यूनिसेफ और भागीदारों संस्थाओं ने राष्ट्रीय बाल दिवस से विश्व बाल दिवस तक चलने वाले बाल अधिकार सप्ताह की शुरुआत की

महामारी का बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। एक स्वास्थ्य संकट के रूप में शुरू हुई कोविड महामारी में तेजी से स्कूल बंद होने के साथ शिक्षण व्यवस्था पर संकट के बादल छा गए। इस दौरान आन लाइन शिक्षा को बढ़ावा मिला, लेकिन कई बच्चे कनेक्टिविटी की समस्या के कारण ऑनलाइन शिक्षा में पीछे छूट गए।

नई दिल्ली। यूनिसेफ ने भारत में राष्ट्रीय बाल दिवस के अवसर पर 14 नवंबर रविवार को महामारी प्रतिकात्मक कक्षा का अनावरण कर स्कूलों को दोबारा खोलने की अनुसंशा की। महामारी में बच्चों की शिक्षा बुरी तरह प्रभावित प्रतीकात्मक कक्षा में खाली बेंच और क्लास को दिखाया गया। यूनिसेफ इंडिया द्वारा इसी क्रम में 20 नवंबर (विश्व बाल दिवस) तक बाल अधिकार सप्ताह के तहत विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा।
यूनिसेफ के भारत में प्रतिनिधि एआई (ए.आई यानि स्थाई नियुक्ति तक प्रतिनिधि) यासुमासा किमुरा और दो किशोरों ने स्कूल की घंटी बजाकर महामारी कक्षा का अनावरण किया। अंबेडकर विश्वविद्यालय एमेरिटस, अर्ली चाइल्डहुड एजुकेशन की प्रख्यात शिक्षाविद् विनिता कौल इस कार्यक्रम की प्रमुख वक्ता थी। यूनिसेफ की सेलिब्रिटी एडवोकेट, सुश्री करीना कपूर खान ने स्कूलों को फिर से खोलने और शिक्षण की बहाली का समर्थन करते हुए अपना वीडियो संदेश साझा किया। महामारी कक्षा 14 नवंबर (भारत के बाल दिवस) से 20 नवंबर 2021 (विश्व बाल दिवस) तक एक सप्ताह के लिए प्रदर्शित की जाएगी।

2020 में छह राज्यों – असम, बिहार, मध्य प्रदेश, केरल, गुजरात और उत्तर प्रदेश में किए गए यूनिसेफ के रैपिड असेसमेंट के अनुसार 5-13 वर्ष की आयु के बीच के बच्चों के 76 प्रतिशत माता-पिता और 14-18 वर्ष के बीच के 80 प्रतिशत किशोरों ने बताया कि पहले स्कूल जाने की तुलना में शिक्षा का नुकसान हुआ है।
कार्यक्रम में यूनिसेफ इंडिया के प्रतिनिधि यासुमासा किमुरा ने कहा कि इस प्रतीकात्मक महामारी कक्षा में प्रत्येक खाली डेस्क उन लाखों बच्चों को समर्पित है, जिन्होंने शिक्षण की चुनौतियों का सामना किया है। हर गुजरते दिन के साथ प्रत्येक बच्चा जो शिक्षण से चूक जाता है, अपने विकास में और पिछड़ जाता है और कई बच्चे शायद कभी स्कूल नहीं लौट पाएंगे। , दुर्भाग्यवश सबसे वंचित वर्ग के बच्चे स्कूल बंद होने की सबसे भारी कीमत चुका रहे हैं और कई तो पढ़ना या लिखना भी भूल गए हैं । देखा जाए तो इस समय एक पूरी पीढ़ी का भविष्य दांव पर है। यासुमासा ने कहा कि हम माता-पिता से आग्रह करते हैं कि वे स्कूल प्रशासनों और सरकार के साथ मिलकर स्कूलों को सुरक्षित रूप से खोलने और सभी बच्चों तक शिक्षा पहुंचने के इस कार्यक्रम का समर्थन करें।
पिछले साल से महामारी कारण ज्यादातर स्कूलों को बंद कर दिया नतीजतन लगभग 24.7 करोड़ बच्चे एक वर्ष से अधिक समय तक स्कूल नहीं जा सके। इस दौरान करीब 15 लाख स्कूल और 14 लाख ईसीडी/आंगनवाड़ी केन्द्र बंद रहे। लाखों बच्चे गर्म पके हुए मध्याह्न भोजन मिड डे मील से भी वंचित रह गए। बच्चे जितने लंबे समय तक स्कूल से बाहर रहते हैं, उनके लौटने की संभावना उतनी ही कम होती है और उनका विवाह होने या समय से पहले पैसे कमाने की गतिविधियों में शामिल होने का खतरा बढ़ जाता है।
प्रोफेसर विनीता कौल ने कहा कि सबसे कम उम्र के बच्चों का स्कूल को लेकर कोई अनुभव नहीं होता है और उन्हें नए सिरे से शुरुआत करने के अवसर की आवश्यकता होती है। नियमित स्कूल न खुलने की वजह से हम छोटी आदतों से बच्चों को स्कूलों की तरफ दोबारा मोड़ सकते हैं।
यूनिसेफ सेलिब्रिटी एडवोकेट करीना कपूर खान ने अपने वीडियो संदेश में कहा कि अब जबकि पूरे भारत में कई स्कूल फिर से खुल रहे हैं, हमें खुशी होनी चाहिए कि बच्चे दोबारा वापस आ गए हैं, कुछ सीख रहे हैं और अपने दोस्तों के साथ मस्ती कर रहे हैं। इसके साथ ही हमें यह भी याद रखना चाहिए कि कुछ बच्चों की रिमोट लर्निंग या होम बेस्ड एजुकेशन तक पहुंच नहीं थी। शिक्षकों, माता पिता और कई अन्य लोगों की मदद से बच्चों का शिक्षण जारी रखने के लिए काफी प्रयास किया है, फिर भी हो सकता है कि बच्चों से बहुत कुछ छुट गया हो जिसे हम सभी को वापस लाना है। करीना कपून ने संदेश दिया कि आइए कोविड उपयुक्त व्यवहारों का पालन करते हुए, जिसमें मास्क पहनना, साबुन से हाथ धोना और शारीरिक दूरी शामिल है, अपने बच्चों को वापस स्कूल भेजने के साथ शुरू करें।”
स्कूलों में बच्चों की अनुपस्थिति को दर्शाते हुए प्रतीकात्मक कक्षा में खाली बेंच और स्कूल बैग्स दिखाए गए, यह उन लाखों छोटे बच्चों की दुर्दशा की ओर तत्काल ध्यान आकर्षित करने के लिए प्रयोग किए गए जो महामारी के कारण स्कूल बंद होने के कारण एक वर्ष से अधिक समय तक स्कूल नहीं जा सके और फलस्वरूप वह शिक्षा से महरूम रहे।