Supertech का दो 40-मंज़िला टावरों को गिराने का ‘सुप्रीम’ आदेश

नियमों के विरुद्ध विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से बहुमंजिला इमारत बना ली गई। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुपरटेक के दो 40 मंजिला इमारत को गिराने का आदेश दिया था। कंपनी सुप्रीम कोर्ट पहुंची। सुप्रीम कोर्ट ने भी आज दोनों इमारतों को गिराने के साथ फ्लैट मालिकों को ब्याज सहित क्षतिपूर्ति का आदेश दिया है।

नई दिल्ली। सुपरटेक बिल्डर को जबदरस्त झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने रियल एस्टेट कंपनी सुपरटेक द्वारा बनाए गए दो 40-मंज़िला टावरों को गिराने करने का आदेश दिया है। साथ ही दोनों टावर के सभी फ्लैट मालिकों को 12 प्रतिशत ब्याज के साथ क्षतिपूर्ति देने का आदेश दिया है। इस आदेश के बाद सुपरटेक के अलावा कई दूसरे कंपनियों के होश भी उड़ गए हैं।
बता दें कि मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा में अपनी एक हाउसिंग प्रोजेक्ट में रियल एस्टेट कंपनी सुपरटेक द्वारा बनाए गए दो 40-मंज़िला टावरों को गिराने करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि इसका निर्माण नोएडा प्राधिकरण और सुपरटेक के अधिकारियों के बीच मिलीभगत का परिणाम था। न्यायालय ने सुपरटेक को नोएडा के दोनों टावर के सभी फ्लैट मालिकों को 12 प्रतिशत ब्याज के साथ क्षतिपूर्ति देने का आदेश दिया है।
जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि नोएडा सेक्टर-93 में सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट में लगभग 1,000 फ्लैटों वाले ट्विन टावरों का निर्माण नियमों का उल्लंघन करके किया गया था। बेंच ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के 2014 के फैसले को बरकरार रखा और सुपरटेक को एक एक्सपर्ट बॉडी की देखरेख में इन टावरों को गिराने का निर्देश दिया। 11 अप्रैल 2014 को, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चार महीने के भीतर दोनों इमारतों को ध्वस्त करने और फ्लैट खरीददारों को पैसे वापस लौटाने का आदेश दिया था।

सुपरटेक द्वारा इन्हें अपनी लागत पर तीन महीने की अवधि के भीतर तोड़ा जाना चाहिए। असल में,कोर्ट ने कहा कि नोएडा प्राधिकरण द्वारा अनुमोदित 2009 की मंजूरी योजना अवैध थी, क्योंकि इसने न्यूनतम दूरी मानदंड का उल्लंघन किया था और यह कि योजना को फ्लैट खरीददारों की सहमति के बिना भी मंजूरी नहीं दी जा सकती थी।