नई दिल्ली। इस समय पूरी दुनिया जलवायु परिवर्तन जैसे भीषण संकट से गुजर रही है। बढ़ती आबादी और घटते जंगल निश्चित ही आने वाली पीढ़ियों के स्वस्थ्य जीवन के लिए बड़ी चुनौती हैं। भारत इस संकट को लेकर हमेशा से ही सजग रहा है और आबादी, विकास तथा जलवायु में तालमेल बैठाकर आगे बढ़ रहा है। राष्ट्रीय हरित भारत मिशन (जीआईएम) जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना (एनएपीसीसी) के तहत उल्लेखित आठ मिशनों में से एक है। इसका उद्देश्य भारत के घटते वन क्षेत्र की रक्षा करना, उसे बहाल करना और बढ़ाना तथा अनुकूलन उपायों द्वारा जलवायु परिवर्तन का सामना करना है। इस कड़ी में अब भारत में हरित परियोजनाओं में विशेषकर नीली क्रांति के क्षेत्र में बड़ा निवेश होने जा रहा है।
इंटरनेशनल फाइनेंस कॉर्पोरेशन (आईएफसी), भारत में ब्लू फाइनेंस के क्षेत्र में 500 मिलियन डॉलर का ऋण प्रदान करने जा रहा है। इसके लिए आईएफसी ने भारत में एक्सिस बैंक के साथ साझेदारी की है।
आईएफसी का भारत में पहला ब्लू फाइनेंस है और देश में किसी वित्तीय संस्थान द्वारा पहला ब्लू ट्रांजेक्शन है। ब्लू फाइनेंस के तहत पेयजल और अपशिष्ट जल प्रबंधन, समुद्री प्लास्टिक प्रदूषण में कमी, समुद्री पारिस्थितिक तंत्र की बहाली, पर्यावरण-अनुकूल पर्यटन और अपतटीय नवीकरणीय ऊर्जा जैसे निवेशों के लिए धन जुटाया जाता है।
यह भारत में आईएफसी द्वारा किया गया यह सबसे बड़ा ग्रीन फाइनेंस (green finance) भी है। यह फंडिंग एक्सिस बैंक को अपने जलवायु वित्त पोर्टफोलियो का विस्तार करने में सक्षम बनाएगी।
भारत जहाँ वैश्विक स्तर पर बड़ी अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों में शुमार हो रहा है, वहीं आबादी के लिहाज से दुनिया की सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश भी है। भारत में तेजी से बढ़ता शहरीकरण और अर्थव्यवस्था के विकास का आधार जल तथा ऊर्जा है। इसलिए यहाँ आर्थिक विकास के साथ-साथ जल और ऊर्जा दक्षता बढ़ाने का पर्याप्त अवसर हैं। जल और अपशिष्ट जल उपचार बाजार 2022 तक 1.6 बिलियन डॉलर होने का अनुमान लगाया गया था और अब इसके 2029 तक 3 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। इसके अतिरिक्त, हरित भवन क्षेत्र (ग्रीन बिल्डिंग सेक्टर) में 2030 तक 1.4 ट्रिलियन डॉलर का निवेश होने के आसार हैं। सार्वजनिक फंडिंग के सीमित होने के चलते इन क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर निजी क्षेत्र के निवेश की आवश्यकता होगी।
एक्सिस बैंक के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ चौधरी ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभावों और पर्यावरण स्थिरता के बारे में बढ़ती जागरूकता के साथ, बैंकों के लिए स्थायी ऋण सिस्टम को अपनाना अनिवार्य है। उन्होंने कहा, ‘हम आईएफसी के साथ साझेदारी करके उत्साहित हैं, जिसके साथ हम भारत में स्थायी वित्त को बढ़ावा देने के लिए मानकों और ऋण प्रदान करने का एक साझा दृष्टिकोण साझा करते हैं। हम भारत में जलवायु वित्त के क्षेत्र में आईएफसी के लिए एक मजबूत और स्थिर भागीदार बनने की उम्मीद करते हैं।’
