नई दिल्ली। अग्रणी साधारण बीमा प्रदाता इफ्को-टोकियो ने आज भारत के इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर के लिए एक जोखिम निवारण समाधान ‘श्योरिटी बॉन्ड’ बीमा को लॉन्च करने की घोषणा की। भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) ने अप्रैल, 2022 में बीमा कंपनियों को श्योरिटी इंश्योरेंस बॉन्ड जारी करने की आज्ञा प्रदान की थी। ये बॉन्ड कानूनी रूप से अधिकृत त्रिपक्षीय अनुबंध हैं, जिनका उद्देश्य इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्टों से जुड़े जोखिम के विरुद्ध बचाव प्रदान करना है।
पिछले दशक में भारत ने 9,242 पीपीपी इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाएं शुरू की हैं, जिनकी लागत 68.13 लाख करोड़ रुपये है। भारत सरकार ने जल आपूर्ति और शहरी परिवहन में कई इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाएं शुरू करने की भी घोषणा की है। इसी तरह भारतीय रेलवे ने भी इंफ्रास्ट्रक्चर में बड़े बदलाव की योजना बनाई है।
“इन प्रोजेक्टों को धरातल पर उतारने के लिए भारत को अधिक से अधिक कॉन्ट्रैक्टरों की जरूरत है, और कॉन्ट्रैक्टरों को इसके लिए अधिक पुंजी की अवश्यकता होगी, खासकर भारत की बिडिंग एवं अन्य प्रक्रियाओं के अंतर्गत आवश्यक धनराशि को लेकर,” इफ्को-टोकियो के मैनेजिंग डायरेक्टर (एमडी) और चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर (सीईओ) श्री सुब्रत मंडल ने बताया।
“इन्हीं मामलों में श्योरिटी बॉन्ड इंश्योरेंस कॉन्ट्रैक्टरों को राहत देते हुए उनके वित्तीय भार को कम करने का काम करती है,” श्री मंडल ने आगे बताया।
श्योरिटी बॉन्ड दरअसल एक जोखिम ट्रांसफर सिस्टम के रूप में काम करता है, और भारतीय अनुबंध अधिनियम (इंडियन कॉन्ट्रैक्ट एक्ट), 1872 की धारा 126 के तहत इसे गारंटी के अनुबंध के रूप में माना जाता है।
भारत सरकार के प्रोत्साहन के कारण पब्लिक सेक्टर की कई कंपनियां और विभाग बैंक गारंटी के विकल्प के तौर पर श्योरिटी बॉन्ड इंश्योरेंस को स्वीकार करने लगे हैं।
“इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर ऐसे कई मुद्दों का सामना कर रहा है, जिनका समाधान श्योरिटी बॉन्ड प्रदान करता है। एक तरफ तो यह सरकारी विभागों या पीएसयू/पीएसई के लिए कॉन्ट्रैक्टरों का पूल बढ़ाने का काम करता है, तो वहीं दूसरी तरफ लघु एवं मध्यम आकार के कॉन्ट्रैक्टरों सहित इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनियों की प्रोजेक्ट लेने की क्षमता बढ़ाने का काम करता है। वित्तीय लाभ के अलावा यह सभी हितधारकों में विश्वास का सेतु बनाने का भी काम करता है,” श्री मंडल ने बताया।
बीमाकर्ता गारंटी (श्योरिटी बॉन्ड) प्रदान करने के लिए प्रिंसिपल की कई चीजों का आंकलन करता है, जैसे कि प्रोजेक्ट का प्रकार, आर्थिक स्थिति, आय आदि।
अकेले कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री अब तक 1.70 लाख करोड़ रुपये की बैंक गारंटी दे चुकी है, और यह आंकड़ा 2030 तक बढ़कर 3 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है।