नई दिल्ली। कैंसर के क्षेत्र में अग्रणी राजीव गाँधी कैंसर संस्थान एवं रिसर्च केंद्र (आरजीसीआईआरसी) के प्रमुख वार्षिक कार्यक्रम ‘आरजीकॉन 2024’ में दुनियाभर के 800 से अधिक नामचीन डॉक्टर एवं चिकित्सा विशेषज्ञों के जुटने की उम्मीद है, जो सिर और गर्दन के कैंसर के इलाज के सर्वश्रेष्ठ तरीकों पर चर्चा और विचार विमर्श करेंगे।
यह तीन दिवसीय सम्मेलन शुक्रवार, 15 मार्च को दिल्ली में शुरू होगा, जिसमें हेल्थकेयर विशेषज्ञ मिलकर ‘सिर और गर्दन का कैंसर: देखभाल से उत्तरजीविता तक का रास्ता’ (हैड एंड नेक कैंसर: ब्रिजिंग द गैप फ्रॉम क्योर टू सर्वाइवरशिप) विषय पर भविष्य के लिए रोडमैप बनायेंगे, जो कि इस वर्ष के आरजीकॉन की थीम भी है।
उल्लेखनीय है कि भारत में सबसे ज्यादा सिर और गर्दन के कैंसर के मामले सामने आते हैं, जोकि वैश्विक मामलों का 30-35 प्रतिशत हैं। भारत में पता चलने वाले सभी कैंसर के मामलों में से 17% मामले अकेले सिर और गर्दन के होते हैं। ग्लोबोकॉन 2020 के अनुसार वर्ष 2040 तक भारत में कैंसर के 2.1 मिलियन अनुमानित नये मामले होंगे, जो कि वर्ष 2020 की तुलना में संभावित 57.5 प्रतिशत ज्यादा होंगे।
सम्मेलन में अन्य अतिथियों के साथ डॉ अलोक ठक्कर, निदेशक – राष्ट्रीय कैंसर संस्थान और ओटोलरीन्गोलॉजी विभाग, एम्स, दिल्ली मुख्य अतिथि और राष्ट्रीय चिकित्सा परिषद (नेशनल मेडिकल कॉउंसिल) की चिकित्सा आंकलन और रेटिंग बोर्ड के सदस्य डॉ जे एल मीणा विशिष्ट अतिथि के बतौर कार्यक्रम में भाग लेंगे।
कार्यक्रम में मेडिकल समुदाय सिर और गर्दन के कैंसर के इलाज हेतु विभिन्न विशेषज्ञतायें साझा करेंगे, जो मरीज देखभाल और परिणामों में वृद्धि के लिए अत्याधुनिक ज्ञान, तकनीकों और गहन जानकारियों पर आदान-प्रदान को संभव बनाएगा।
इस बाईसवे वार्षिक सम्मेलन के एजेंडा पर बातचीत करते हुए आरजीसीआईआरसी में सीनियर कंसलटेंट – हैड एवं नैक ऑन्कोलॉजी डॉ मुदित अग्रवाल ने कहा, “इस साल के सम्मेलन में सिर और गर्दन के कैंसर के इलाज के चार मुख्य स्तम्भों – सर्जरी, रेडिएशन, मेडिकल ऑन्कोलॉजी और पैथोलॉजी की विशेषज्ञता एक स्थान पर दिखेगी। सत्रों का उद्देश्य सर्जरी, रेडिएशन ऑन्कोलॉजी, मेडिकल ऑन्कोलॉजी, पैथोलॉजी और देखभाल सहायता सहित विभिन्न स्तम्भों के बीच तालमेल को बढ़ावा देना है।”
इस वर्ष आरजीकॉन के केंद्रीय विषय पर टिप्पणी करते हुए आरजीसीआईआरसी में रेडिएशन ऑन्कोलॉजी के डायरेक्टर डॉ मुनीश गैरोला ने कहा, “भारत में बढ़ते सिर और गर्दन के कैंसर के भार का मुख्य कारण उत्तरी क्षेत्र की लाइफस्टाइल आदतें हैं, जिसमें धूम्रपान और तम्बाकू चबाना मुख्य वजहें हैं, जोकि जोखिम का एक जाना-माना कारण है। दूसरे कई कैंसरों के मुकाबले सिर और गर्दन के कैंसर की रोकथाम दिनचर्या में बदलाव और जन स्वास्थ्य पहलों से अधिकांशतः संभव है। सम्मेलन में दुनियाभर के विभिन्न क्षेत्रों और हेल्थकेयर सुविधाओं के वास्तविक अनुभवों पर विस्तार से चर्चा की जायेगी।”
आरजीसीआईआरसी में पैथोलॉजी के सीनियर कंसलटेंट डॉ सुनील पसरीचा और सर्जिकल ऑन्कोलॉजी के कंसलटेंट डॉ विकास अरोड़ा भी सिर और गर्दन के कैंसर के प्रभावी रोकथाम और इलाज के संबंध में अपने ज्ञान को साझा करेंगे। दोनों आरजीकॉन 2024 की आयोजन समिति के सदस्य भी हैं।
इसके आलावा सम्मेलन में सिर और गर्दन कैंसर के मरीजों के इलाज के बाद पूर्वदशा स्थिति पर विचार-विमर्श किया जायेगा। मेडिकल ऑन्कोलॉजी के एसोसिएट डायरेक्टर डॉ सुमित गोयल ने कहा, “सिर और गर्दन कैंसर के मरीज पूर्वदशा स्थिति के लिए काफी चुनौतियों का सामना करते हैं, जिसमें त्वचा संबंधी मुद्दे, निगलना और बोलने में असुविधा शामिल हैं। इस सम्मेलन में पूर्वदशा स्थिति के इन महत्वपूर्व पहलुओं के समाधान के लिए नर्सिंग, स्पीच पैथोलॉजी, स्वालोइंग थेरेपी और फिजियोथेरेपी के विशेषज्ञों के समर्पित सत्र आयोजित होंगे, जो कि प्राथमिक थेरेपी के साथ इनकी महत्वपूर्णता को रेखांकित करता है।”
सम्मेलन में खासकर निम्न सामाजिक-आर्थिक पृष्टभूमि से आने वाले सिर और गर्दन के कैंसर के मरीजों के इलाज के तौर-तरीकों की योजना बनाने पर भी विचार-विमर्श किया जाएगा। उस पर जानकारी देते हुए मेडिकल ऑन्कोलॉजी के सीनियर कंसलटेंट डॉ रजत साहा ने कहा, “देरी से पता लगने के कारण लगभग 70% मरीज देश में भी उपलब्ध अत्याधुनिक इलाज से वंचित रह जाते हैं, जिससे ठीक होने का प्रतिशत घटकर 30-40 प्रतिशत रह जाता है। इसमें वृद्धि और समय से निदान के लिए तम्बाकू सेवन से दूर रहने और ईएनटी सर्जन से शीघ्र जांच को प्रोत्साहित करने की बहुत ही ज्यादा आवश्यकता है।”