आईएफसी के प्रबंध निदेशक मख्तार डिओप (Makhtar Diop) ने कहा, ‘हम भारत में अपने पहले ब्लू फाइनेंस और देश में अब तक की हमारी सबसे बड़ी जलवायु फाइनेंस पहल की घोषणा करते हुए रोमांचित हैं। भारत जलवायु अनुकूलन के लिए नए-नए दृष्टिकोण को लेकर कार्य कर रहा है। इसमें अपार संभावनाएँ हैं। यह ऋण न केवल इस उभरते नए क्षेत्र में निजी क्षेत्र के निवेश को प्रेरित करेगा, बल्कि एक स्थायी नीली अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए दीर्घकालिक वित्तपोषण को भी नई दिशा प्रदान करेगा। इसके अतिरिक्त, इसका उद्देश्य भारत में जलवायु परियोजनाओं के लिए वित्तपोषण बढ़ाना है, जिसमें हरित इमारतों पर जोर दिया जाएगा जो जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करेगा और रोजगार पैदा करेगा। एक्सिस बैंक के साथ साझेदारी करके, हम भारत के सतत और समावेशी विकास को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।’
एक्सिस बैंक भारत में निजी क्षेत्र का पुराना ऐसा बैंक है जिसके पास ऋण देने के लिए बोर्ड द्वारा स्वीकृत पर्यावरण, सामाजिक और शासन (ईएसजी) नीति है जो आईएफसी के मानकों का पालन करती है। एक्सिस बैंक 2030 (अगस्त 2021 से) तक ईएसजी क्षेत्रों में 60,000 करोड़ रुपये (लगभग 7.2 बिलियन डॉलर) की वृद्धिशील वित्तपोषण के साथ भारत के जलवायु एजेंडे का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध है। इसमें से मार्च 2024 तक 30,000 करोड़ रुपये (लगभग 3.1 बिलियन डॉलर) के वित्तपोषण लक्ष्य को हासिल भी किया जा चुका है।
एक्सिस बैंक ने 2016 में पहला ग्रीन यूएसडी बॉन्ड जारी किया था और 2021 में भारत से पहला टिकाऊ यूएसडी एटी1 बॉन्ड भी जारी किया था। टिकाऊ फाइनेंस में अग्रणी होने के लंबे इतिहास के साथ एक्सिस बैंक, संसाधन और कुशलता को बढ़ावा देने के लिए आईएफसी के वित्तपोषण का उपयोग करेगा। इस पहल से स्वच्छ जल संसाधनों की रक्षा तो होगी ही, साथ ही जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने में हम ना केवल आगे बढ़ेंगे, बल्कि रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे।
आईएफसी भी अपनी किफायती आवास परियोजनाओं के लिए निर्माण क्षमता सहित अपने हरित भवन पोर्टफोलियो को बढ़ाने में एक्सिस बैंक का समर्थन करेगा। इस भागीदारी के माध्यम से, आईएफसी का लक्ष्य भारत में हरित भवनों के बाजार को बढ़ावा देना है। आईएफसी यूके-आईएफसी मार्केट एक्सेलेरेटर फॉर ग्रीन कंस्ट्रक्शन (UK-IFC Market Accelerator for Green Construction -MAGC) कार्यक्रम से 2.9 मिलियन डॉलर तक का प्रदर्शन-आधारित प्रोत्साहन भी प्रदान करेगा, जिसका उद्देश्य आईएफसी द्वारा प्रमाणित हरित इमारतों के डिजाइन और निर्माण को सहयोग करना है।
आईएफसी ने ग्रीन फाइनेंस मार्केट में एक शानदार रिकॉर्ड बनाया है। दुनिया भर में ब्लू फाइनेंस को शुरू करने और बढ़ाने में आईएफसी की बड़ी भूमिका है। वर्ष 2020 के बाद से, आईएफसी ने दुनिया भर के निजी संस्थानों को 1.9 बिलियन डॉलर से अधिक के ब्लू लोन और बॉण्ड प्रदान किए हैं।
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