मेदांता – द मेडिसिटी ने दिल्ली एनसीआर में पहली बार IV इंफ्यूजन में नया इनोवेशन प्रस्तुत किया

भारत सरकार ने भारत में एएमआर में बढ़ोतरी पर लगाम लगाने के लिए कई कदम उठाए हैं। हम भारत में मरीजों की बेहतर इस्तेमाल के लिए इन नई तकनीक तक पहुंच बढ़ाने और बोझ को कम करने के लिए पी. डी. हिंदुजा हॉस्पिटल एंड एमआरसी जैसे हितधारकों से साझेदारी की उम्मीद कर रहे हैं।

नई दिल्ली। मेदांता – द मेडिसिटी देश भर के उन प्रमुंख संस्थानों में से एक है, जो एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्‍टेंस (एएमआर) के प्रभावी प्रबंधन और बढ़ते चलन पर जागरूकता पैदा करने के लिए लगातार कोशिशों में जुटा है। एएमआर को एंटीमाइक्रोबियल ड्रग रेजिस्टेंस के नाम से जाना जाता है, जब सूक्ष्मजीव जैसे बैक्टीरिया और फंगस इस तरह बदल जाते है कि संक्रमण का इलाज करने वाली दवाओं का उन पर कोई असर नहीं होता। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने एएमआर को विश्व में स्वास्थ्य के सबसे बड़े 10 जोखिमों में से एक माना है[i], जिसका इंसान आज सामना कर रहे हैं। 2019 में मेडिकल जर्नल ने खुलासा किया कि एएमआर से पूरी दुनिया में 12 लाख 70 हजार लोगों की मौत हुई।[ii] भारत विश्व के उन देशों में से हैं, जहां एएमआर की दर सबसे ऊंची है। 2019 में सरकार की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार इस तरह के संक्रमण से भारत में सालाना 7,00,000 भारतीयों की मौत होती है।[iii]
आमतौर पर एएमआर संक्रमण में दूसरी और तीसरी पंक्ति के इलाज की जरूरत होती है। इससे स्वास्थ्य पर कई घातक प्रभाव पड़ सकते है, जैसे ऑर्गन फेल हो सकते हैं, मरीजों की लंबे समय तक देखभाल करनी पड़ सकती है, मरीज के ठीक होने में भी देर लगती है और इसमें कई महीने भी लग सकते हैं। कुल मिलाकर एंटीबायोटिक्स का गलत इस्तेमाल और उनका जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल करने से एएमआर फैलता है। इनका सिर्फ सबसे गंभीर संक्रमण, जैसे बैक्टीरिया से होने वाले जटिल इंफेक्शन के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए। इसका गंभीर संक्रमण रोकने व बचाव के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है। एएमआर संक्रमण से होने वाली मौत और विभिन्न रोगों में बढ़ोतरी काफी चिंताजनक है। डब्ल्यूएचओ और सीडीसी ने सुझाव दिया है कि एएमआर संक्रमण को फैलने से रोकने और उसका प्रभाव कम करने के लिए समाज में सभी स्तरों पक कदम उठाए जा सकते हैं और इन्हें उठाना चाहिए। अलग-अलग वर्गों के लोगों, नीति निर्माताओं (सरकार), हेल्थ केयर प्रोफेशनल्स को एएमआर संक्रमण को रोकने के लिए साथ मिलकर योगदान करना चाहिए।
डॉ यतिन मेहता, अध्यक्ष, सेप्सिस फोरम ऑफ इंडिया; पूर्व अध्यक्ष, इंडियन सोसाइटी ऑफ क्रिटिकल केयर मेडिसिन और अध्यक्ष- क्रिटिकल केयर, मेदांता ने कहा, “एएमआर दुनिया भर में और भारत में एक बढ़ता हुआ खतरा है और हम हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स और चिकित्सक के रूप में एएमआर से जुड़े संक्रमणों की खतरनाक वृद्धि का मुकाबला करने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। जबकि अस्पताल संक्रमण नियंत्रण दल सुनिश्चित करते हैं कि सभी सावधानियां बरती जा रही हैं, समस्याएं आमतौर पर बुनियादी अस्पताल स्वच्छता और नियंत्रण उपायों से परे होती हैं। हमारी प्रथाओं में रोगाणुरोधी प्रबंधन कार्यक्रम लागू किए गए हैं, हालांकि, बढ़ती चिंता के लिए एंटीबायोटिक दवाओं के अत्यधिक नुस्खे के प्रभाव को समझने के बारे में जागरूकता पैदा करना गंभीर रूप से महत्वपूर्ण है। हमें निरंतर निगरानी के माध्यम से ज्ञान और साक्ष्य आधार को मजबूत करने की दिशा में भी काम करना चाहिए।”