दिल्ली सहित देश के अलग-अलग हिस्सों में चल रहे किसानों के प्रदर्शन से केंद्र सरकार सहित भारतीय जनता पार्टी की सेहत गडबड हो गई है। ऐसे में पार्टी को जब राजस्थान में स्थानीय निकाय में जीत मिली, तो उसके लिए यह किसी बूस्टर डोज से कम नहीं हैं।
भाजपा सूत्रों का कहना है कि पार्टी के शीर्ष नेताओं ने अपने प्रवक्ताओं सहित मीडिया के अन्य साथियों से कहा है कि उसकी यह जीत नए कृषि कानून पर राजस्थान की जनता की मुहर है। जब कांग्रेस शासित प्रदेश में भाजपा निकाय चुनाव जीतती है, तो इसका साफ मतलब है कि जनता उसके साथ है। जनता को केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कामकाज पसंद है।
स्वयं भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा ने राजस्थान के पंचायती राज और जिला परिषद चुनावों में पार्टी को मिली जीत के लिए क्षेत्र की जनता, खासकर किसानों व महिलाओं का आभार जताया। भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि यह जीत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में गांव, गरीब, किसान और मजदूर के विश्वास का प्रतीक है। अपने ट्वीट में उन्होंने , ‘‘राजस्थान में पंचायती राज और जिला परिषद चुनावों में प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्र की जनता, किसानों व महिलाओं ने भाजपा में जो विश्वास प्रकट किया है, इसके लिए मैं उनका आभार व्यक्त करता हूं। यह जीत गांव, गरीब, किसान और मजदूर के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी में विश्वास का प्रतीक है।’’
बता दें कि राजस्थान के 21 जिलों में 4371 पंचायत समिति सदस्यों के चुनाव में भाजपा के 1990 उम्मीदवारों को जीत मिली, जबकि कांग्रेस के 1856 उम्मीदवारों को सफलता हासिल हुई। इसी तरह जिला परिषद सदस्यों के चुनाव में कांग्रेस 252, भाजपा 353 व आरएलपी पांच सीटों पर जीती है। कुल 636 जिला परिषद सदस्यों के लिए चुनाव हुए हैं।
दरअसल, राजस्थान के 21 जिलो में कुल 636 जिला परिषद सदस्यों और 4,371 पंचायत समिति सदस्यों के चुनाव के लिए अजमेर, बांसवाड़ा, बाड़मेर, भीलवाड़ा, बीकानेर, बूंदी, चित्तौड़गढ़, चुरू, डूंगरपुर, हनुमानगढ़, जैसलमेर, जालोर, झालावाड़, झुंझुनू, नागौर, पाली, प्रतापगढ़, राजसमंद, सीकर, टोंक और उदयपुर में मतदान 23 और 27 नवंबर और एक और पांच दिसंबर को चार चरणों हुआ था। निकाय चुनाव में भाजपा की जीत प्रदेश की कांग्रेस सरकार और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सेहत के लिए बढिया नहीं माना जा रहा है।