दिल्ली में राशन पर राजनीति, केजरीवाल ने कहा रोक रही है केंद्र सरकार

गरीबों को लेकर केवल राजनीति होती है। राशन तक उन्हें नहीं मिलता है। देश 75 साल से राशन माफिया के चंगुल में है और गरीबों के लिए कागज़ों पर राशन जारी होता है।

दिल्ली। दिल्ली सरकार ने कोरोना काल में उन लोगों को भी राशन देने की तैयारी की थी, जिन्हें इसकी जरूरत है और उनके पास राशन कार्ड नहीं है। लेकिन केंद्र सरकार के एक आदेश के बाद इसमें रूकावट आ गई है। उसके बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसके लिए सीधे तौर पर केंद्र सरकार केा जिम्मेदार ठहराया है।

केजरीवाल ने एक डिजिटल पत्रकार वार्ता में आरोप लगाया कि इस योजना को लागू करने की सारी तैयारियां पूरी हो गई थीं और अगले हफ्ते से इसे लागू किया जाना था लेकिन दो दिन पहले केंद्र सरकार ने योजना पर रोक लगा दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने इस आधार पर इस योजना को रोका है कि दिल्ली सरकार ने उससे इसकी मंजूरी नहीं ली।

उन्होंने दावा किया कि दिल्ली सरकार ने ‘घर-घर राशन’ योजना के लिए केंद्र सरकार से पांच बार मंजूरी ली है और कानूनन उसे ऐसा करने की जरूरत नहीं थी, फिर भी उसने मंजूरी ली, क्योंकि वह केंद्र सरकार के साथ कोई विवाद नहीं चाहते थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना काल में यह योजना सिर्फ दिल्ली में ही नहीं, बल्कि पूरे देश में लागू होनी चाहिए, क्योंकि राशन की दुकानें ‘सुपरस्प्रेडर’ (महामारी के अत्यधिक प्रसार वाली जगह) हैं।

असल में, कुछ दिन पहले जैसे ही दिल्ली सरकार की ओर से बिना राशन कार्ड वालों को राशन देने की बात हुई थी, समाज के एक तबके में खासा उत्साह था। कई स्कूलों में इसके लिए व्यवस्था की जा रही थी। क्षेत्रों में इसकी घोषणा भी कर दी गई। लेकिन, अचानक से रूकावट आने के बाद लोग मायूस हो गए हैं। अनाधिकृत काॅलोनी में रहने वाले लोगों का कहना है कि केंद्र और दिल्ली सरकार की राजनीति में नुकसान तो हमारा ही रहा है। दिल्ली सरकार बेहतर काम कर रही है, तो राजनीतिक लाभ के लिए इसे कुछ लोगों ने रोकने की कोशिश की है।