नई दिल्ली। केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच डेढ महीना से अधिक हो गया, तकरार जारी है। कोई झुकने को तैयार नहीं। ऐसे में आज देश की शीर्ष अदालत ने जो टिप्पणी की, अचानक से उसको किसान नेताओं के साथ ही विपक्षी नेताओं को भी बल मिल गया। उनकी उम्मीद इस बात को लेकर जग गई है कि सुप्रीम कोर्ट नए कृषि कानून को रद्द करवा सकते हैं। हालांकि, कानून के जानकार ऐसी किसी टिप्पणी करना नहीं चाहते हैं। उनका कहना है कि संसद से पारित कानून को देश की शीर्ष अदालत झटकेे से खारिज नहीं करती है।
बता दें कि पीठ में न्यायमूर्ति एस. एस. बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी. सुब्रमण्यम भी शामिल थे। पीठ ने यह भी कहा कि पीठ ने कहा, ‘‘ हमारे समक्ष एक भी ऐसी याचिका दायर नहीं की गई, जिसमें कहा गया हो कि ये तीन कृषि कानून किसानों के लिए फायदेमंद हैं।’’ उच्चतम न्यायालय ने कृषि कानूनों को लेकर समिति की आवश्यकता को दोहराया और कहा कि अगर समिति ने सुझाव दिया तो, वह इसके क्रियान्वयन पर रोक लगा देगा। उसने केन्द्र से कहा, ‘‘हम अर्थव्यवस्था के विशेषज्ञ नहीं हैं; आप बताएं कि सरकार कृषि कानूनों पर रोक लगाएगी या हम लगाएं?’’
हालांकि अटॉर्नी जनरल केके. वेणुगोपाल ने शीर्ष अदालत से कहा कि किसी कानून पर तब तक रोक नहीं लगाई जा सकती, जब तक वह मौलिक अधिकारों या संवैधानिक योजनाओं का उल्लंघन ना करे।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी को आंदोलन कर रहे किसान अपनी जीत मानकर चल रहे हैं। भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने तो सुप्रीम कोर्ट को धन्यवाद तक दे दिया। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का भारतीय किसान यूनियन ने स्वागत किया है।हमें बेहद खुशी है कि सुप्रीम कोर्ट ने किसानों के इस मामले का संज्ञान लिया, हम उनका धन्यवाद करते हैं। उन्होंने कहा कि हमारा आंदोलन बस इन कानूनों की वापसी का है। हमारी एक लीगल टीम बनी हुई है। उनसे विचार विमर्श कर हम लोग आगे का कदम उठाएंगे।
दूसरी ओर जो किसान सिंघु बाॅर्डर पर आंदोलन कर रहे हैं, वे लोग सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी से तो खुश हैं, लेकिन किसी कमेटी बनाने के फैसले से सहमत नहीं हैं। उन लोगों का कहना है कि अगर सुप्रीम कोर्ट नए कृषि कानूनों को स्थगित करने को लेकर कोई पुख्ता फैसला करती है, तो हम उसके बाद आंदोलन को खत्म करने या स्थगित करने पर विचार करेंगे। हमारा आंदोलन शांतिपूर्ण है और शांतिपूर्ण रहेगा। सरकार को लोकतांत्रिक तरीके से हमारी आवाज को सुनना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरेजवाला ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा कि आपसे नहीं होता तो हम कृषि कानूनों पर रोक लगा देते हैं। पीएम मोदी को देश के सामने आकर कृषि कानूनों को रद्द करने की घोषणा करनी चाहिए। मोदी सरकार कानूनों में 18 संशोधन करने के लिए तैयार है, साफ है कि ये कानून गलत है। वहीं, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा की ओर से भी इस संदर्भ में बयान जारी किया गया। उन्होंने कहा कि मैं तो शुरू से कह रहा हूं कि 3 नए कृषि कानून लेकर आए हैं, तो एमएसपी पर चैथा भी ले आएं। अगर एमएसपी से कम पर कोई भी खरीदेगा, तो उसमें सजा का प्रावधान कर दीजिए। वही आज सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये कृषि कानून किसानों के हित के लिए नहीं हैं।