नई दिल्ली। भारत उत्सव और संस्कृति प्रधान देश है। यहां सांस्कृतिक-धार्मिक आयोजनों में कुंभ से अधिक किसी की महत्ता नहीं है। क्या आपको पता है कि आज यानी 21 फरवरी को सहस्त्राब्दी के पहले कुंभ का समापन हुआ था। आपको पता है कि यह कुंभ किस साल में और किस स्थान पर हुआ था ?
असल में, हिंदू कैलेंडर में हर दिन कोई न कोई व्रत, त्यौहार का आयोजन किया जाता है। कुंभ का आयोजन भी आस्था का ऐसा ही विशालतम रूप है। हर 12 वर्ष बाद आने वाला महाकुंभ विश्व के सबसे बड़े मानव समागम के रूप में इतिहास की किताबों में दर्ज है। भारत के कुंभ मेले को संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) ने दुनिया की सबसे बड़ी शांतिपूर्ण मानव सभा के रूप में मान्यता दी है।
2001 में इस सदी के पहले महाकुंभ का आयोजन किया गया था और 21 फरवरी को महाशिवरात्रि के दिन इस कुंभ का समापन हुआ था। यह आयोजन पवित्र संगम तट पर प्रयागराज में हुआ था। सहस्त्राब्दि के पहले महाकुंभ को लेकर न सिर्फ सनातनधर्मावलंबियों बल्कि देश के कोने-कोने से आए संतों, अखाड़ों में उत्साह तो विदेशियों में उत्सुकता थी। पहली बार संगम सहित गंगा और यमुना के विभिन्न घाटों पर डुबकी लगाने वाले स्नानार्थियों का आंकड़ा तकरीबन एक करोड़ के पार रहा। इसी तरह मेले में तकरीबन एक लाख से ज्यादा विदेशियों ने मौजूदगी दर्ज कराई।
इतने व्यापक पैमाने पर इस मेले का आयोजन राज्य सरकार के लिए सदा से एक बड़ी चुनौती रहा है, लेकिन साथ ही यह राज्य की अर्थव्यवस्था और पर्यटन को बढ़ावा देने में योगदान भी देता है।