नई दिल्ली। भारतीय सिनेमा के सुपरस्टार रहे रजनीकांत को आज प्रतिष्ठित दादा साहेब फाल्के पुरस्कार दिया गया। विज्ञान भवन में आयोजित एक समारोह में यह पुरस्कार दिया गया। भारत के उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू और केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने रजनीकांत को दादासाहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मनित किया। उनके नाम की घोषणा पहली अप्रैल को तत्कालीन केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने की थी।
इस अवसर पर केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने कहा कि रजनीकांत को दादासाहेब फाल्के पुरस्कार जीतने पर बधाई देता हूं। उन्होंने सिनेमा जगत को 5 दशक दिए हैं। कोई कहेगा वह वेटरन हैं, कोई आइकोनिक कलाकार कहेगा। मैं कहता हूं कि इन 5 दशक ने उनको एक इंडिविजुअल से एक संस्था के रूप में बदला है। दुनिया का कंटेंट अगर कहीं बन सकता है तो वह भारत है। फिल्म निर्माण, पोस्ट प्रोडक्शन, एनिमेशन, विज़ुअल, ग्राफिक्स आदि की संभावना देश के अंदर खड़ी होती है। ये हम पर निर्भर करता है कि हम उस काम को कैसे यहां ला सकते हैं। एक बहुत बड़ा अवसर हमारे सामने हैं।
Superstar Rajinikanth receives the Dadasaheb Phalke Award at 67th National Film Awards ceremony in Delhi. pic.twitter.com/x8hVKuCgE0
— ANI (@ANI) October 25, 2021
भारत के उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू और केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने विज्ञान भवन में आयोजित 67वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार एवं दादासाहेब फाल्के पुरस्कार समारोह में भाग लिया। इस मौके पर उन्होंने पुरस्कार विजेताओं को सम्मानित किया।
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Presentation Ceremony of the 67th #NationalFilmAwardshttps://t.co/ZATTLN3Njt
— PIB India (@PIB_India) October 25, 2021
बता दें कि दादा साहब फाल्के को भारतीय सिनेमा का सबसे प्रतिष्ठित अवॉर्ड माना जाता है। रजनीकांत बीते 5 दशक से सिनेमा पर राज कर रहे हैं। इस साल ये सिलेक्शन ज्यूरी ने किया है। इस ज्यूरी में आशा भोंसले, मोहनलाल, विश्वजीत चटर्जी, शंकर महादेवन और सुभाष घई जैसे कलाकार शामिल रहे हैं। रजनीकांत ने तमिल फिल्म इंडस्ट्री में बालचंद्र की फिल्म ‘अपूर्वा रागनगाल’ से एंट्री ली थी। कई नकारात्मक किरदारों का अभिनय करने के बाद रजनीकांत पहली बार नायक के रूप में एसपी मुथुरमन की फिल्म भुवन ओरु केल्विकुरी में दिखे थे। बता दें, उनके प्रति लोगों की दीवानगी इस हद तक है कि वे उन्हें ‘भगवान’ मानते हैं। रजनीकांत की फिल्में सुबह साढ़े तीन बजे तक रिलीज हो जाती हैं। कुली से सुपरस्टार बनने वाले रजनीकांत कभी यहां तक नहीं पहुंच पाते अगर उनके दोस्त राज बहादुर ने उनके अभिनेता बनने के सपने को जिंदा न रखा होता। और उन्होंने ही रजनीकांत को मद्रास फिल्म इंस्टिट्यूट में दाखिला लेने के लिए कहा। दोस्त की बदौलत ही रजनीकांत आगे बढ़ते गए और फिर फिल्मों में काम करने लगे।