहते हैं। इस पर एंकर की ओर से पूछा गया कई राज्यों में बीजेपी की सरकार होने के बावजूद आप लोग ऐसे संगठनों पर कार्रवाई क्यों नहीं करते? इसके साथ उन्होंने पूछा, ‘PFI जैसे संगठन को बैन क्यों नहीं करते?’
बीते दिनों मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि हनुमान चालीस के प्रभाव से देश में पहली दफा हिंदुत्व के लिए एक सरकार गिर गई, क्योंकि देश बदल रहा है। उनका इशारा महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार की ओर था। मिश्रा ने महाराष्ट्र के हालिया राजनीतिक घटनाक्रम पर यहां पत्रकारों को अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, हमारा देश बदल रहा है। ऐसा पहली बार हो रहा है कि हिंदुत्व के नाम पर एक सरकार गिर गई।
उद्धव ठाकरे सरकार का पतन हनुमान चालीसा का प्रभाव है कि 40 दिनों में चालीस विधायकों ने पार्टी छोड़ दी। शिवसेना के राज्यसभा सांसद और प्रवक्ता संजय राउत के बयान का जिक्र करते हुए मिश्रा ने तुकबंदी के साथ कहा कि वह राउत साहब बता रहे थे कि विधायक अगवा हो गए, जबकि तथ्य यह है कि विधायक भगवा हो गए। एक सवाल के उत्तर में मिश्रा ने कहा कि लोगों को मध्य प्रदेश में कांग्रेस या महाराष्ट्र में शिवसेना जैसी पार्टियों के नेताओं से पूछना चाहिए कि उनके विधायकों ने उन्हें क्यों छोड़ दिया।
दतिया सीट से 6 बार विधायक रहे नरोत्तम मिश्रा का जन्म 15 अप्रैल, 1960 को ग्वालियर में हुआ। उन्हें सियासी गलियों में चंबल की धार कहा जाता है। आज बीजेपी के संकट मोचक कहे जाने वाले मिश्रा ने जब भी मध्य प्रदेश की सियासत में बीजेपी की नैया डगमगाई तो उसे पार लगाया.।
हाल ही में दतिया के स्थापना दिवस पर आयोजित भव्य आयोजन की भी मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री सहित तमाम बड़े नेताओं ने भूरी भूरी प्रशंसा की है अब ऐसा लग रहा है लग रहा है पार्टी उन्हें केंद्रीय स्तर पर भी कोई बड़ा दायित्व दे सकती है आज तक पार्टी ने उन्हें जो भी दायित्व सौंपा है उसका निर्वहन उन्होंने बड़े ही ईमानदारी के साथ किया है और यही वजह है की दतिया से निकलकर प्रदेश राष्ट्र और अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उन्होंने नाम का लोहा मनवा लिया है|
भारतीय जनता पार्टी के 2018 विधानसभा चुनाव में पराजय के बाद के दोबारा बीजेपी को सत्ता दिलाने के बाद उनका कद इतना ऊंचा हो गया कि उन्हें मुख्यमंत्री पद का दावेदार माना जाने लगा। हालांकि शीर्ष पद पर फिर शिवराज सिंह चौहान पहुंचे और नरोत्तम को गृह विभाग सौंपा गया। नरोत्तम हमेशा से सीएम शिवराज सिंह के भरोसेमंद माने जाते हैं। वह पहली बार 2003 में बाबूलाल गौर सरकार में राज्य मंत्री बने थे। तब से लेकर अभी तक कई महत्वपूर्ण मंत्रालयों का जिम्मा संभाल चुके हैं। जिनमें कानून, शिक्षा, आवास, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, जल संसाधन और जनसंपर्क सहित शामिल है। साल 2005 में जब शिवराज सिंह चौहान पहली बार मुख्यमंत्री बने तब नरोत्तम मिश्रा को संसदीय कार्य मंत्री बनाया गया था। इसके बाद से उनका कद बढ़ता ही गया. वो जहां से आते हैं वहां के पानी में ही उत्तम राजनीति का असर है।