नई दिल्ली। यूं तो सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण खगोलीय घटना है, लेकिन इसका ज्योतिषीय प्रभाव भी होता है। कई धर्म में इसका प्रभाव बताया गया है। वैज्ञानिकों द्वारा यह कहा जाता है कि सूर्य ग्रहण को कभी भी नंगी आखों से नहीं देखा जाना चाहिए। कई बार यह आपके आंखों के लिए घातक हो सकता है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार,10 जून का सूर्य ग्रहण एक वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा। वलयाकार सूर्य ग्रहण तब होता है जब सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी एक सीधी रेखा में आते हैं। असल में यह खगोलीय घटना चंद्रमा के सूरज और धरती के बीच आ जाने के कारण होती है और कुछ समय के लिए एक विशेष इलाक़े में अंधेरा छा जाता है। जब चंद्रमा के पीछे से धीरे-धीरे सूर्य की रोशनी बाहर आती है तो एक समय इसकी चमक किसी हीरे की अंगूठी की तरह प्रतीत होती है, जिसको रिंग ऑफ फायर भी कहा जाता है।
भारतीय समयानुसार ये दोपहर 1.42 बजे शुरू होगा और शाम 6.41 बजे खत्म हो जाएगा। वलयाकार सूर्य ग्रहण (रिंग ऑफ फायर) की घटना यूं तो वर्ष में एक से अधिक बार होती है, लेकिन हर बार की तरह ही ये वैज्ञानिकों और खगोलीय घटनाओं में दिलचस्पी रखने वालों के लिए किसी अद्भुत नजारे से कम नहीं होती हैं।
सूर्य ग्रहण अमेरिका, यूरोप और एशिया में आंशिक तौर पर दिखाई देगा जबकि ग्रीनलैंड, उत्तरी कनाडा और रूस में पूर्ण सूर्य ग्रहण का नजारा देखने को मिलेगा। इस बार का सूर्य ग्रहण भारत के केवल अरुणाचल प्रदेश में आंशिक तौर पर दिखाई देगा।
बता दें कि सूर्य ग्रहण हर बार अमावस्या तिथि को ही होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दौरान किसी भी शुभ कार्यों को करने की मनाही होती है। सूतक काल के दौरान भगवान की पूजा करना वर्जित माना जाता है। चूंकि सूर्य ग्रहण और वट सावित्री व्रत एक ही दिन पड़ रहे हैं। ऐसे में वट सावित्री व्रत की पूजा और उपवास को लेकर कई महिलाओं के मन संदेह है।