Personality development : जब हों आप लोगों के बीच, कैसा हो आपके बोलने का अंदाज

जानते हैं कि आप दमदार, शानदार और प्रभावशाली तरीके से लोगों के बीच बोल सकती हैं, पर समाज, घर-परिवार व कई परिस्थियों ने आपकी पर्सनैलिटी को दबा दिया है। जानते हैं कैसे इससे उबरें और पब्लिक स्पीकिंग में बुलंद आवाज में कैसे बोलें।

शोध बताते हैं कि पुरुषों के अपेक्षा महिलाएं बेहतरीन कम्यूनिकेटर होती हैं। महिलाओं के ब्रेन सेंटर में पुरुषों की तुलना में अधिक न्यूरॉन्स होते हैं। इतना ही नहीं। उनका दिमाग काफी अलग, दर्शकों से जुड़ने वाला, सॉफ्ट से हस्की वोकल टोन, नायाब फेशियल एक्सप्रेशंस और शानदार शब्दों का पिटारा होता है।

– आप कॉन्फिडेंस से बोलें। भाषा कोई भी हो, पर बोलते समय वाक्य छोटे रखें। स्पीच या बोलते समय नेगेटिव शब्दों का इस्तेमाल नहीं के बराबर करें। बिना डर, बिना रूके आप बोलें। इसकी प्रेक्टिस अकेले में जरूर करें। अन्यथा डर में आपकी वोकल कॉर्ड्स से निकली आवाज बहुत तेज होगी। और सुनने वाले को पता ही चलेगा कि आप क्या कह रही हैं या क्या कहना चाहती हैं। सोचिए, ऐसी स्थिति में होगी आपकी किरकिरी।
– बोलते समय अपनी वोकल टोन पर ध्यान दें। यदि आपकी आवाज तेज हैं, तब तो बोलते समय आपकी आवाज में घबराहट भी सुनाई देगी। इसके लिए शीशे के सामने अभ्यास करें। जिसमें वोकल टोन बिल्कुल ईसीजी की तरह होनी चाहिए। समतल आवाज से आपको कोई गौर से नहीं सुनेगा। ईसीजी वाली वोकल टोन में एक्सप्रेशंस होते हैं, जो लोगों को आपकी बात सुनने को मजबूर कर देंगे।
– एक ही स्पीड में बोलते नहीं जाएं। बीच-बीच में रूकें और विराम चिन्हों का प्रयोग करें। ये ठहराव आपकी स्पीच को प्रभावशाली बनाएंगे। अपनी बात को प्रभावशाली तरीके से रखने का यह बेहतरीन तरीका है।
– बोलने की शैली कॉपी नहीं करें। आप अपना खुद का स्टाइल डिवेलप करें। यदि नहीं मालूम पड़ा रहा तो जैसी हैं वैसे ही बोलें। भाषा सभ्य रखें। यदि किसी भाषा में आप कम्फर्टेबल नही ंतो उसका प्रयोग नहीं करें। अन्यथा गलती होने की संभावना अधिक होती है।
– भावनात्मक तरीके से ऑडियंस आपसे जुड़ें इसके लिए आपको स्पीच में कहानियों का इस्तेमाल करना होगा। यह कहानियां छोटी-छोटी हों। कहानियां दर्शकों को बांधती हैं। उनमें जिज्ञासा को जगाती है, तो इसका प्रयोग आप बोलने में करें।
– आपको अनजान लोगों में बोलना है, परिचितों के सामने या छोटू की पेटीएम मीटिंग में, आप बोलने की प्रैक्टिस अकेले में शीशे के सामने जरूर करें। जिन शब्दों में आप अटकते हैं, उनका अभ्यास करें। अचानक से किसी नई भाषा का प्रयोग नहीं करें। आप बेस्ट कपड़ों व आरामदायक को पहनकर प्रैक्टिस करें, ताकि बोलते समय कपड़े बाधा नहीं बनें। यानी आप हर तरह से कम्फर्टेबल हों।