वाराणसी। केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री सुभाष सरकार ने कहा कि काशी तमिल संगमम के रूप में हम एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना का जश्न मना रहे हैं। यही नहीं इस कार्यक्रम के माध्यम से हम उत्तर और दक्षिण की एकता का संदेश भी दे रहे हैं।
बीएचयू में आयोजित एकेडमिक कार्यक्रम में श्री सुभाष सरकार ने काशी-विश्वनाथष्टकम से एक श्लोक साझा किया, जिसकी जिसकी रचना श्री आदि शंकराचार्य ने की थी। श्री सरकार ने कहा कि,गंगा तरंग रमणीय जटा कलापं, गौरी निरंतर विभूषित वाम भागं, नारायण प्रियमनंग मदापहारं, वाराणसी पुरपतिं भज विश्वनाधम। इसका अर्थ है, जो बनारस के शहर के भगवान हैं, जिनके पास गंगा नदी की लहरों से बने गुच्छे हैं, जिनके बाईं ओर गौरी हमेशा के लिए है, जो भगवान नारायण के मित्र हैं। आइए हम सब गाएं और ब्रह्मांड के उस स्वामी की स्तुति करें जो ‘विश्व’ है।
श्री सरकार ने कहा कि एक तरफ ज्ञान, दर्शन, संस्कृति, भाषा, साहित्य, कला और शिल्प का शहर वाराणसी भारत का प्रतिनिधित्व करता है तो दूसरी ओर, मंदिरों की भूमि, तमिलनाडु, संस्कृति, कला, शिल्प और साहित्य, ज्ञान का एक और तीर्थ है। श्री सरकार ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के शब्दों को कोट करते हुए कहा कि, काशी और तमिलनाडु हमारी संस्कृति और सभ्यताओं के कालजयी केंद्र हैं। काशी तमिल संगम न केवल भारत के उत्तर और दक्षिण बल्कि पूरे देश के बीच ऐतिहासिक, सभ्यतागत और सांस्कृतिक संबंधों के कई पहलुओं का जश्न मनाता है।
Addressed the Kashi Tamil Sangamam Academic Session at the ongoing #KashiTamilSangamam in Varanasi. @KTSangamam @EduMinOfIndia @iitmadras pic.twitter.com/LfnzN52vvi
— Dr. Subhas Sarkar (@Drsubhassarkar) December 2, 2022
कार्यक्रम में तमिलनाडु से आए शिक्षकों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम की शुरुआत डॉक्टर सौम्या मिश्रा के नेतृत्व में विश्वविद्यालय के कुलगीत की प्रस्तुति दी गई। कुलगीत के उपरांत मंच पर उपस्थित मुख्य अतिथि का सम्मान अंगवस्त्र एवं स्मृति चिन्ह देकर किया गया। कार्यक्रम में बीएचयू के प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे, प्रो. सुनील कुमार सिंह , सी मुथुलक्ष्मी, श्री रामचंद्र, श्री के.एस. नारायणन ने अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम की समन्वयक प्रो. डॉ. बिंदा दत्तात्रेय प्रांजपे रही ।