गरीबों को 75 वर्षों में नहीं मिली आर्थिक और सामाजिक समानता: पद्मश्री डॉ जगदीश प्रसाद

डॉ प्रसाद ने केंद्र की मौजूदा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने 2014 के बाद देश में नफरत बढ़ाया है। धर्म के नाम पर राजनीतिक करते हैं, सामूहिक नफ़रत पैदा कर दिया जिसके कारण बिना किसी तथ्यों को जाने ही धर्म के नाम पर हत्या की गई।"


नई दिल्ली।
“आजादी के 75 वर्षों बाद भी देश के गरीबों को आर्थिक और सामाजिक समानता नहीं मिली है. आजादी के 77 वर्षों के बाद भी देश में आर्थिक और सामाजिक समता नहीं आ पायी। पूरे देश को जाति और धर्म में बांटकर राजनीतिक पार्टियां मुद्दों से भटकाकर गरीब जनता को गुमराह कर रही है। गरीब अमीर के बीच की खाई को और बढ़ा दी गई है। गरीब और गरीब होते जा रहे हैं अमीर और अमीर होते जा रहे हैं। ये बातें पद्मश्री डॉ जगदीश प्रसाद ने शनिवार को नई दिल्ली के संसद मार्ग में स्थित कॉस्टिट्यूशन क्लब में आयोजित कार्यक्रम में कही.

इस कार्यक्रम की शुरुआत संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव अंबेदकर और ज्योतिबाराव फुले के चित्र पर पुष्प अर्पित करके की गई. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ जगदीश प्रसाद ने आगे कहा, ” देश की 50 प्रतिशत से अधिक संपत्ति एक प्रतिशत लोगों के पास है। इससे सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि देश में आर्थिक असमानता की खाई कितनी गहरी हो गई है। ऐसा किसी भी देश में नहीं है । 83 करोड़ जनता को सरकार ने अनाज देकर भिखारी बना दिया । सरकार ने 2014 में दो करोड़ नौकरी देने का वादा किया था, लेकिन ये खोखले वादे साबित हुए।”

उन्होंने कहा, “मनारेगा में जो काम मिलता था उसे भी सरकार क़रीब क़रीब ख़त्म कर दिया । सरकारी स्कूलों में ग़रीब के बच्चे पढ़ते हैं और चाहे दिल्ली हो , बिहार या उत्तर प्रदेश सभी की हालत ख़स्ता है । दिल्ली की सरकार झूठा प्रचार आपने स्कूल के बार में करती है । बताये कितने झुग्गी झोपड़ी और मजदूर के बच्चे डॉक्टर या इंजिनियर या ऑफिसर बनें। दिल्ली सरकार का मोहल्ला चिकित्सालय हो या बड़ा अस्पताल हो सभी का हालत ठीक नहीं है हमनें कोविड के समय देखा। दिल्लीसरकार से पूछें आपके पास ३७ बड़े अस्पताल है कितने में एमआरआई और सिटी स्कैन है। डॉक्टर्स और टेक्निकल स्टाफ का काफ़ी कमी है।आज भी दिल्ली में हाथ से मैला ढोया जाता है ये सभी के लिये शर्म नाक बात है तो दिल्ली के सरकार क्या विकास की बात करती है । बिजली पानी मुफ्त देकर ग़रीब को धोखा दे रही है क्योंकि उनके बच्चों के ज़िंदगी के साथ दिल्ली सरकार खिलवाड़ कर रही है।”

