WHO सच कहेगा या सियासत का हिस्सा बनेगा ?

अंग्रेजी दवाओं के प्रयोग से कोरोना से निजात पाने की खुराकों का विवरण सार्वजनिक करने की जरुरत है। क्योंकि यहीं साइंटिफिक है। बचाव का सबसे बेहतर तरीका है। यह बात गांव-गांव तक पहुंचाने की जरुरत है कि हर संक्रमित को लेकर अस्पताल की दौड़ लगाना इलाज नहीं।

नई दिल्ली: निजी अनुभव से डंके की चोट पर कह रहा हूं कि डराने के लिए WHO डबल/ ट्रिपल वाइव्रेंट का एटैक बताता रहा है । सच है कि भारतीय डॉक्टर्स ने कमाल किया है। ट्राइल एंड इरर से जंगजू प्रैक्टिसनर्स ने मेडिकल साइंस में कोरोना से बचा लेने की परफेक्ट दवा निकाल ली है। WHO को चाहिए कि दुनिया को इस सस्ते इलाज़ के बारे में बताये। महज डराने के बजाय उसे रूस, इटली, जर्मनी, अमेरिका, ब्रिटिश आदि देशों के डॉक्टर्स से पूछकर बताना चाहिए कि आखिरकार कौन सी आसान दवायें कोरोना में चमत्कारिक काम करती है। जान बचा लेती है ।

ठोककर बताना चाहिए कि संक्रमण का आभास हो, तो नीम हकीम और घरेलू चिकित्सा में फंसकर जान गंवाने के बजाय भरोसे के मेडिकल प्रैक्टिसनर की शरण में जाईए। उनकी बताई दवाओं का संयमित प्रयोग कीजिए। आपाधापी में मत फंसिए। सौ फीसदी चांस है कि घर में रहकर ही आपकी जान बच जाएगी। हां, जान बचाने के लिए अंग्रेजी दवाओं के साइड इफेक्ट की आशंका को उठाकर फिलहाल ताक पर रख दीजिए। यह भी समझ लीजिये कि आयुष मंत्रालय भारतीय चिकित्सा पद्धति को इस लड़ाई से जीतने लायक नहीं बना पाया है। वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति विषाणु संक्रमण से बचाने में कारगर है अथवा नहीं। इसे वैज्ञानिक कसौटी पर कसकर खुलेआम बताना चाहिए ।

एलोपैथ वालों की ओर से सार्वजनिक घोषणा हो कि कोरोना लाइलाज नही। इसके फलां फलां दवा के संयमी डोज़ काफ़ूर किया जा रहा है । इसलिए घबराने औऱ हायतौबा मचाने की जरुरत नहीं। तय दवाओं के नियंत्रित डोज से हजार-लाखों लोग ठीक हो रहे हैं। जितने गत हो रहे हैं उससे 96 फीसदी ज्यादा लोग कोरोना से ठीक हो रहे हैं।

कहते हुए सुखद अनुभूति हो रही है कि जो ठीक हुए, उनमें से एक मैं भी हूं। बेइमान कोरोना ने 22 अप्रैल ने चपेट में लिया। लक्षण होते हुए भी सफदरजंग इनक्लेव की प्रयोगशाला से कराई गई RTPCR रिपोर्ट निगेटिव आई। बाद में मित्रवर डाक्टर अमर लाल ने बताया कि शुरु के तीन दिनों में कराई गई जांच विषाणु के पोलिमराइज चेन रिएक्शन को पकडने में विफल रहते हैं। लिहाजा लक्षण के मुताबिक ही दवाएं चालू कर देने में फायदा है। Early detection is better cure. समय पर दवा लेने की शुरुआत के बावजूद बुखार जड़िया गया। ऑक्सीजन लेबल हिलडोल करने लगा। 30 अप्रैल आते आते विषाणु का असर सघन होता गया। डॉक्टर ने छाती की सीटी स्कैन करवाई। संक्रमण साफ नजर आने लगा। ट्रिटमेंट का रास्ता बदला। दवा की नई खुराक दी । संयम बरतने और सीमित दवा से घर पर रहकर ही ठीक हो जाने का भरोसा दिया। दवा के साथ आपकी दुआओं ने भरपूर काम किया। आखिरकार 8 मई को गुडलक कहते हुए बाहर चला आया।

हां, इस बीच खबर की दुनिया से बेखबर रहा। टीवी से समाचार चैनल हटा दिया। अखबार खोलकर देखना बंद कर दिया था। साथ ही खोज खबर में नकारात्मक बातें करने वालों से गुरेज रखना शुरु किया। जब ठीक हुआ, तो चेतना लौटी। खबरों की दुनिया में लौटा। उससे जो समझ बन रही है उसमें WHO का व्यवहार अफसोसनाक लग रहा है। यह इंसान की जान बचाने से ज्यादा खौफ पैदा करने में लगा हुआ है। WHO के व्यवहार की काट के लिए अपने देसी IMA या स्वास्थ्य मंत्रालय की ब्रीफिंग के बड़े मंच से ऐलान की जरुरत है कि कोरोना संक्रमण कतई लाइलाज नहीं। कोरोना हुआ, तो बस गए वाली बात सरासर अफवाह है। इस अफवाह से मरीजों के हौसले टूट रहे हैं। जिंदगी की डोर छूट रही है। हमने बहुत गंवा दिया। अब बस करो. डर का कारोबार बंद हो । आज इंसान के जान को बचाने की जरुरत है।

कोशिश किए जाने की जरुरत है कि हिम्मत तोड़ने वाली बातें मरीजों तक न पहुंचे। मरीजों को हौसला मिले इसके लिए जो बचकर निकल आए हैं उनके अनुभव सार्वजनिक हों । खुलकर बताने की जरुरत है कि विकट स्थिति से बचकर निकल आने वालों की तादाद बहुत ज्यादा है। नकारात्मकता से आवोहवा में खौफ है। खौफ से हम बड़ी तादाद में बेशकीमती जान गंवा रहे हैं। पिछली बार बचने वालों का अनुपात 99 फीसदी था। आज भी 96 फीसदी के आसपास है। दुखियों को अछूत बनाकर किनारे छोड़ देने के बजाय भावात्मक स्पर्श के मरहम की सख्त जरुरत है।

अंग्रेजी दवाओं के प्रयोग से कोरोना से निजात पाने की खुराकों का विवरण सार्वजनिक करने की जरुरत है। क्योंकि यहीं साइंटिफिक है। बचाव का सबसे बेहतर तरीका है। यह बात गांव-गांव तक पहुंचाने की जरुरत है कि हर संक्रमित को लेकर अस्पताल की दौड़ लगाना इलाज नहीं। ऑक्सीजन सबके लिए अनिवार्य नहीं। घर पर रहकर मामूली दवाओं से ही इसका इलाज संभव है।
बेशकीमती जान को बचा लीजिए। जान है, तो जहान है। इलाज की बात प्लीज दुनिया को बता दीजिए कि समय से संयमित इलाज हुआ, तो कोरोना का कोई वाइव्रेंट अब लाइलाज नहीं। इलाज बताकर चारों ओर फैली की निराशा को तत्काल खत्म कीजिये।