दशकों की कानूनी लड़ाई से विहिप ने बचाईं 123 सरकारी संपत्तियां

आलोक कुमार के अनुसार भारत सरकार ने दो सदस्यीय समिति के निर्णय को स्वीकार कर लिया है और इस प्रकार उक्त 123 संपत्तियां सरकार के पास बनी रहेंगी और वक्फ बोर्ड को हस्तांतरित नहीं की जाएंगी। इस निर्णय के लिए उन्होंने दिल्ली के लोगों को बधाई दी।

नई दिल्ली। विश्व हिंदू परिषद की दिल्ली राज्य इकाई इंद्रप्रस्थ विश्व हिंदू परिषद ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में स्थित 123 प्रमुख भू-संपत्तियों को बचा लिया है। विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय कार्याध्यक्ष श्री आलोक कुमार ने कहा, “यह बताते हुए हमें खुशी हो रही है कि लगभग 40 वर्षों की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद हमने लगभग 20 हजार करोड़ मूल्य की 123 संपत्तियों को दिल्ली वक्फ बोर्ड के अवैध कब्जे में जाने से बचाया है।”

उन्होंने कहा कि 1910 के आसपास भारत सरकार ने देश की नई राजधानी के लिए दिल्ली में विशाल संपत्तियों का अधिग्रहण किया। अधिग्रहण पूरा हो गया और संपत्तियां सरकार में निहित हो गई थीं। 70 के दशक के अंत में दिल्ली वक्फ बोर्ड ने अधिग्रहीत संपत्तियों में से 123 को वक्फ संपत्तियों के रूप में अधिसूचित किया, जिनमें से कई रणनैतिक रूप से महत्वपूर्ण स्थानों पर स्थित थीं। सरकार ने सभी 123 मामलों में दावा ठोका।

श्री आलोक कुमार ने कहा कि आश्चर्यजनक रूप से तत्कालीन केंद्रीय वक्फ और आवास मंत्री श्री फखरुद्दीन अली अहमद के कहने पर सरकार ने इन 123 संपत्तियों को दिल्ली वक्फ बोर्ड को स्थाई पट्टे पर एक रुपये प्रति वर्ष के किराए पर देने का फैसला किया। यह आदेश दिनांक 27 मार्च 1984 को पारित किया गया था।

उन्होंने बताया कि उन सभी संपत्तियों को बचाने के लिए त्वरित कार्रवाई करते हुए इंद्रप्रस्थ विश्व हिंदू परिषद ने 1984 के डब्ल्यूपी (सिविल) 1512 द्वारा दिल्ली उच्च न्यायालय में उस अधिसूचना को चुनौती दी। माननीय उच्च न्यायालय ने पहली ही सुनवाई में प्रस्तावित आदेश पर एकतरफा रोक लगा दी।

श्री कुमार के अनुसार 12 जनवरी, 2011 को दिल्ली उच्च न्यायालय ने रिट याचिका का निपटारा किया था, जिसमें भारत संघ को मामले पर नए सिरे से विचार करने और छह महीने में निर्णय लेने का निर्देश दिया गया था। उच्च न्यायालय ने आगे निर्देश दिया कि तब तक उच्च न्यायालय का 1 जून, 1984 को पारित अंतरिम आदेश प्रभावी रहेगा। किंतु सरकार ने इस मामले में कोई फैसला नहीं लिया।

यह जानकर हैरानी हुई कि मनमोहन सिंह सरकार ने इस मामले की नए सिरे से जांच करने की बजाय 100 साल से अधिक समय पहले पूरी की गई अधिग्रहण की प्रक्रिया को वापस ले लिया। इस संबंध में अधिसूचना 05 मार्च, 2014 को जारी की गई। ध्यान देने वाली बात है कि लोकसभा चुनाव के लिए चुनाव आयोग की अधिसूचना से कुछ घंटे पहले ही सरकार ने यह अधिसूचना जारी की थी।

उन्होंने बताया कि विहिप ने मुख्य चुनाव आयुक्त के समक्ष इसे आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन बता कर शिकायत की और इंद्रप्रस्थ वीएचपी ने इस अधिसूचना को डब्ल्यूपी (सी) संख्या 2901/2014 के अंतर्गत दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दी। सरकार अपनी कार्रवाई का बचाव नहीं कर सकी और बयान दिया कि इंद्रप्रस्थ विश्व हिंदू परिषद की रिट याचिका को प्रतिनिधित्व के रूप में माना जाएगा और जल्द से जल्द उचित निर्णय लिया जाएगा।

विहिप कार्याध्यक्ष के अनुसार सरकार ने मामले की जांच के लिए न्यायमूर्ति श्री एस के गर्ग (सेवानिवृत्त) की अध्यक्षता में दो सदस्यीय समिति नियुक्त की। कमेटी ने दिल्ली वक्फ बोर्ड को कई नोटिस भेजे। वक्फ बोर्ड कमेटी के समक्ष नहीं आया। उसने कोई दावा दायर नहीं किया। इस प्रकार समिति को यह निष्कर्ष निकालना पड़ा कि बोर्ड के दावे की पुष्टि नहीं हुई है।