पूरे भारत में एनसीडी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, भारत में कैंसर के मामलों में सबसे तेज़ वृद्धि

 

नई दिल्ली। अपोलो हॉस्पिटल्स ने अपनी प्रमुख वार्षिक रिपोर्ट, “हेल्थ ऑफ नेशन” के नवीनतम संस्करण का अनावरण किया। यह रिपोर्ट भारत में कैंसर, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग और मानसिक स्वास्थ्य मुद्दों सहित गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) की वृद्धि पर प्रकाश डालती है, जो देश के समग्र स्वास्थ्य को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करते हैं। वैश्विक दरों की तुलना में भारत में कैंसर की बढ़ती घटना विशेष रूप से चिंताजनक है, जिससे भारत “दुनिया की कैंसर राजधानी” बन गया है।

रिपोर्ट में कम उम्र में प्री-डायबिटीज, प्री-हाइपरटेंशन और मानसिक स्वास्थ्य विकारों के प्रकट होने जैसी स्थितियों के कारण स्वास्थ्य देखभाल का बोझ संभावित रूप से बढ़ने का पूर्वानुमान किया गया है। नियमित स्वास्थ्य जांच के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, रिपोर्ट रक्तचाप (बीपी) और बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) के स्तर को घटाने में उनकी भूमिका को रेखांकित करती है, जिससे हृदय संबंधी बीमारियों का खतरा कम हो जाता है। अपोलो के डेटा से पता चलता है कि जहां भारत में स्वास्थ्य जांच की पहुंच बढ़ाने की आवश्यकता बरक़रार है, वहीं लोग पहले की तुलना में आज अधिक व्यापक स्वास्थ्य जांच का विकल्प चुन रहे हैं, जो लोगों के स्वास्थ्य और कल्याण की सुरक्षा की दिशा में एक सकारात्मक कदम है।

अपोलो हॉस्पिटल्स की वाइस चेयरपर्सन डॉ. प्रीता रेड्डी ने कहा,“हमारे देश के विकास में स्वास्थ्य के महत्व को कम नहीं आंका जा सकता। हमारी हेल्थ ऑफ नेशन रिपोर्ट के माध्यम से हम गैर-संचारी रोगों के लगातार बढ़ते बोझ की ओर ध्यान और जागरूकता आकर्षित करने की आशा करते हैं और दृढ़तापूर्वक यह मानते हैं कि संपूर्ण स्वास्थ्य देखभाल पारिस्थितिकी तंत्र एवं राष्ट्र को एक साथ आने तथा एक एकीकृत उपागम तैयार करने की आवश्यकता है तभी हम सही मायने में एनसीडी का मुकाबला कर पाएंगे। हमारे निष्कर्ष कैंसर, मधुमेह, उच्च रक्तचाप और मोटापे की बढ़ती महामारी से लड़ने, रोकने और उलटने के लिए तत्काल हस्तक्षेप की महत्वपूर्ण आवश्यकता को दर्शाते हैं। जनता को शिक्षित करने और वैयक्तीकृत निवारक स्वास्थ्य देखभाल समाधान बनाने की आवश्यकता है। स्वास्थ्य अवसंरचनाओं में निवेश को प्राथमिकता देकर, निवारक स्वास्थ्य देखभाल उपायों को बढ़ावा देकर एवं स्वास्थ्य असमानताओं को संबोधित करके, मुझे विश्वास है कि हम अपने देश की पूरी क्षमता का दोहन करने एवं समावेशी और सतत विकास का मार्ग प्रशस्त करने में सक्षम होंगे।“

अपोलो हॉस्पिटल्स के अध्यक्ष एवं सीईओ डॉ मधु शशिधर ने कहा, “विशेष रूप से पिछले कुछ दशकों में गैर-संचारी रोगों में उल्लेखनीय वृद्धि, वैश्विक स्वास्थ्य परिदृश्य में एक गहन बदलाव को दर्शाती है, जो व्यक्तियों, समुदायों और राष्ट्रों के लिए गंभीर चुनौतियां पेश करती है। निवारक स्वास्थ्य देखभाल में नवाचार और अधिगम्यता को बढ़ावा देना संपूर्ण स्वास्थ्य सेवा उद्योग के लिए प्राथमिकता होनी चाहिए। अपोलो हॉस्पिटल्स में, हम अत्यधिक वैयक्तीकृत और प्रभावी सेवाएं प्रदान करने में स्वास्थ्य सेवा वितरण बाधाओं को दूर करने में सक्रिय रूप से प्रौद्योगिकी को समेकित कर रहे हैं। हमारे एआई-समर्थित निवारक स्वास्थ्य सेवा कार्यक्रम से लेकर विशाल स्क्रीनिंग पदचिह्न तक, हम बीमारी की रोकथाम में सुधार लाने, निदान की सटीकता बढ़ाने एवं विश्व स्तरीय रोगी-केंद्रित उपचार पद्धतियां बनाने के लिए प्रौद्योगिकी की शक्ति का दोहन करने हेतु प्रतिबद्ध हैं जो स्वास्थ्य देखभाल के भविष्य को आकार देगा। हम जैसे-जैसे 21वीं सदी की जटिल चुनौतियों से निपटते जा रहे हैं, आइए हम यह पहचानें कि स्वास्थ्य हमारी सबसे मूल्यवान परिसंपत्ति है और स्वस्थ आबादी ही एक समृद्ध एवं प्रतिस्कंदी समाज की आधारशिला बनती है।“

भारतीयों को अपने स्वास्थ्य की सटीक और निष्पक्ष समझ प्रदान करने के प्रयास में अपोलो ने भारत का पहला डिजिटल स्वास्थ्य जोखिम मूल्यांकन ‘प्रोहेल्थ स्कोर’ लॉन्च किया है। लोगों को अपने लिए सूचित निर्णय लेने में सहायता प्रदान करने हेतु डिज़ाइन किया गया प्रोहेल्थ स्कोर आपके स्वास्थ्य एवं कल्याण का आंकलन करने के एक आवश्यक उपकरण के रूप में कार्य करता है। यह निःशुल्क जोखिम स्कोर पारिवारिक इतिहास, जीवनशैली और वर्तमान लक्षणों जैसे कारकों का मूल्यांकन करता है, यह आपके स्वास्थ्य स्थिति का एक वैयक्तीकृत संख्यात्मक सूचकांक उत्पन्न करता है। इसके अतिरिक्त, यह आपको बेहतर स्वास्थ्य की ओर मार्गदर्शन में सरल सुधारात्मक उपाय प्रदान करता है।

भारत में तेजी से होते आर्थिक एवं जीवनशैली बदलाव के कारण हृदय रोग, मधुमेह, श्वसन संबंधी बीमारियों और कैंसर जैसे गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) में वृद्धि हुई है, जो देश में होने वाली 63% मौतों का कारण बना है। 2030 तक, इन बीमारियों के कारण भारत को 3.55 ट्रिलियन डॉलर की आर्थिक हानि होने का अनुमान है। हालाँकि, सक्रिय निवारक उपाय इन प्रभावों को घटाने में मदद कर सकते हैं। लोगों के लिए यह आवश्यक है कि वे खुद को, अपने परिवार और अपने समुदायों को एनसीडी के बढ़ते बोझ से बचाने के लिए उचित कदम उठाएं। प्रोहेल्थ जोखिम स्कोर का उद्देश्य इस स्वास्थ्य संकट में योगदान देने वाले कारकों के बारे में जागरूकता बढ़ाना और जनता पर एनसीडी के बढ़ते प्रभाव को संबोधित करने के लिए सक्रिय उपाय प्रस्तुत करना है।