विश्व को पहला लोकतंत्र और गणराज्य की अवधारणा देने वाला और उसे सुचारू रूप से संचालित करने वाले बिहार में आजकल क्या हो रहा है ? कार्यपालिका की छोडिए, विधायिका इतना बेबस क्यों दिख रही है ?विधानसभा , लोकसभा और राज्यसभा में अपनी बात मनमाने के लिए जोरदार बहस तो नियमित रूप से होती रहती है, लेकिन घसीट घसीट कर पीटने की घटना कई बार कई विधानसभाओं (Assembly) में भी हुई है, जिन्हें अपवाद भी कहा जा सकता ह।
बिहार विधानसभा (Bihar Assembly) के इतिहास में 23 मार्च,2021 का दिन काले दिन के रूप में अंकित किया जाएगा। कारण, इस दिन जो कुछ बिहार विधानसभा में हुआ वह केवल दुर्भाग्यपूर्ण ही नहीं, अनैतिकपूर्ण भी है। बिहार विधानसभा में विशेष शसस्त्र पुलिस बल विधेयक के विरोध स्वरूप विपक्ष धरने पर बैठे थे, लेकिन कहा यह जा रहा है कि विपक्ष ने अध्यक्ष को लगभग बंधक बना लिया और हंगामा खड़ा कर दिया था। फिर उसके बाद जो कुछ हुआ वह बिहार के लिए ही नहीं देश के लिए शर्मनाक है, वह इसलिए क्योंकि आनन फानन में मार्शल, पुलिस बल और यहां तक की जिलाधिकारी भी आकर विपक्षी दलों पर टूट पड़े और घसीट घसीटकर चाहे महिला हो या पुरुष सबको पीट पीट कर स्ट्रेचर पर लादकर अस्पताल भेजने लगे।
मार्शल और सशस्त्र पुलिस बलों ने महिला विधायकों के साथ जिस बर्बरता का कार्य किया है ऐसा तो भारतीय लोकतत्र के इतिहास में शायद पहली बार हुआ है। हां, 1 जनवरी 1988 का दिन भी तमिलनाडु विधान सभा के लिए दुर्भाग्यपूर्ण दिन था, जब जानकी रामचंद्रन ने विश्वासमत के लिए विशेष सत्र बुलाया था। अपने पति एमजीआर के निधन की बाद वह मुख्यमंत्री बनी थी , पर अधिकांश विधायक जयललिता के साथ थे । इसी सियासी गठजोड़ के बीच माइक और जूते चले थे । सदन में लाठी चार्ज भी हुआ था । लगभग पंद्रह महीने बाद 25 मार्च 1989 को फिर तमिलनाडू विधानसभा में ही जमकर हंगामा हुआ । डी एम के और ऐ डी एम के के बीच ऐसे हालात पैदा हो गए कि जयललिता की साड़ी फाड़ने की कोशिश की गई।
बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक 2021 पर सरकार का कहना है कि यह बल केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) की तर्ज पर बिहार की औद्योगिक इकाइयों और प्रतिष्ठानों की सुरक्षा करेगी। इसके तहत सीआईएसएफ (CISF) की तरह विशेष सशस्त्र पुलिस बल को गिरफ्तारी और तलाशी का अधिकार होगा। लेकिन विपक्ष इसी विधेयक को श्काला कानूनश् बता रहा है। जबकि इस विधेयक में सामान्य पुलिस के बारे में चर्चा ही नहीं की गई है। इसके तहत किसी को गिरफ्तार करने के लिए वारंट या मजिस्ट्रेट की इजाजत की जरूरत नहीं होगी। विशेष सशस्त्र पुलिस बिना वारंट के किसी की तलाशी कर सकेगी कोई इसका विरोध नहीं कर सकता। इसके अलावा किसी अधिकारी पर किसी अपराध का आरोप लगता है, तो कोर्ट खुद से संज्ञान नहीं ले सकता ।बिहार का नया बिहार पुलिस सशस्त्र बल विधेयक विधानसभा में पेश किया गया और पास भी करा दिया गया। इस मौके पर सदन में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार सशस्त्र पुलिस बल को लेकर भ्रामक खबरें फैलाई जा रही हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह बीएमपी की तरह ही है लेकिन अन्य राज्यों में वहीं के पुलिस बल को दूसरा नाम दिया गया है इसलिए बिहार में भी इसका नाम बिहार सशस्त्र पुलिस बल किया गया है।
मुख्यमंत्री (Cheif Minister of Bihar) ने यह भी कहा कि वह 1985 से विधान विधान सभा के सदस्य रहे हैं हालांकि बीच में वह लोकसभा में भी गए थे लेकिन आज तक उन्होंने विधानसभा में ऐसी स्थिति नहीं देखी। विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि आज जो कुछ भी विधान विधान सभा में हुआ उससे ना सिर्फ बिहार विधान मंडल की गरिमा को ठेस पहुंचा है बल्कि बिहार की भी बड़ी बदनामी हुई है । हंगामे के बीच बिहार विधानसभा की कार्यवाही खत्म होने के बाद नेता प्रतिपक्ष और आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव ने कहा की बिहार सशस्त्र पुलिस बल एक काला कानून है यह सरकार को वापस लेना ही होगा। तेजस्वी यादव ने कहा कि आज का दिन यानी 23 मार्च, 2021 बिहार विधानसभा के लिए काला दिन के रूप में याद रखा जाएगा।