Navratri 2022 : महाष्टमी है आज, मंदिरों और पूजा पंडाल में श्रद्धालुओं का तांता

महाष्टमी और नवमी के दिन कुमारी कन्याओं की पूजा की जाती है। इन्हे कंजक और कुमारिका पूजा के नाम से भी जाना जाता है।

नई दिल्ली। आज नवरात्र में महाष्टमी की तिथि है। शक्ति पूजा के लिए विशेष अराधना का दिन माना जाता है। सुबह से ही देश के प्रसिद्ध शक्तिपीठों, मंदिरों और तमाम पूजा पंडालों में श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है। नवरात्रि पर अष्टमी तिथि का विशेष महत्व होता है। दुर्गाष्टमी पर व्रत, कन्या पूजन और हवन करते हुए देवी की आराधना की जाती है। शास्त्रों के अनुसार देवी महागौरी का स्वरूप अत्यंत उज्जवल और श्वेत वस्त्र धारण किए हुए है। भक्तों के लिए यह देवी अन्नपूर्णा का स्वरूप हैं।

नवरात्रि उत्सव के आठवें दिन झंडेवालान मंदिर में सुबह की आरती की गई। नवरात्रि उत्सव के आठवें दिन (अष्टमी) छतरपुर मंदिर में सुबह की आरती की गई।

पंडित दयानंद झा कहते हैं कि मां की आराधान पूरे मनायोग से करें। यह जरूरी नहीं कि आप घंटों तक मंदिरों में या पूजा स्थला पर बैठे रहें। सबसे जरूरी यह है कि जितनी देर मां की आराधना करें, उसमें अपना सोलह आना दें। नवरात्र में कन्या पूजन का विशेष महत्व है। अष्टमी व नवमी तिथि के दिन तीन से नौ वर्ष की कन्याओं का पूजन किए जाने की परंपरा है। धर्म ग्रंथों के अनुसार तीन वर्ष से लेकर नौ वर्ष की कन्याएं साक्षात माता का स्वरूप मानी जाती है। शास्त्रों में दो साल की कन्या कुमारी, तीन साल की त्रिमूर्ति, चार साल की कल्याणी, पांच साल की रोहिणी, छः साल की कालिका, सात साल की चंडिका, आठ साल की शाम्भवी, नौ साल की दुर्गा और दस साल की कन्या सुभद्रा मानी जाती हैं।

डिब्रूगढ़ में एक पूजा समिति ने भारत-बांग्लादेश सीमा और प्रवासियों के मुद्दे पर आधारित दुर्गा पूजा पंडाल बनाया।

कोलकाता में नकटला उदयन संघ का दुर्गा पूजा पंडाल इस साल ‘मोटा कापोर’ थीम पर बनाया गया है। ये उन महिलाओं की कहानियों को दर्शाता है जो विभाजन के बाद वहां बस गईं और कपड़े सिलकर अपना जीवनयापन किया। वाराणसी में दुर्गा पूजा उत्सव के दौरान शहर में कई अनोखे दुर्गा पूजा पंडाल बनाए गए हैं।

दुर्गा पूजा उत्सव के दौरान अगरतला में पूजा पंडाल में पूजा करने के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी।