नई दिल्ली।स्वराज इंडिया कल पहलवानों के विरोध के खिलाफ दिल्ली पुलिस के हिंसक दमन की निंदा करता है। पहलवान एक महीने से अधिक समय से भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के प्रमुख और भाजपा सांसद बृज भूषण शरण सिंह द्वारा यौन उत्पीड़न के खिलाफ विरोध कर रहे हैं। लेकिन, सरकार ने उनकी न्याय की दलीलों को नजरअंदाज कर दिया और आरोपी के खिलाफ उचित कार्रवाई करने में विफल रही। उच्चतम न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद ही, बृज भूषण शरण सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज किए गए — जिसमें POCSO (यौन अपराधों से बच्चों की सुरक्षा) अधिनियम की धारा 10 और POSH (यौन उत्पीड़न की रोकथाम) अधिनियम की धारा 354 ए शामिल हैं। फिर भी, आज तक कोई गिरफ्तारी नहीं की गई है। इसके बजाय, सरकार ने मामले को दबाने और विरोध प्रदर्शनों को अवैद्य घोषित करने की कोशिश की।
कल पहलवानों द्वारा बुलाया महिला सम्मान महापंचायत को दिल्ली पुलिस द्वारा क्रूर दमन का सामना करना पड़ा। महापंचायत से पहले ही, दिल्ली की सीमाओं को बंद कर दिया गया और महापंचायत में शामिल होने से रोकने के लिए हजारों लोगों को हिरासत में लिया गया। पहलवानों के साथ मारपीट की गई और उन्हें हिरासत में ले लिया गया, और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। जंतर-मंतर पर विरोध स्थल से उनके तंबू को उखाड़ दिया गया। जिस दिन प्रधानमंत्री नए संसद भवन का उद्घाटन कर रहे थे, उसी दिन सरकार द्वारा नागरिकों के लोकतांत्रिक अधिकारों को कुचल दिया गया।
महिलाओं को यौन उत्पीड़न के खिलाफ कार्रवाई के लिए एक महीने से लंबे विरोध के लिए बैठना पड़े यह शर्मनाक है। यह और भी अधिक शर्मनाक है कि आरोपी के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय, सरकार ने पीड़ितों को निशाना बनाने का निर्णय किया। पहलवानों के विरोध पर क्रूर दमन ने पूरे देश को शर्मसार कर दिया है। इसने मोदी सरकार के “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” और “नारी शक्ति” के खोखले नारे को भी उजागर कर दिया है।
स्वराज इंडिया पहलवानों के समर्थन और एकजुटता में खड़ा है। हम प्रदर्शनकारियों के खिलाफ एफआईआर की तत्काल वापसी, और बृज भूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी की मांग करते हैं। हम पहलवानों के साथ एकजुटता में नागरिकों को आगे आने का भी आह्वान करते हैं।