उन्होंने कहा, “हमारी देश की सम्पति जो सभी सरकारों ने 70 साल में बनाया ये आधी सम्पति ७ सालों में बेच दिया या बेचने के कगार पर है। महंगाई और बेरोजगारी को ख़त्म करने का झूठा वादा करके जानता से वोट लिया और आज हमारे देश में इतनी महंगाई और बेरोजगारी बढ़ गया जो कभी नहीं था।मीडिया आज स्वतन्त्र नहीं है । अमेरिका में एक कांफ्रेंसें में कहा गया भारत पात्रकारों के लिये सबसे ख़राब देशों में एक है।नोटबंदी के कारण 50 से लेकर 60 लाख छोटें कारख़ाने बंद हो गये और 6 से 8 करोड़ लोग बेरोज़गार हो गए और आज तक हम आर्थिक नुक़सान से नहीं निकल पाएँ हैं ।सरकार की गलत नीति के कारण 700 से ज़्यादा किसानों की जान चली गई।”

डॉ प्रसाद ने कहा, “अगर ग़रीबों को सामाजिक और आर्थिक समता देना है तो हमें 12 तक सभी बच्चों को एक ही तरह का शिक्षा देना है चाहे वो ग़रीब का बच्चा हो या अमीर। कृषि और स्वास्थ्य का राष्ट्रीय करना होगा । निजी करण को रोक कर सभी को पब्लिक सेक्टर में करना होगा संविधान के साथ किसी तरह का छेठ खानी नहीं होना चाहिए । मीडिया को स्वतंत्र होना चाहिये ताकि सरकार के नीति ग़लत है तो आलोचना कर सके। केंद्र सरकार की हालत यह हो गई केंद्र से लेकर राज्य तक की सरकारें गरीबों के हित की अनदेखी कर रही है।”

उन्होंने आगे कहा कि जब गरीबों की अपनी सरकार बनेगी तो भ्रष्टाचार पर पूरी तरह लगाम कसा जाएगा। भ्रष्टाचार पर उनकी नीति जीरो टालरेंस की होगी। राज्य के सभी पंचायतों में बेहतर स्कूल बनाए जाएंगे जिसमें पर्याप्त संख्या में क्वालिटी के पढ़ाने वाले शिक्षक होंगे। पूरे देश में एक समान शिक्षा की व्यवस्था होगी। कोई भी निजी स्कूल नहीं होगा। गरीबों के लिए प्रखंड स्तर पर आवासीय विद्यालय बनाए जाएंगे। हर पीएचसी में इलाज की पर्याप्त व्यवस्था होगी। जिला स्तर के अस्पतालों को सुपर स्पेशिलियटी अस्पताल बनाया जाएगा जहां हर विभाग के चिकित्सक मौजूद रहेंगे। जिलों से बहुत ही कम रोगी बड़े शहरों में भेजे जाएंगे।

जगदीश प्रसाद ने कहा, “मैनें 38 साल एक चिकित्सक एवं कुशल प्रशासक के रूप में देश के गरीबों ही नहीं मध्यम वर्गीय लोगों की बहुत सेवा की है। ह्रदय रोग से पीड़ित लाखों लोगों को जीवन दान दिया है। उनका नि:शुल्क इलाज किया है। गरीबों के इलाज के लिए देश में पांच एम्स के साथ ही 20 कैंसर संस्थान बनवाया जिसमें नि:शुल्क इलाज की व्यवस्था है। टीबी के मरीज अधिकतर गरीब ही होते हैं और उनके लिए मुफ्त दवाओं के साथ-साथ प्रति माह खाने-पीने के लिए पांच सौ रुपये की भी व्यवस्था करवाई। अपने डीजी के कार्यकाल में 45 क्षेत्रीय कैंसर संस्थान बनवाया। पूरे देश में क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट को लागू करवाया जिससे निजी अस्पतालों की मनमानी पर रोक लगाई जा सके। उत्कृष्ट सेवा के लिए वर्ष 1991 में ही 36 साल की उम्र में भारत सरकार की ओर से पद्मश्री की उपाधि दी गई थी।”

इस मौके पर डॉ ताजुद्दीन अंसारी, राज कुमार, धर्मेंद्र कुमार, राम स्वरूप सिंह, उदय गिल, अनिल कुमार पटेल, विजेंद्र यादव सहित सैंकड़ों लोग मौजूद रहे.