चंडीगढ़। प्रचार के अंतिम चरण में सभी राजनीतिक दलों ने अपनी पूरी ताकत लगा दी है। भाजपा ने अपना पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों सहित केंद्रीय मंत्रियों की ड्यूटी लगा दी है वहीं कांग्रेस की ओर से मनीष तिवारी को केंद्रीय नेताओं का साथ कम ही मिल रहा है। भाजपा ने जहां लोकसभा सीट के हिसाब से क्षेत्रीय नेताओं को प्रचार—प्रसार में लगा रखा है वहीं कांग्रेस उम्मीदवार के पास प्रचारकों का टोटा है।
चंडीगढ़ संसदीय सीट भाजपा ने दो बार की सांसद रही किरण खेर का टिकट काटकर चंडीगढ़ के पूर्व अध्यक्ष रहे संजय टंडन को उम्मीदवार बनाया है। वहीं कांग्रेस ने पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी को टिकट दिया है। तिवारी इससे पहले लुधियाना और बाद में आनंदपुर लोकसभा सीट से चुनाव जीत चुके हैं। चंडीगढ़ सीट से दोनों ही उम्मीदवार पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं। मनीष तिवारी को जहां कांग्रेस के अंदरुनी कलह का शिकार होना पड़ रहा है वहीं भाजपा उम्मीदवार को पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व का पूरा सहयोग मिल रहा है। चुनाव प्रचार में भी जहां कांग्रेस के शीर्ष नेताओं ने दूरी बना रखी है वहीं भाजपा उम्मीदवार के पक्ष में केंद्रीय मंत्री, पार्टी के शीर्ष नेता उत्तराखंड, हरियाणा के मुख्यमंत्रियों के अलावा हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान सहित कई राज्यों के नेता संजय टंडन के पक्ष में प्रचार करते नजर आ रहे हैं।
उधर कांग्रेस उम्मीदवार के पक्ष में पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी, सांसद शशि थरुर, पार्टी प्रवक्ता पवन खेड़ा जरुर प्रचार में आए लेकिन पार्टी के अन्य शीर्ष नेताओं ने मनीष तिवारी के प्रचार से दूरी बना रखी है। चंडीगढ़ के बाजारों, चौक चौराहों पर भी इस बात की चर्चा चल रही है कि आखिर पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी के प्रचार में शीर्ष नेता क्यों नहीं आ रहे हैं। उधर कई लोग यह कहते नजर आए कि मनीष तिवारी कांग्रेस नहीं बल्कि आम आदमी पार्टी के भरोसे चुनाव मैदान में हैं। लेकिन रोचक तथ्य यह है कि चंडीगढ़ से सटे पंजाब में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी एक दूसरे के खिलाफ चुनाव मैदान में है। ऐसे में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच क्या चल रहा है। इसको लेकर मतदाता पशोपेश में हैं। वहीं कई लोग यह कहते नजर आए कि मनीष तिवारी अब भाजपा के चक्रव्यूह में फंस गए हैं।