रायपुर। गोबर को भले ही आम लोग व्यर्थ मानते हों, लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार की पहल पर गोबर से हजारों लोग कमाई कर रहे हैं। नेशनल रूरल लाइवली हुड मिशन के तहत बनाए गए गोठानों के जरिए केंचूआ खाद, महूआ तेल, इमली की चटनी, मछली पालन, मोती निर्माण ङ्म आदि कार्य किए जा रहे हैं, आदिवासी जनजातियों की जरूरत को देखते हुए इसे व्यापक रूप में शुरू करने की जरूरत है।
राजानंदगांव के जिलाधिकार तारण प्रकाश सिन्हा का कहना है कि गोधन न्याय योजना के तहत कार्यक्रम के अंतर्गत हमारे ज़िले में 358 गौठान निर्मित किए गए हैं। इनको आजीविका केंद्र के रूप में विकसित किया गया है। इनमें गाय का गोबर खरीदा जाता है और उससे वर्मी कम्पोस्ट बनाकर बेचते हैं। उन्होंने बताया कि लाभांश का 40% हिस्सा यहां महिला स्वयं सहायता समूहों को जा रहा है। गोबर से अन्य उत्पाद भी बनाए जा रहे हैं जिसमें उपले, दीए और अन्य सामग्री शामिल हैं। ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर भी इन उत्पादों को बेचना शुरू किया गया है।
असल में,विकास के नए आयाम को कैसे गढ़ा जा सकता है, यह किसी को देखना और समझना हो, तो छत्तीसगढ़ एक बेहतर ठिकाना है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बीते ढाई साल से अधिक के कार्यकाल में कांग्रेस सरकार का लक्ष्य आम जनता, किसान, आदिवासी और कमजोर तबकों का सशक्तिकरण करना रहा है।